5 कमाल के तरीके, जो बिना पेस्टीसाइड का इस्तेमाल किए दिलाएंगे कीटों से छुटकारा

Anusha MishraAnusha Mishra   29 Nov 2017 11:12 AM GMT

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5 कमाल के तरीके, जो बिना पेस्टीसाइड का इस्तेमाल किए दिलाएंगे कीटों से छुटकाराकीटनाशकों का छिड़काव

जैविक विधि से खेती करने वाले ज़्यादातर किसानों को खेती की प्राकृतिक तकनीकों की अच्छी खासी जानकारी होगी और वो अपने खेतों में कीट प्रबंधन भी करना जानते होंगे लेकिन यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे तरीके जो देश और दुनिया भर के किसान कीटों से छुटकारा पाने के लिए अपनाते हैं।

कीटों के हमले से खेतों में फसल की पैदावार कम होती है और खाद्य सुरक्षा को भी खतरा होता है। ऐसे में इनसे निपटने के लिए ज़्यादातर आधुनिक किसान रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं जो पर्यावरण और हमारी सेहत दोनों के लिए नुकसानदेह होते हैं। अपनी पारंपरिक खेती तकनीकों के साथ कुछ जैविक खेती करने वाले किसान के समूहों ने प्राकृतिक तरीकों का उपयोग करके सफलतापूर्वक कीटों को प्रबंधन किया है।

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टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में बॉयोटेक्नोलॉजिस्ट और जैविक विधि से खेती करने वाले किसान राजेश कृष्णन ने बताया कि उन्होंने चार साल से अधिक समय तक वायनाड में थिसिसिलरी में अपने दस एकड़ के धान के खेत में कीटनाशक की एक बूंद का भी छिड़काव नहीं किया। उन्होंने परंपरागत तकनीकों का उपयोग करते हुए विनाशकारी चावल कीटों लीफ रोलर (कन्नफ़लक्रोकिस मेडिनिलिस) और स्टेम बोरर (स्केरपोफगा इंकर्टुलास) को अपने खेत से दूर रखा।

राजेश अपनी धान की फसल से लीफ रोलर कीट को पराकम के पेड़ की डाल का इस्तेमाल करके बाहर कर देते हैं। पेड़ के सूखे पत्ते इल्ली को फसल से नीचे पानी में गिराने में मदद करते हैं और इस पानी को तुरंत खेत से बाहर निकाल दिया जाता है।

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केरल के किसान भी केरल के किसानों ने जैव कीटनाशकों को कई कीटों का प्रबंधन करने के लिए तैयार किया है। वे इसके लिए नमीस्त्रम और ब्रम्हस्त्रम का उपयोग करते हैं। 'नीमस्त्रम' बनाने में गोमूत्र, गोबर और नीम की पत्ती का पेस्ट इस्तेमाल किया जाता है जबकि 'ब्रम्हस्त्रम' को कस्टर्ड सेब, पपीता, अमरूद, अनार व नींबू के पत्तों और गोमूत्र के संयोजन से तैयार किया जाता है।

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फसल का चक्रीकरण

फसलों का चक्रीकरण खेतों में आने वाले कीटों को रोकने का एक कारगर तरीका है। इस विधि में हर साल खेत में बदल - बदल का फसल लगाई जाती है। कीटों के प्रबंधन के अलावा, इस तरीके को अपनाने से मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है।

इंटरक्रॉपिंग

इंटरक्रॉपिंग में दो या उससे ज़्यादा फसलों को एक साथ खेत में उगाया जाता है। जब एक ही खेत में एक से ज़्यादा फसलों को लगाया जाता है तो एक फसल के बीच में दूरी बढ़ जाती है इसलिए किसी एक फसल की ओर आकर्षित होने वाले कीट यहां नहीं आते।

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फसल की विविधता को बनाए रखना

किसान सब्जियों, पौधों और फलों की प्रजातियों को बढ़ाकर कीट से फसलों की रक्षा कर सकते हैं। इससे कीटनाशकों द्वारा फसल क्षतिग्रस्त करने की संभावना कम हो जाती है।

कीटों से लड़ने के लिए कीटों का उपयोग

पश्चिमी देशों के कुछ किसानों ने कीटों से लड़ने के लिए कीटों का इस्तेमाल करना शुरू किया है। ये किसान लेडी बग्स जैसे शिकारी कीटों का इस्तेमाल अपनी फसल को क्षति पहुंचाने वाले कीटों को भगाने में करते हैं।

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जैविक कीटनाशक

जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करने से हमारी सेहत को भी नुकसान नहीं होता और फसलों को भी। हालांकि अधिकांश भारतीय किसान जैविक कीटनाशक के रूप में नीम का इस्तेमाल लेकिन नेपाल के किसान इसके अलावा तिमुर (एक नेपाली मसाला), लहसुन, पशुधन मूत्र और पानी से बने जैविक तरल कीटनाशक सब्जियों व फलों की फसल में स्तेमाल करते हैं।

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