अधिक मुनाफे के लिए करें ब्रायलर मुर्गी पालन

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अधिक मुनाफे के लिए करें ब्रायलर मुर्गी पालनगाँव कनेक्शन

लखनऊ। मुर्गी पालन अच्छे मुनाफे वाले व्यवसायों में से एक है। मुर्गी पालन अण्डा और मांस उत्पादन के लिए किया जाता है। इनके लिए अलग-अलग प्रजातियों का चयन करना होता है। इस व्यवसाय की खासियत है कि इसे कम लागत से शुरू किया जा सकता है और इसमें कमाई जल्दी शुरू हो जाती है, क्योंकि मांस के लिए पाली जाने वाली मुर्गियां 40 से 45 दिन में तैयार हो जाती हैं।

लखनऊ से 28 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में बसे चांदसरायं गाँव के निवासी मकसूद खान (24 वर्ष) बीस साल से मुर्गी पालन कर रहे हैं। मकसूद और उनके पिता मिलकर यह व्यवसाय चलाते हैं और इसे सबसे अच्छा व्यवसाय मानते हैं। वे बताते हैं, ‘‘हमने 500 मुर्गियों से यह काम शुरू किया था, फिर जब मुनाफा बढ़ने लगा तो हमने इनकी संख्या बढ़ा दी, आज हमारे पास 12 से 13 हजार मुर्गियां हैं।’’ मकसूद के फार्म में मुर्गियों की देखभाल करने के लिए चार लोग हैं। मकसूद के आस-पास के गाँव में कई लोग मुर्गी पालन करते हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा ब्रायलर प्रजाति की मुर्गियों का पालन कर रहे हैं।

व्यवसाय के बारे में बताते हुए मकसूद आगे कहते हैं, ‘‘ब्रायलर प्रजाति की मुर्गी पालने में ज्यादा खर्च नहीं आता है और कुछ ही दिनों में बिक्री भी शुरू हो जाती है।’’ ब्रायलर मांस की आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्रदेश में लगभग 75 करोड़ चूजे अन्य प्रदेश से प्रतिवर्ष आयात किए जाते हैं।

ब्रायलर प्रजाति के मुर्गी पालन में होने वाले मुनाफे के बारे में बताते हुए उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग के उप निदेशक डॉ वीके सिन्हा बताते हैं, ‘‘वर्तमान समय में लगभग 1082 लाख ब्रायलर के चूजे उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में प्रतिवर्ष पाले जा रहे हैं। इसमें पालक को ज्यादा और जल्दी मुनाफा होता है, क्योंकि इस प्रजाति की मुर्गी 30 से 40 दिन में तैयार हो जाती है और 40-45 दिन में धनराशि लाभ के साथ वापस भी मिल जाती है जबकि लेयर में साढ़े पांच महीने लग जाते हैं। तब वह अण्डा देना शुरू करती है।’’

बाराबंकी स्थित राजकीय प्रक्षेत्र फार्म के पोल्ट्री अधीक्षक डॉ. अशोक कुमार वर्मा ने ब्रायलर प्रजाति की मुर्गी पालन के बारे में विस्तृत जानकारी से दी।

चूजों का चुनाव: ब्रायलर पालन में चूजों का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण होता है। चुस्त, फुर्तीले, चमकदार आंखों वाले तथा समान आकार के चूजे उत्तम होते हैं। स्वस्थ चूजों की पिण्डली या पैर की खाल चमकदार होती है। इनके वजन में अन्तर न हो क्योंकि वजन में जितना अन्तर होगा आमदनी उतनी घटती जाती है। चूजे किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थाओं से खरीदे जा सकते हैं।

आवास की व्यवस्था: किसी भी पालन में आवास की व्यवस्था जरूरी होती है। यह पालन विशेष तौर पर चूजों की ब्रूडिंग क्रिया पर निर्भर करता है। कम जगह में ज्यादा से ज्यादा चूजों को पाल सकते हैं।

तापमान: चूजों को ब्रूडर में रखने के बाद इस बात का अवलोकन करना चाहिए कि तापमान उनके लिए उपयुक्त है या नहीं क्योंकि तापमान की कमी और अधिकता से चूजों की बढ़वार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

 

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