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कृषि सलाह: कम पानी में धान की खेती करना चाहते हैं तो अभी से करिए सीधी बुवाई की तैयारी

पानी की समस्या एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है, खासकर के किसानों के लिए, ऐसे में किसान कुछ नई विधियों के इस्तेमाल से धान की खेती कर सकते हैं। इन विधियों में कम पानी में बढ़िया पैदावार पा सकते हैं।
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भारत मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान इस बार सामान्य बारिश होने की उम्मीद है, ऐसे में धान की खेती करने वाले किसानों के मन में सवाल आ सकते हैं कि वो कम पानी में धान की खेती कर सकते है?

किसानों के ऐसे सवालों के जवाब देने के लिए आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान हर हफ्ते पूसा समाचार जारी करता है। इस हफ्ते आईएआरआई के निदेशक डॉ अशोक कुमार सिंह धान की सीधी बुवाई की जानकारी दे रहे हैं।

धान की खेती जब हम रोपाई के जरिए करते हैं तो उसमें पानी का ज्यादा इस्तेमाल होता है, एक अनुमान के अनुसार एक हेक्टेयर में धान की खेती करने पर लगभग 15 लाख लीटर पानी खर्च होता है। जबकि सीधी बुवाई में बहुत कम पानी में धान की खेती हो जाती है।

धान की सीधी बुवाई करते समय बरतें ये सावधानियां

धान की सीधी बीजाई करने के लिए क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए। पहले हम किस्मों की बात करेंगे, अगर किस्मों की बात करें तो पूसा बासमती 1509, बासमती 1121 पूसा, बासमती 17, 18 ये तीनों किस्मे सीधी बिजाई के लिए उपयुक्त पायी गई है। मैं किसानो के अनुभव के माध्यम से बता रहा हूं, इन किस्मों की रोपाई की पैदावार बराबर होता है उससे कमी नहीं होता है। साथ ही जो गैर बासमती किस्में हैं, उसमे पंजाब विश्वविद्यालय की किस्म पीआर 126 (125 से 130 दिन मे पक जाती है) ये भी सीधी बीजाई के लिए काफी उपयुक्त मानी जाती है।

ऐसे करते हैं धान की सीधी बुवाई

धान की सीधी बीजाई जिस प्रकार हम गेहूं की सीधी की बुजाई होती है, उसी प्रकार धान की भी सीधी बोवाई के लिए भी सीड ड्रिल विकसित किये गये हैं और उसमें एक सीड ड्रिल जिसे हम लक्की सीड ड्रील का प्रयोग करते हैं।

इसमें खरपतवारनाशी दवा की छिड़काव के साथ की जाती है, इसके अतिरिक्त कई और भी सीड ड्रील विकसित किये गये हैं जो धान की सीधी बुवाई के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं और उनमे बीज के साथ-साथ डीएपी की सुविधा है।

एक एकड़ मे करीब 7 से 8 किलोग्राम बीज लगता है और इसकी बुवाई करने के लिए खेत मे पानी लगाएं, फिर जुताई करलेवेलिंग कर ले इसके बाद सीड ड्रिल से बुवाई कर लें। करीब कतार से कतार की दूरी 22.5 सेमी होती है और 7 से 8 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ लगता है।

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फसल को इनसे बचाना है जरूरी

अब सबसे जरूरी बात है धान की बुवाई मे तीन प्रमुख दुश्मन होते है जो धान की पैदावार को कम करते है इनको अगर रोक लिया तब फिर आपको बहुत अच्छी पैदावार प्राप्त होगी ।

पहला दुश्मन है वो खर पतवार हैं जैसा कि आप जानते हैं सकरी पत्ती वाले, सावां कुल के, मोथा कुल के चौड़ी पत्तियां वाले पौधे धान के पौधों को बढ़ने से रोकते हैं। इनके नियंत्रण के लिए हमें दो बार खतपतवार नाशी दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। पहली बार तो बुवाई के 72 घण्टे के अन्दर या बीजाई के साथ-साथ पेडीमैथलीन की 1200 सौ एमएल मात्रा प्रति 250 लीटर पानी की दर से उपयोग करें इससे बहुत सारे खरपतवार का नियंत्रण होता है।

अंकुरण के बाद करीब करीब पहली सिंचाई करनी होती है और इसके बाद करीब 25 से 20 दिन के बाद एक दूसरी खरपतवारनाशी दवा जिसको हम नामिनी गोल्ड (बिस्पायरिबैक सोडियम) उसकी 100 मिमी मात्रा करीब 150 लीटर मे पानी मे मिलाकर इसका छिड़काव करते हैं। इसके साथ पायराजोसल्फूयराँन की 80 ग्राम मात्रा का भी प्रयोग करते हैं जिससे खर पतवार का बहुत ही प्रभाव पड़ता है।

दूसरी समस्या जो लोहा तत्व है उसकी कमी पायी जाती है शुरु की अवस्था मे जब 8 से 10 दिन की जब पौध हो जाती है उस समय पौधे कुछ पीले पड़ने लगते हैं, तो ऐसा अवस्था मे सल्फयूरीन का छिड़काव 0.5 घोल का करना चाहिए तो इसकी कमी कुछ क्षेत्रो मे नियंत्रित करते हैं।

ये कुछ बातो मे ध्यान रखना होता है सरकार के द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं, कम से कम 35 से 40 प्रतिशत पानी की बचत करते हैं अगर हम धान की सीधी बीजाई करते हैं जब हम रोपाई करते है कोशिश करें कि धान की सीधी रोपाई कर ले क्योंकि एक बार बारिश हो गयी तो आपको खेत को तैयार करके बीजाई करने मे दिक्कत आएगी। 20 जुन से पहले पहले हमको सीधी बीजाई कर लेनी चाहिए इसे काफी फायदा होता है।

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