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सिर्फ 115 दिनों में तैयार होगी धान की नई किस्म, दूसरी किस्मों के मुकाबले मिलेगा अधिक उत्पादन

किसानों के लिए अच्छी ख़बर है। वैज्ञानिकों ने धान की नई किस्म 'मालवीय मनीला सिंचित धान-1' विकसित की है, जो न केवल कम दिनों में तैयार होती है, बल्कि दूसरी किस्मों के मुकाबले इसमें कम समय में ज्यादा उत्पादन भी मिलेगा। इसको लगाने के बाद किसान दूसरी फसल की बुवाई जल्दी कर पाएंगे।
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पिछले कुछ वर्षों में धान की खेती करने वाले किसानों के सामने कई मुश्किलें आ रहीं हैं। जैसे कम बारिश से उनकी फसल प्रभावित होती है, खरीफ के बाद रबी की फसलों में भी देरी हो जाती है। लेकिन अब किसानों की ये मुश्किल भी आसान हो सकती है। वैज्ञानिकों ने धान की एक ऐसी किस्म विकसित की है जो सिर्फ 115 से 118 दिनों में तैयार हो जाएगी।

अंतर्राष्टीय चावल अनुसंधान संस्थान (ईरी) फिलीपींस और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सँयुक्त प्रयासों से नई किस्म ‘मालवीय मनीला सिंचित धान-1’ को विकसित किया गया है। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक प्रो श्रवण कुमार सिंह और उनकी टीम ने 15 सालों की मेहनत से इस किस्म को विकसित किया है।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक प्रो श्रवण कुमार सिंह और उनकी टीम ने 15 सालों की मेहनत से इस किस्म को विकसित किया है।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक प्रो श्रवण कुमार सिंह और उनकी टीम ने 15 सालों की मेहनत से इस किस्म को विकसित किया है।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक प्रो श्रवण कुमार सिंह धान की इस नई किस्म के बारे में गाँव कनेक्शन को बताते हैं, “बीएचयू और आईआरआरआई फिलीपींस के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस किस्म को विकसित किया है। इस किस्म की खास बात यह कि यह 115-118 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। यही नहीं इतने कम दिनों में इसका औसत उत्पादन 55 से 64 कुंतल प्रति हेक्टेयर मिलता है। इतने कम दिनों में इतना उत्पादन देने वाली कोई दूसरी किस्म नहीं है।”

अभी तक जो भी कम दिनों की किस्में हैं, उनके दाने बहुत मोटे हैं, लेकिन इसके चावल की लंबाई 7.0 मिलीमीटर और मोटाई 2.1 मिमी है। यह एक लंबा और पतले दाने वाला चावल है। ये किस्म बासमती किस्म की नहीं है, फिर भी इसके चावल के दाने बिल्कुल बासमती की तरह लगते हैं।

वो आगे कहते हैं, “कोई भी नई किस्म तभी विकसित की जाती है, जब वो पुरानी किस्मों के मुकाबले अधिक उत्पादन देने वाली हो, मालवीय मनीला सिंचित धान-1 ऐसी किस्म है।” इस धान की लॉन्चिंग असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट में की गई। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की वैरायटी आईडेंटिफिकेशन कमेटी ने पॉँच मई को अपने 98वें एनुअल पैडी ग्रुप मीटिंग की बैठक में इस नई वैरायटी को प्रस्तुत किया।

“किसी भी किस्म को बनाने के बाद दो सालों तक उसका ट्रायल हम अपने स्टेशन पर करते हैं, उसके बाद उसका ट्रायल पूरे देश के केंद्रों पर किया जाता है। अगर ट्रायल सही नहीं होता तो कई किस्में रिजेक्ट भी हो जाती हैं। उत्तर प्रदेश के 11 केंद्रों पर इसका ट्रायल किया गया, यहाँ पर भी अच्छा रिजल्ट मिला है, “प्रो श्रवण ने आगे कहा।

डॉ श्रवण इस किस्म के नाम के बारे में बताते हैं, “आईआरआरआई फिलीपींस में है और इसकी राजधानी मनीला है और हम बीएचयू में जो भी किस्में विकसित करते हैँ, उनके नाम मालवीय से ही रखते हैं तो हमने सोचा क्यों न इसका नाम ‘मालवीय मनीला सिंचित धान-1’ रखा जाए।”

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. श्रवण के साथ उनके वैज्ञानिकों की टीम में डॉ. जयसुधा एस, डॉ. धीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. आकांक्षा सिंह और अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRI) मनीला, फिलीपींस के वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार और डॉ. विकास कुमार सिंह ने मिलकर तैयार किया है।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. श्रवण के साथ उनके वैज्ञानिकों की टीम में डॉ. जयसुधा एस, डॉ. धीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. आकांक्षा सिंह और अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRI) मनीला, फिलीपींस के वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार और डॉ. विकास कुमार सिंह ने मिलकर तैयार किया है।

औसतन जब बासमती जैसी किस्मों की मिलिंग होती है तो उसमें 40, 45, 50% खड़ा दाना भी नहीं मिलता है, लेकिन इस किस्म की जो ऑल इंडिया टेस्टिंग है, उसमें आईसीएआर की एनुअल रिपोर्ट में 63.5% खड़ा दाना मिलता है। लेकिन किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि 115-118 दिनों में अगर ये फसल तैयार हो गई है तो इसकी समय रहते हार्वेस्टिंग कर लें।

अगर दूसरी किस्मों से इस किस्म की तुलना करें तो किसान सांभा मंसूरी धान लगा रहे हैं, जिसकी औसत उपज 60-65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती है। लेकिन यह किस्म 155 दिनों में तैयार होती है, ऐसे में किसानों का खेत 35 दिन पहले खाली हो जाता है, तब किसान दूसरी उपज आसानी से ले सकता है। जैसे किसान ने इस किस्म की कटाई के बाद मटर लगा दी और मटर के बाद जब खेत खाली हुआ तो गेहूँ लगा दिया, ऐसे में किसान कई फसलें ले सकते हैं।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. श्रवण के साथ उनके वैज्ञानिकों की टीम में डॉ. जयसुधा एस, डॉ. धीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ. आकांक्षा सिंह और अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRI) मनीला, फिलीपींस के वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार और डॉ. विकास कुमार सिंह ने मिलकर तैयार किया है।

कृषि वैज्ञानिक डॉ जया सुधा इस किस्म की खासियतों के बारे में बताती हैं, “यह धान कई प्रमुख रोगों और कीट पतंगों के लिए प्रतिरोधी और सहनशील है। जैसे लीफ स्पॉट, ब्राउन स्पॉट, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट , स्टेम बोरर, लीफ फोल्डर, ब्राउन प्लांट हॉपर, गाल मिज के प्रति प्रतिरोधी है।

इन प्रदेशों के किसानों को अगले साल मिलेंगे बीज

वैज्ञानिक इस किस्म के बीज उत्पादन की तैयारी कर रहे हैं, साल 2024 में खरीफ सीजन में उत्तर प्रदेश, बिहार और उड़ीसा के किसानों के लिए ‘मालवीय मनीला सिंचित धान-1 के बीज उपलब्ध होंगे।

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