केंद्र राज्य सरकार को अपना काम करने दे: हरीश रावत

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केंद्र राज्य सरकार को अपना काम करने दे: हरीश रावतgaonconnection, Harish rawar, highcourt, centrel goverment

देहरादून (भाषा)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि केंद्र को राज्य सरकारों को काम करने देना चाहिए और राष्ट्रपति शासन लागू करने के संबंध में एस आर बोम्मई और अन्य मामलों में उच्चतम न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन करते हुए कोई कदम नहीं उठाना चाहिए। रावत ने ऐसे समय पर ये बयान दिया है जब केंद्र ने राज्य में राष्ट्रपति शासन निरस्त करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख़ किया है।

रावत ने इस बात पर जोर दिया कि बोम्मई और अन्य मामलों में न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ''केंद्र को संघीय संरचना में राज्य सरकारों को अपने आप काम करने की अनुमति देनी चाहिए। राज्यों की अपनी भूमिका है।''

बोम्मई मामले में उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 356 के दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ दिशानिर्देश तय करते हुए कहा था कि सरकार के बहुमत का सदन के पटल पर परीक्षण होना चाहिए। रावत ने कहा कि भारतीय राजनीतिक परंपरा के अनुसार राज्य सरकारों की बर्खास्तगी को गलत करार दिया गया है। मुख्यमंत्री ने उम्मीद व्यक्त की कि केंद्र को उत्तराखंड मामले में उच्चतम न्यायालय से कोई राहत नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा, ''उत्तराखंड संबंधी निर्णय सही है या गलत, इसका फैसला राज्य के लोगों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। राज्यों को भी ये सुनिश्चित करना चाहिए कि देश को कोई नुकसान नहीं हो।'' रावत ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को राज्य में जल संकट से निपटने और लंबित मामलों पर निर्णय लेने के लिए कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

29 अप्रैल को विधानसभा का सत्र बुलाने का फ़ैसला

उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने 29 अप्रैल को विधानसभा का सत्र आयोजित करने का फैसला लिया। मुख्यमंत्री हरीश रावत उच्च न्यायालय के निर्देश के हिसाब से उस दिन सदन में बहुमत साबित करेंगे। रावत के मीडिया सलाहकार सुरेंद्र कुमार ने बताया कि रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्देश के आलोक में 29 अप्रैल को विधानसभा का सत्र बुलाने का फैसला किया गया है। उच्च न्यायालय ने कल राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन को हटाने का आदेश देते हुए 18 मार्च से पहले की स्थिति बनाये रखने को कहा था, जिसके बाद सत्ता की बागडोर एक बार फिर से रावत के पास आ गयी, जिन्हें 29 अप्रैल को बहुमत साबित करने के लिए कहा गया है।

 

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