जैसे-तैसे निपटीं स्कूलों की परीक्षाएं

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जैसे-तैसे निपटीं स्कूलों की परीक्षाएंगाँवकनेक्शन

लखनऊ। कक्षा एक से लेकर आठवीं तक की परीक्षाएं 21 मार्च को खत्म हो गईं। इसी के साथ स्कूलों में छुट्टियां शुरू हो गई हैं। इस बार कई बदलावों के साथ बोर्ड की तर्ज पर स्कूलों में परीक्षाएं सम्पन्न कराई गईं जिसकी वजह से कई स्कूलों को समय प्रबंधन, कॉपियों की कमी और बिजली की दिक्कतें हुईं।

लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर प्राथमिक विद्यालय बंधौली की अध्यापिका स्मिता मिश्रा बताती हैं, “परीक्षाएं सोमवार को 12 बजे खत्म हुई हैं। कई सारे बदलाव किए गए थे जिसके कारण कुछ दिक्कतें भी आईं। पहले दिन कापियां नहीं थीं, बच्चों को पेज पंच करके दिए गए थे।”

सरकारी स्कूलों में 16 मार्च से परीक्षाएं शुरू हुई थीं जो 19 को समाप्त होने वाली थीं लेकिन प्राथमिक शिक्षकों के धरने की वजह से 18 मार्च की परीक्षा को सभी जिलों के बीएसए ने स्थगित करके 21 मार्च को कर दी थीं। 

वर्तमान समय प्रदेश में कुल 1,14,256 प्राथमिक स्कूल और 54,155 उच्च प्राथमिक स्कूल हैं जिसमें प्राथमिक स्तर पर 133.72 लाख और 57.78 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं।

कितने बच्चों ने परीक्षा छोड़ी इस बारे में एडी बेसिक महेन्द्र सिंह राणा बताते हैं, “अभी ये संख्या एनपीआरसी से बीआरसी के पास जाएगी और वहां से बीएसए ऑफिस ये पूरी प्रक्रिया थोड़ी लम्बी है, इसलिए आंकड़े पता चलने में अभी समय लगेगा।”

कई स्कूलों में पेपर समय पर नहीं पहुंचे और जगह की कमी के कारण बच्चों को दूर-दूर बैठाने की नीति भी फेल रही। बाराबंकी के प्राथमिक स्कूल अतरौरा में कक्षा पांच में पढ़ने वाले रमेश कुमार बताते हैं, “हमारे स्कूल की फर्श जगह-जगह से उखड़ी है और कमरे छोटे से हैं ऐसे में हम सभी लोग आसपास ही बैठे थे। मेज कुर्सी थी नहीं तो लिखने में बहुत दिक्कत हो रही थी, झुककर लिखना पड़ रहा था।”

हालांकि नए सत्र से सरकार परिषदीय स्कूलों में मेज कुर्सी की सौगात देने पर विचार बना रही है। कई स्कूलों में समय प्रबंधन की कमी रही जिसके कारण थोड़ी दिक्कत आई। 

अतरौरा प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक राजीव कुमार बताते हैं, “परीक्षा के बीच में गौरैया दिवस भी पड़ा जिसके कारण थोड़ा सा समय प्रबंधन गड़बड़ हुआ था। इसके बाद एक परीक्षा को टाला गया तो इन सबको लेकर थोड़ी परेशानी हुई लेकिन फिर भी सब ठीक रहा।” 

बिजली भी बनी परेशानी का सबब

इसके साथ ही कई स्कूल जहां कमरों में ज्यादा रोशनी नहीं थी, वहां बिजली भी न होने के कारण बच्चों को परीक्षा देने में परेशानी हुई। परीक्षा में बीएसए का औचक निरीक्षण होना था जिससे क्या दिक्कतें आ रही हैं उसका पता चल सके। लखनऊ के बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण मणि त्रिपाठी बताते हैं, परीक्षाओं का हाल जानने के लिए स्कूलों में निरीक्षण कराया गया कुछ जगह थोड़ी बहुत दिक्कतें पता चली है अगली बार से पहले से सारी व्यवस्था देखी जाएगी।

 

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