दिवेन्द्र सिंह ,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2015 में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड बांटे जाने हैं। मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने का लक्ष्य पूरा होने में सिर्फ 13 दिन बचे हैं, लेकिन अभी तक अस्सी फीसदी नमूनों का भी परीक्षण नहीं हो पाया है।
प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 25 किमी. दूर शिवगढ़ ब्लॉक के भिखनापुर गाँव के किसान उदय बहादुर सिंह (60 वर्ष) ने अभी तक मृदा की जांच नहीं करायी। उदय बहादुर सिंह कहते हैं, “हमें अभी तक मृदा कार्ड नहीं मिल पाया, हमारे यहां से कृषि विज्ञान केन्द्र लगभग 60 किमी. दूर है और कृषि विभाग का भी कोई अधिकारी कभी हमारे गाँव इसकी जानकारी भी नहीं देने आया।”
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उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के अनुसार, प्रदेश में 31 मार्च 2017 तक 2.6 करोड़ कार्ड बांटे जाने हैं, लेकिन तीन मार्च तक जारी आंकड़ों के अनुसार अभी सिर्फ 72.58 लाख किसानों को ही मृदा कार्ड बांटे गए हैं। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के संयुक्त कृषि निदेशक (शोध एवं मृदा) डॉ. एके सिंह बताते हैं, “प्रदेश में मिट्टी जांच के लिए जितनी प्रयोगशालाएं होनी चाहिए, उतनी हैं। पिछले कई महीनों से सभी जिलों में कृषि विभाग के अधिकारी चुनाव में लग गए, जिस कारण हम पीछे रह गए। इसके लिए शासन को पत्र लिखा गया है कि हमें पर्याप्त मशीनें उपलब्ध करा दी जाएं।”
प्रतापगढ़ जिले के उप निदेशक (कृषि प्रभार) आरके सिंह बताते हैं, “जिले में इतनी सुविधाएं नहीं थी कि समय पर लक्ष्य को पूरा किया जाता। कई बार हमने इसके बारे में विभाग को भी लिखा है, लेकिन लैब ही नहीं बन पायी।”मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की शुरूआत की है। इसके लिए भारत सरकार के कृषि एवं सहकारिता मंत्रालय ने पूरे देश में 14 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने का लक्ष्य रखा गया था।
इसके लिए अलग से 568 करोड़ रुपये का बजट भी रखा गया था। कृषि विभाग के अनुसार सात मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 5.5 करोड़ से कुछ ज्यादा कार्ड जारी किए गए हैं, जो लक्ष्य का 40 प्रतिशत है। 2017-18 के बजट में कहा गया है कि 648 कृषि विज्ञान केंद्रो पर मिनी लैब स्थापित किए जाएंगे।
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