आपके पास अगर दूध देने वाले जानवर हैं तो ये सलाह आपके काम की है

बारिश के मौसम में पशुओं को ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है, ख़ासकर दुधारू पशुओं की। इस समय कई बीमारियाँ हो सकती हैं, ऐसे में कुछ ज़रूरी उपाय अगर कर लेंगे तो अपने पशुओं को बरसाती बीमारी से बचा सकते हैं।
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क्या आपके पशु ने अचानक दूध देना कम कर दिया है ? अगर हाँ तो ज़्यादा फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है। बस आपको उसके आवास और चारे में बदलाव करना है और समस्या ख़त्म।

पशु को कहाँ रखें ?

पशुओं के आवास में बारिश के दौरान जल रिसाव और फर्श में नमी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ज़्यादा नमी होने से दुधारू पशुओं में थनैला रोग हो सकता है।

फर्श पर फिसलन रहने से पशु फिसलकर गिर सकते हैं, ऐसे में पशुओं को गिरने से बचाने के लिए फर्श पर रबर मैट बिछाएँ।

पशु आवास को हवादार और सूखा रखने के लिए हो सके तो तेज़ पंखे चलाएँ।

मक्खी-मच्छरों से बचाने के लिए उनके घर में कीटनाशक का छिड़काव करें।

पशु का आहार कैसा होना चाहिए ?

बारिश के मौसम में हरी घास अधिक नमी और कम रेशा होने से दूध में फैट की गिरावट हो जाती है, ऐसी समस्या से बचने के लिए हरी घास के साथ सूखा चारा भी देना चाहिए।

इस मौसम में दाने में नमी होने की वज़ह से उसमें अफलाटॉक्सिन का स्तर अधिक हो जाता है, इससे पशुओं के दूध उत्पादन और प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है, इसलिए दाने को किसी सूखी जगह पर रखें।

पशुओं में दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाला पशु आहार और खनिज मिश्रण खिलाएँ।

पशु की सेहत पर बारिश में ख़ास ध्यान दें

गलाघोटू एक जानलेवा बीमारी होती है, ये बरसात के मौसम में होती है, इससे बचने के लिए 6 माह से अधिक उम्र के पशुओं को टीका ज़रूर लगवाएँ।

थनैला रोग से बचने के लिए डॉक्टर से सलाह ले, उसी हिसाब से पशुओं का उपचार करें।

इस मौसम में मक्खी, मच्छर और किलनी की समस्या बढ़ जाती है, इससे बचाव के लिए प्रबंधन करें। यही नहीं बारिश में पशुओं के पेट में कीड़े भी हो सकते हैं इसलिए डॉक्टर से सलाह लेकर उचित दवाई दें।

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