कैसे दूर होगा कुपोषण, खाली पड़े हैं पुर्नवास केन्द्र

Swati ShuklaSwati Shukla   18 Jan 2016 5:30 AM GMT

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कैसे दूर होगा कुपोषण, खाली पड़े हैं पुर्नवास केन्द्रगाँव कनेक्शन

लखनऊ। कुपोषण दूर करने के लिए राज्य पोषण मिशन के तहत चलाए जा रहे कुपोषण पुनर्वास केन्द्र पर बच्चे ही नहीं आ रहे हैं, जबकि अंगनबाड़ी, एनएम, आशा बहू यहां पर तैनात हैं, इसके बावजूद भी बच्चे नहीं आ रहे हैं।

प्रदेश के सभी जिलों में कुपोषण पुनर्वास केंद्र खोले गए हैं। यहां पर 10 बेड आरक्षित किए गये हैं जिसमें नि:शुल्क इलाज के साथ भोजन की भी व्यवस्था की गई है पर इलाज के लिए कुपोषित बच्चे अस्पताल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में स्थित पुनर्वास केंद्र में बच्ची का इलाज कराने आईं गोसाईगंज ब्लॉक के मतौली गाँव की नशरीन बानो (28 वर्ष) बताती हैं, ''इलाज कराने के लिए दो तारीख को आई थी। पति मजदूरी करते हैं, घर की स्थिति बहुत खराब है। खाने की कमी के कारण बच्ची बिस्मा बीमार हो गई, बिस्मा एक साल चार महीने की है जो बहुत दिन से बीमार थी। फिर इलाज के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री ने हमें यहां भेज दिया।’’

यही नहीं 10 बेड की क्षमता वाले केंद्र में सिर्फ  एक बच्ची ही ऑनरिकॉर्ड भर्ती थी। केंद्र पर डॉक्टर समेत आधा दर्जन स्टाफ तैनात किया गया है, इनके वेतन पर भी लाखों रुपये खर्च हो रहा है। जनपद में शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों की संख्या छह लाख के करीब है। इनमें 42 फ़ीसदी बच्चे कुपोषित हैं। वहीं लगभग 1900 बच्चे अतिकुपोषित श्रेणी में आते हैं। इन बच्चों को कुपोषण के दायरे से बाहर लाने के लिए पोषण एवं पुनर्वास केंद्र खोला गया है। बाराबंकी में अतिकुपोषित बच्चों की संख्या 22,483 है, कुपोषित बच्चे एक लाख दस हजार है, कुल बच्चों की संख्या 3,89,321 है। 

बलरामपुर अस्पताल के सीएमओ डॉ. एसएनएस यादव ने बताते है, ''कुपोषित बच्चों को केंद्र पर भेजने के लिए सीएचसी प्रभारियों, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को निर्देश दिया जा चुका है।’’

बाराबंकी जिले में अस्पताल के प्रभारी डॉ. मर्दुल पाण्डेय बताते है, ''10 मार्च 2015 से अभी तक 59 बच्चे का इलाज कुपोषण पुर्नवास में हुआ है, वर्तमान समय में चार बच्चे बाराबंकी में है।’’ बाराबंकी के जिला चिकित्साधिकारी बताते है, ''इलाज तो हो रहा है पर समस्या यह है स्थिति संतोषजनक नहीं है। गाँव में लगातार प्रयास किया जा रहा है कि अगर किसी के बच्चे कुपोषित हैं तो वो अस्पताल में अपने बच्चे का इलाज कराएं। आशाबहू, आंगनबाड़ी इसकी जानकारी लगातार दे रही हैं। ज्यादातर ग्रामीणों को कुपोषण पुनर्वास की जानकारी नहीं है।

नेशनल हेल्थ मिशन के प्रमुख सचिव अमित घोष ने कहा, ''वजन दिवस के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में 14 लाख बच्चे कुपोषित है। एनआरसी द्वारा यह कार्य बच्चों के लिए किया जा रहा है इसलिए ज्यादा से ज्यादा कुपोषित बच्चों को आगे आना चाहिए। प्रथम स्तर पर काम कर रहे लोगों को जागरूक करना व बड़े स्तर पर आगे आना होगा। माताओं को जागरूक करें। जो बच्चे अतिकुपोषित हैं, उनके स्वास्थ्य पर ध्यान दें। वजन दिवस की सूचना हर जिले में है। जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी उसमें थोड़ा प्रयास करें। यह कार्य उनके स्तर पर करना होगा कि कुपोषित बच्चे एनआरसी पहुँच रहे हैं कि नहीं।''  

मॉनीटरिंग में आ रही कमी 

कार्यक्रम की मॉनीटरिंग जिला स्वास्थ्य समित द्वारा की जानी है। प्रत्येक महीने इस पर डाटा मांगा जाता है। जहां पर जिलाधिकारी कार्यक्रम में  रुचि ले रहे हैं, वहां की व्यवस्था अच्छी है। मेरठ, महोबा, ललितपुर में अच्छा कार्य हो रहा है।

क्या है योजना

प्रदेश में बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए राज्य पोषण मिशन के जुलाई में सभी जिले में कुपोषण पुनर्वास केन्द्र खोले गए। प्रत्येक जिला चिकित्सालयों में 10 बेड आरक्षित हैं। यहां पर कुपोषण ग्रसित बच्चों का इलाज होता है। इस दौरान हॉस्पिटल में 14 दिन रुकने का प्रावधान है। 

माताओं को मिलेंगे 100 रुपए 

कुपोषण पुनर्वास केंद्र में एडमिट होने वाले बच्चों को इलाज के लिए 14 दिन रखा जाएगा। इस दौरान बच्चों के साथ रहने वाली माताओं को 100 रुपए का भत्ता दिया जाएगा, जिससे उन्हें अस्पताल में रहने के दौरान किसी प्रकार की आर्थिक दिक्कत न हो। बलरामपुर जिला अस्पताल में कुपोषण पुर्नवास में अभी तक चार महिलाओं को भत्ता मिला है, जिसमें 6000 रुपए की धनराशि दी गई। 

कुपोषित बच्चों की डाइट

  1. सुबह आठ बजे नाश्ता में दूध व दलिया, सूजी की खीर या उबला अंडा।
  2. 11 बजे केला और दूध, एक बजे खाना दाल, घी, पनीर की सब्जी अंडा करी या मछली, गेहूं की रोटी या सोयाबीन के आटे की रोटी, चावल, सब्जी सोयाबीन की सब्जी, दही।
  3. शाम चार बजे नाश्ता दूध एक गिलास व लड्डू।
  4. रात का खाना आठ बजे दाल, पनीर की सब्जी या मछली, रोटी, चावल, सोयाबीन सब्जी।

 

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