जून के पहले सप्ताह में तैयार करें टमाटर की नर्सरी

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जून के पहले सप्ताह में तैयार करें टमाटर की नर्सरीgaonconnection

लखनऊ। मानसून आने के पहले तक जायद में लगाए गए टमाटर के पौधे पैदावार देना कम कर देते हैं। किसान खरीफ की शुरुआत में ही टमाटर की नर्सरी लगाकर आने वाले महीनों में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

खेत की तैयारी

खेत की चार-पांच बार जुताई करने के बाद पाटा चलाकर खेत की मिट्टी को भुरभुरी और समतल कर लेना चाहिए। खेत को तैयार करते समय 15-20 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना चाहिए।

नर्सरी प्रबंधन

क्यारियों की लंबाई तीन मीटर, चौड़ाई एक मीटर और ऊंचाई 10-15 सेमी होनी चाहिए। दो नर्सरी क्यारियों के बीच की दूरी 75-90 सेमी होनी चाहिए, ताकि नर्सरी के अंदर निराई, गुड़ाई एवं सिंचाई आसानी से की जा सके। नर्सरी क्यारियों की सतह चिकनी (भुरभुरी) अच्छी तहर से समतल, ऊंची एवं उचित जल निकास वाली होनी चाहिए। अंकुरण के बाद पौध को कीट से बचाव के लिए फोरेट 10-15 ग्राम प्रति 10 वर्गमीटर पर कतारों के बीज डालकर हल्की सिंचाई करें।

बीजोपचार और बीज की मात्रा

बुवाई से पहले बीज को एक ग्राम कारबेंडाजिम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। रसायनिक उपचार के बाद बीज को पांच ग्राम ट्राईकोडर्मा प्रति किलो की दर से उपचारित कर छाया में सुखाकर रोपाई करें। एक एकड़ भूमि के लिए 100 से 120 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

नर्सरी तैयार होने के बाद पौधारोपण

पौध रोपाई के लिये तीन गुणा तीन मीटर की क्यारी बनाएं। पौधे से पौधे की दूरी 45-60 सेमी और कतार से कतार की दूरी 75-90 सेमी रखे। पौध रोपाई शाम के समय करें इससे पौध नुकसान कम होता हैं। पौध रोपाई से पहले 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा को 50 किलो सड़ी गोबर खाद में मिलाकर डालने से फ़्यूजेरियम विल्ट रोग से बचाव किया जा सकता है। पौधे की रोपाई करने के पूर्व पौधों को मैन्कोजेब का 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी का घोल बनाकर पांच-छह मिनट डुबोकर में रोपाई करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

खरपतवार जमीन से पोषक तत्व लेकर उपज में कमी कर देते हैं और ये कीट और बीमारियों को बढ़ावा भी देते हैं। खरपतवार के नियंत्रण के लिए फसल में दो-तीन निराई गुड़ाई ज़रूरी है। पहली निराई पौध रोपाई के 45 दिन बाद करने से खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है। संपूर्ण नियंत्रण करने के लिए मल्च जैसे पुवाल, लकड़ी का बुरादा और काले रंग का पॉलीथीन का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही मल्च भूमि में नमी का संरक्षण करके उत्पादन व गुणवत्ता को बढ़ाता है। 

निराई गुड़ाई

प्रायः निराई एवं गुड़ाई कतारों के बीच ही की जाती है। खेत में बड़े खरपतवार उग आने पर उन्हें हाथों से उखाड़कर अलग कर देना चाहिए। तापमान बदलने से उपज प्रभावित होती है। लगातार फल उत्पादन के लिए 10 ग्राम पैरा-क्लोरो फिनोक्सी एसिटिक एसिड 200 लीटर पानी मे घोलकर फूल आने पर छिड़काव करें।

 

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