जल्दबाज़ी में जान का जोखिम

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जल्दबाज़ी में जान का जोखिमgaonconnection

बाराबंकी। जिला मुख्यालय पर स्थित बाराबंकी रेलवे स्टेशन की बंकी रेलवे क्रासिंग से रोजाना लोग जान जोखिम में डालकर रेलवे क्रासिंग से गुजरते है। जब रेलवे का बैरियर बंद रहता है तो लोग बैरियर के नीचे से जल्दबाजी में निकलते है और इतना ही नहीं सामने से आ रही ट्रेन की रफ्तार से भी लोग अपनी रफ्तार कम नहीं होने देते।

यहां स्कूली बच्चे भी जान जोखिम में डालकर स्कूल में समय से पहुंचने के लिए अपनी जान दांव पर लगाते है।बाराबंकी मुख्यालय पर रेलवे स्टेशन के जिम्मेदार अधिकारियों और यहां के लोगों की सबसे बड़ी लापरवाही आए दिन देखने को मिलती रहती है। 

यहां रेलवे विभाग अधिकारी जितने लापरवाह है उससे ज्यादा यहां के लोग तभी तो रोजाना अपनी तो अपनी साथ में बच्चों की भी जान जोखिम में डाल कर क्रासिंग से गुजरते है। ये नजारा उस समय होता है जब सामने से ट्रेन आ रही होती है।

बंकी निवासी सभासद अजीत झा बताते हैं, “बंकी नगर पंचायत टाउन एरिया में लाखों की आबादी रहती है और रोजाना उसे इसी क्रासिंग से होकर गुजरना पड़ता है, लेकिन सबसे खतरनाक तो उस वक्त होता है जब छात्र-छात्राएं रोजाना इस रेलवे क्रासिंग से उस वक्त गुजरने के लिए मजबूर होते है जब बैरियर बंद होता है।”

आनंद भवन की कक्षा एक की छात्रा शावी जायसवाल बंकी में रहती हैं। अक्सर उसे स्कूल पहुंचने में देर हो जाती है। शावी के पिता संजय जायसवाल बताते हैं, “इस क्रासिंग की वजह से तकरीबन आधा घंटा लेट हो जाते हैं क्योंकि ये हरदम बंद रहती है। इसलिए मजबूरन झुककर निकलना पड़ता है।”

मुख्यालय पर रेलवे स्टेशन होने की वजह से बाराबंकी के बंकी रेलवे क्रासिंग पर ट्रेनों का आवागमन ज्यादा रहता है। अक्सर बैरियर तो बंद रहता ही है साथ ही कई ट्रेने भी क्रासिंग पर आकर खड़ी हो जाती हैं। जिसके बाद बड़े लोग ही क्या बच्चे भी ट्रेनों के नीचे से गुजरकर निकलते है क्योंकि उन्हें भी स्कूल पहुंचने की जल्दी रहती है।

बंकी नगर पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अंशू सिंह बताती है, “बैरियर बंद और सामने से तेज रफ्तार में आ रही ट्रेन के सामने से गुजरना यहां लोगों के लिए आम बात हो गयी है। कभी-कभी तो जल्दबाजी में बाइक बंद हो जाती और मौत सामने खड़ी हो जाती है, लेकिन बावजूद इसके लापरवाही में कोई कमी नहीं आती।”

रिपोर्टर - सतीश कुमार

 

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