कोल्ड स्टोरेज न होने से बर्बाद होती हैं 40 प्रतिशत सब्जियां

Ashwani NigamAshwani Nigam   8 Jun 2017 7:38 PM GMT

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कोल्ड स्टोरेज न होने से बर्बाद होती हैं 40 प्रतिशत सब्जियांकिसान या तो सस्ते दामों में अपनी उपज बेचते हैं, या फिर अपनी उपज बर्बाद कर देते हैं।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सब्जियों के लिए अलग से कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था न होने के कारण किसानों की 40 प्रतिशत से ज्यादा सब्जियां बर्बाद हो जाती हैं। ऐसे में बड़ी मात्रा में उत्पादन के बावजूद किसान या तो सस्ते दामों में अपनी उपज बेचते हैं, या फिर मुनाफा न मिलने पर अपनी उपज बर्बाद कर देते हैं।

भारत खाद्य उत्पादों के साथ फलों और सब्जियों के उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का दूसरा बड़ा देश हैं तो उत्तर प्रदेश देश में सबसे आगे है। गोभी, टमाटर, के अलावा आम, आंवला, आलू, मटर, तरबूज़, खरबूज़ और दूध के उत्पादन में उत्तर प्रदेश देश का नंबर वन राज्य है। बावजूद इसके प्रदेश में सब्जियों को रखने का एक भी कोल्ड स्टोरेज नहीं है। इस बार भी टमाटर का बंपर उत्पादन हुआ है लेकिन यही किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है। किसान अपने ही खेतों में टमाटर जुतवा रहे हैं या सड़कों पर फेंक रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश में कुल 2100 से ज्यादा कोल्ड स्टोरेज हैं, जिसमें सरकारी स्टोरेज की संख्या सिर्फ 2 है। लेकिन इनमें भी 80-90 फीसदी सिर्फ आलू रखा जाता है। उत्तर प्रदेश में कोल्ड सप्लाई चेन की व्यवस्था नहीं होने से दूध, फल और सब्ज़ियों की प्रोसेसिंग नहीं हो पाती है। जिसका असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। फेडरेशन ऑफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नहीं होने से उत्तर प्रदेश में 40 प्रतिशत सब्जियां, फूल और दूध हो जाते हैं बर्बाद हो जाते हैं।

यूपी में सबसे ज्यादा (505) कोल्डस्टोरेज आगरा मंडल जबकि पूरी संख्या 2135 है। लेकिन इनसे किसानों की जरुरतें पूरी नहीं हो रही हैं। बिजली की किल्लत ने समस्या को और गंभीर कर दिया है। फेडरेशन ऑफ कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के नेशनल कोर्डिनेटर भुवेश अग्रवाल बताते हैं, ‘’बिजली कटौती की वजह से गाँव-देहात में बने कोल्ड स्टोर्स को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। ज्यादातर वो बंद ही रहते हैं। इससे भी सब्जियां और फल बर्बाद हो रहे हैं।''

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हालांकि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के मंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने पिछले दिनों विभागीय बैठक में अधिकारियों को प्रदेश में अध्रिक से अधिक कोल्ड स्टोरेज कैसे खुलें, इस पर रिपोर्ट तैयार करने का कहा था जिससे प्रदेश की फल और सब्जियां बर्बाद न हो सकें।

प्रदेश के किसानों की समस्या और यूपी की उत्पादन क्षमता को देखते केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में सिर्फ टमाटर के लिए 40 कोल्ड स्टोरेज बनाने का ऐलान किया था। लेकिन योजना जमीन पर नहीं उतरी। इस वर्ष फिर केंद्र सरकार ने खाद्य उत्पादक केन्द्रों को कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण उद्योग से जोड़ने के लिए खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्रालय ने 101 नई एकीकृत कोल्‍डचेन परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। उनमें 16 यूपी हैं।

टमाटर की अच्छी पैदावार, मगर हो रहा बर्बाद

गोरखपुर जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम जिगिना बाबू सब्जियों की खेती के लिए जाना जाता है। इस गाँव में सबसेज्यादा टमाटर की खेती होती है, लेकिन इस साल यहां के किसान टमाटर को खेती से निराश हैं। यहां के किसान रामबदन मौर्या बताते हैं,''टमाटर की पैदावार इतनी अधिक हुई है कि व्यापारी टमाटर को खरीद ही नहीं रहे हैं। स्थिति यह है कि हम लोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि खेत में टमाटर को तोड़ने वाले मजदूरों को पैसा दे सकें इसलिए टमाटर को खेत में ही छोड़ना पड़ रहा है।''

वह आगे कहते हैं, “टमाटर की तुड़ाईके लिए एक मजदूर को एक दिन का 50 रुपए देना पड़ता है, लेकिन टमाटर को बेचने पर किसान को पैसा नहीं मिल रहा है, इसलिए उसे टमाटरको खेत में छोड़ना पड़ रहा है।“ ऐसा सिर्फ अकेले इनका हाल नहीं है, बल्कि प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में टमाटर की खेती करने वाले किसानोंका यही हाल है। उत्तर प्रदेश में टमाटर के लिए अलग से कोल्ड स्टोरेज नहीं होने और फूड प्रोसेसिंग पार्क नहीं होने के कारण प्रदेश के किसानचाहकर भी अपना टमाटर कोल्ड स्टोरेज में स्टोर नहीं कर पाते और उनका टमाटर बर्बाद हो जाता है।

किसानों ने सड़क पर फेंका था टमाटर

देश में सब्जियों में आलू और प्याज के बाद टमाटर का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। टमाटर की पूरे साल डिमांड भी बनी रहती है, लेकिनइसके बाद भी उत्तर प्रदेश एक तरफ जहां टमाटर पैदा करने वाले किसान हर साल टमाटर की खेती से मुंह मोड़ रहे हैं।

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टमाटर की फसल की बर्बादी को देखते हुए उत्तर प्रदेश के टमाटर उत्पादक किसानों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आलू की तर्ज पर टमाटर का भीन्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मांग की है। पिछले दिनों इलाहाबाद के टमाटर उत्पादक किसानों ने 50 कुंतल टमाटर के नवीन मंडी स्थलइलाहाबाद में सड़क किनारे फेंककर अपना विरोध जताया था।

       

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