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गेहूँ, सरसों जैसी रबी फसलों की अच्छी पैदावार के लिए यूपी सरकार करेगी किसानों की मदद

गेहूँ, सरसों, चना, मटर जैसी फसलों की खेती का रकबा बढ़ाने और अधिक उत्पादन लेने के लिए किसानों की पूरी मदद करने की तैयारी की जा रही है।
#rabi

उत्तर प्रदेश में रबी फसलों की बंपर उत्पादन की तैयारी चल रही है, प्रदेश सरकार ने इस बार बुवाई क्षेत्रफल के साथ ही उत्पादन बढ़ाने की तैयार कर ली है।

प्रदेश में खरीफ फ़सलों जैसे- धान, मक्का, बाजरा, ज्वार की खरीद के साथ ही रबी सीजन में खाद्यान्न और तिलहनी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार कर ली है।

रबी सत्र 2022-23 में जहाँ 136.06 लाख हेक्टेयर में खेती की गई थी और 427.83 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ। वहीं, इस बार रबी सत्र 2023-24 में खाद्यान्न और तिलहनी फसलों के अन्तर्गत 134.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर बुवाई और 448.66 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

सरकार ने रबी उत्पादन 2023 फसल उत्पादन रणनीति में कुल खाद्यान्न उत्पादन के 428.77 लाख मीट्रिक टन और तिलहन उत्पादन के 19.90 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के सापेक्ष गेहूँ, जौ, मक्का, चना, मटर, मसूर, राई सरसों, तोरिया, अलसी के लिए अलग-अलग लक्ष्य भी निर्धारित किया है।

किसानों के खेती से अधिक उत्पादन लेने और आय बढ़ाने के लिए किसानों को नई तकनीक भी बताईं जाएँगी। फसल सघनता में वृद्धि के लिए किसानों को साल में दो या तीन फसल लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है तो खरीफ में बुवाई से खाली खेतों में तोरिया या लाही की बुवाई के लिए जागरूक किया जाएगा।

वहीं, जिन क्षेत्रों में गन्ना की खेती हो रही है, वहाँ गन्ने से खाली होने वाले खेतों और शीघ्र पकने वाली अरहर से खाली खेतों में पछेती गेहूँ की प्रजातियों की बुवाई को भी सरकार प्रोत्साहित कर रही है।

देवरिया, कुशीनगर, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलिया, सिद्धार्थनगर, महाराजगंज, आजमगढ़, बस्ती, बाराबंकी, अयोध्या, सीतापुर खीरी और जौनपुर, जहाँ मक्का की खेती होती है वहाँ संकर मक्का की खेती के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। इसी तरह उत्पादकता में वृद्धि के लिए न्यूनतम उत्पादकता वाले ब्लॉक के संबंध में खास रणनीति भी तैयार की जाएगी।

प्रदेश सरकार ने पावर कारपोरेशन, सिंचाई विभाग और नलकूप विभाग को निर्देश दिए हैं कि फसल उत्पादन के समय बिजली की आपूर्ति, नहरों में रोस्टर के अनुसार पानी चलने और सरकारी नलकूपों को कार्यरत रखा जाए। बीज शोधन के बाद ही बीज की बुआई के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। उन्हें बताया जा रहा है कि सूक्ष्म पोषक तत्व का प्रयोग मृदा परीक्षण के बाद फायदेमंद साबित होता है। 

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