कच्ची शराब के सिंडीकेट में शामिल पूर्व प्रधान

Swati ShuklaSwati Shukla   28 July 2016 5:30 AM GMT

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कच्ची शराब के सिंडीकेट में शामिल पूर्व प्रधानgaonconnection

सीतापुर/लखनऊ। स्वयं प्रोजेक्ट से जुड़े 1800 बच्चे अपने आस-पास की समस्या बताते हैं कि किस तरह उनका गाँव विकास से कोसों दूर है। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बिसवां ब्लॉक जनता इण्टर कॉलेज के कक्षा 10 में पढ़ने वाले छात्र विवेक गोस्वामी 16 वर्ष बताते हैं “शेरपुर में बन रही है, कच्ची शराब की लगभग 6-8 किलोमीटर के दायरे में सप्लाई होती है।”

हमारे गाँव में तो एक पुराने वाले एक प्रधान जी ही कच्ची शराब का धंधा करते हैं। बिसवां के शिवथाना में रहने वाले 26 साल के छात्र सचिन अवस्थी का ये आरोप है। उनका ये आरोप साबित करता है, लखनऊ से सीतापुर के गाँवों तक कच्ची शराब के सिंडीकेट में रसूखदार भी मिले हुए हैं।

सीतापुर जिले के बिसंवा ब्लॅाक के अकबरपुर गाँव के बच्चों ने गाँव कनेक्शन के स्वयं प्रोजेक्ट के तहत अपने गाँवों की समस्या को बताया। जिनमें से एक बड़ी समस्या है कच्ची शराब। संजय पटेल सरस्वती इण्टर कॉलेज की छात्रा कक्षा नौ में पढ़ने वाली कोमल पटेल 15 वर्ष बताती है, मेरे गाँव और उसके आस-पास के गाँवों में कच्ची शराब बनती है।

यहां पर शराब पीकर मेरे गाँव के चार लोग मर गए, शराब की समस्या को लेकर आये दिन घरों में लड़ाई होती है और कच्ची शराब की घटना से मेरे गाँव की माँ और बहनें बहुत परेशान रहती हैं। अब उनका विश्वास टूट गया है कि यहां पर कभी शराब बन्द नहीं होगी।

वहीं बिसवां गाँव में रहने वाले सचिन अवस्थी 26 वर्ष बाताते हैं, यहां पर शराब पूर्व प्रधान भी बनाते हैं। जिनके खिलाफ कई बार शिकायत भी की गई पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूर्व प्रधान प्रमोद अवस्थी पिछले कई वर्षों से शराब बनाने का धन्धा कर रहा है। एक बार वहां पर पुलिस ने छापा मारा और बड़े पैमाने पर कच्ची शराब पकड़ी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

                               

लखनऊ और सीतापुर की सीमा पर बसे गाँवों में सबसे ज्यादा कच्ची शराब बनाई जा रही है। अबकारी विभाग द्वारा कच्ची शराब को पकड़ने का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत लगातार कच्ची शराब पकड़ने के लिए छापे मारे जा रहे हैं। इटौंजा ब्लॉक से सितापुर के अटरिया ब्लॅाक के नदी के किनारे कच्ची शराब बनाई जा रही है। 

ग्राम पंचायत जमखनवा गाँव के प्राधान सौरभ गुप्ता बताते हैं कि, हमारे गाँव में पुलिस ने दबिश डाल कर कच्ची शराब पकड़ी है। वहीं पास में दोहरा गाँव है जहां कच्ची शराब बनाई जा रही है। प्रधान आगे बताते हैं गोमती नदी के किनारे कच्ची शराब बनाई जाती है जिसमें कम से कम से 15 से 20 गाँवों के लोगा कच्ची शराब बनाते हैं। पुलिस के पकड़ने पर नदी में कूद जाते हैं। जिनको पुलिस पकड़ने का प्रयास नहीं करती है। 

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

 

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