ख़ास है बारिश से संगीत का रिश्ता

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ख़ास है बारिश से संगीत का रिश्ताgaonconnection

इस वक्त उत्तर भारत की भीषण गर्मी से बेहाल लोग मानसून का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। हल्की-हल्की बारिश चाय संग गर्म पकौड़ियों के स्वाद वाला यह मौसम वाकई सबके मन को ताजा कर देता है। वैसे चाय-पकौड़े के साथ बारिश का संगीत से भी खास नाता है। इस मौसम में संगीत का भी एक अलग ही आनंद होता है। यकीन न हो तो हमारे हिंदी सिनेमा पर नजर डाल लीजिए। सावन और बरसात पर हर दशक में गीत बनते आ रहे हैं जो संगीत प्रेमियों को हमेशा से लुभाते रहे हैं। 

सबसे पहले हम सावन और बरसात में अंतर स्पष्ट करते हैं। कई लोगों का मानना है कि सावन और बरसात एक ही चीज है। जबकि ये दोनों अलग-अलग हैं। सावन एक मूड का नाम है और बरसात एक मौसम का नाम है। बरसात के बादल अक्सर बरसने के लिए आते हैं लेकिन सावन के बादलों का बरसने से कोई संबंध नहीं होता है। वे बरस भी सकते हैं या ना भी बरसें इसलिए दोनों के गीत भी अलग-अलग हैं।

महाकवि कालिदास ने भी अपने महाकाव्य मेघदूतमं की रचना सावन मूड में की थी। सावन का माहौल आषाढ़़ माह से बनना आरंभ हो जाता है। ‘मेघदूतमं’ का आरंभ भी ‘आषाड़स्य प्रथम दिवसे’ इन शब्दों से होता है। इसमें अपने मायके गई हुई पत्नी की याद में कविराज बेचैन हो उठते हैं। आइए अब जानते हैं कि हिंदी फिल्मों में बरसात और सावन के कौन-कौन से गाने हिट हुए- 

फिल्मों में सावन और बरसात के गाने की शुरुआत में ज्यादातर अपने साजन के घर वापस आने का इंतजार होता था जैसे 1944 की फिल्म ‘रतन’ में का एक गीत जिसका संगीत नौशाद ने दिया था। दीनानाथ मधोक का लिखा, जोहराबाई अंबालावाली ने गाया यह गीत आज भी यादगार गीत है-

‘रूमझुम बरसे बदरवा मस्त हवाएं आई,

पिया घर आजा, आजा ओ मोरे राज,

सावन कैसे बीते रे, मैं यहां तुम कहां

हमको नींद न आए रे, याद सताए तेरी’

इसी तरह 1955 की फिल्म ‘आजाद’ की नायिका मीनाकुमारी भी बादलों से याचना करती है। 

‘जारी-जारी ओ कारी बदरिया, मत बरसो री मेरी नगरिया, परदेस गए है सांवरिया।’

इसके बाद 1955 में ही आई राजकपूर और नरगिस की फिल्म श्री 420 का गाना ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ आज भी संगीत प्रेमियों के दिल से जुड़ा हुआ है। 

1958 में आई फिल्म चलती का नाम गाड़ी का किशोर कुमार और मधुबाला पर फिल्माया गया गीत ‘एक लड़की भीगी-भागी सी’ बहुत प्यारा गीत है। इसका संगीत एसडी बर्मन ने दिया था और गाया खुद किशोर दा ने था।

‘रिमझिम गिरे सावन सुलग-सुलग जाए मन’ फिल्म मंजिल से किशोर कुमार की ही आवाज में बरसात का एक और गीत। दिल को छू लेने वाले कर्णप्रिय संगीत से सजा यह गीत आज भी लोगों का फेवरिट बना हुआ है। 

‘भीगी-भीगी रातों में’ फिल्म अजनबी से किशोर कुमार संग लता मंगेशकर की आवाज में एक मदहोश कर देने वाला गीत, बारिश से जुड़े बेहतरीन गीतों की लिस्ट में शुमार है। 

बरसात के गीतों से किशोर कुमार का खास नाता रहा है। तभी तो उन्होंने इस मौसम के कई गीतों को अपनी आवाज दी है। उपरोक्त तीन गानों के बाद किशोर कुमार का गाया फिल्म नमक हलाल का ‘आज रपट जाएं’ भी बरसात के खुशनुमा गीतों में से एक है।

‘हाय-हाय रे मजबूरी’ फिल्म रोटी कपड़ा और मकान का यह गीत काफी हिट हुआ था। जीनत अमान और मनोज कुमार पर फिल्माया गया यह गीत आज भी लोगों की जुबां पर है।

किसान के चेहरे पर सुकून लाती बारिश

प्रेमी-प्रेमिकाओं के अलावा कभी-कभी बारिश आम लोगों के चेहरे पर खुशी भी लाती है। खासकर किसानों को इस मौसम का बेसब्री से इंतजार रहता है जब उनकी सालभर की मेहनत पर बारिश की बौझार पड़ती है। फिल्म लगान का गीत ‘घनन-घनन घिर-घिर आए बदरा’ इसी का उदाहरण है। वहीं फिल्म गुरु के गीत ‘बरसो रे मेघा-मेघा’ के जरिए एक ग्रामीण अल्हड़ लड़की के बारिश में सबसे बेखबर होकर मस्ती करती दिखती है।      

 

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