फरवरी महीने में जैसे तापमान बढ़ता है, फसलों में कई तरह के रोग व कीट लगने की संभावना भी बढ़ जाती है। साथ ही यह महीना कई तरह की सब्जी फसलों की बुवाई के लिए भी सही होता है।
आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए खेती-किसानी संबंधित कृषि सलाह जारी की है।
कोरोना के संक्रमण को देखते हुए किसानों को सलाह है कि तैयार सब्जियों की तुड़ाई तथा अन्य कृषि कार्यों के दौरान भारत सरकार द्वारा दिये गये दिशा निर्देशों, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क का उपयोग, साबुन से उचित अंतराल पर हाथ धोना तथा एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाये रखने पर विशेष ध्यान दें।
आने वाले दिनों में वर्षा की सम्भावना को देखते हुए सभी खड़ी फसलों में सिंचाई और किसी भी प्रकार का छिड़काव ना करें।
मौसम को ध्यान में रखते हुए गेहूं की फसल में रोगों, विशेषकर रतुआ की निगरानी करते रहें। काला, भूरा अथवा पीला रतुआ आने पर फसल में डाइथेन एम-45 (2.5 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें। पीला रतुआ के लिये 10-20 डिग्री सेल्सियस तापमान सही होता है। 25 डिग्री सेल्सियस तापमान से ऊपर रोग का फैलाव नहीं होता। भूरा रतुआ के लिये 15 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ नमीयुक्त जलवायु जरूरी होती है। काला रतुआ के लिये 20 डिग्री सेल्सियस से उपर तापमान और नमी रहित जलवायु आवश्यक है।
चने की फसल में फली छेदक कीट की निगरानी के लिए 3-4 फेरोमॉन ट्रैप प्रति एकड़ उन खेतों में लगाएं जहां पौधों में 40-45% फूल खिल गये हों। “T” अक्षर आकार के पक्षी बसेरा खेत के विभिन्न जगहों पर लगाएं।
इस सप्ताह तापमान को देखते हुए किसानों को सलाह है कि भिंडी की अगेती बुवाई के लिए ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि किस्मों की बुवाई के लिए खेतों को पलेवा कर देसी खाद डालकर तैयार करें। बीज की मात्रा प्रति एकड़ 10 से 15 किलोग्राम इस्तेमाल करें।
रबी फसलों और सब्जियों में मधुमक्खियों का बड़ा योगदान है क्योंकि यह परांगण में सहायता करती है इसलिए जितना संभव हो मघुमक्खियों के पालन को बढ़ावा दें और दवाईयों का छिड़काव सर्दी के मौसम में सुबह या शाम के समय ही करें।
तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि कद्दूवर्गीय सब्जियों, मिर्च, टमाटर, बैंगन आदि की बुवाई पौधाशाला में कर सकते है और तैयार टमाटर, मिर्च, कद्दूवर्गीय सब्जियों की पौधों की रोपाई कर सकते है। बीजों की व्यवस्था किसी प्रमाणिक स्रोत से करें।
मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि आलू में पछेता झूलसा रोग की निरंतर निगरानी करते रहें और प्रारम्भिक लक्षण दिखाई देने पर केप्टान @ 2 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
किसान एकल कटाई के लिए पालक (ज्योति), धनिया (पंत हरितमा), मेथी (पी.ई.बी, एच एम-1) की बुवाई कर सकते हैं। पत्तों के बढ़वार के लिए 20 कि.ग्रा. यूरिया प्रति एकड की दर से छिड़काव कर सकते हैं।
गोभीवर्गीय फसल में हीरा पीठ इल्ली, मटर में फली छेदक और टमाटर में फल छेदक की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंश @ 3-4 प्रपंश प्रति एकड़ खेतों में लगाएं।
मौसम को ध्यान में रखते हुए गाजर, मूली, चुकन्दर और शलगम की फसल की निराई-गुड़ाई करे और चेपा कीट की निगरानी करें।
मटर की फसल में फली छेदक कीट और टमाटर की फसल में फल छेदक कीट की निगरानी के लिए प्रति एक तीन से 4 फेरोमॉन ट्रैप लगाएं, यदि कीट अधिक हो तो बी.टी नियमन का छिड़काव करें।
इस मौसम में गेंदे में पुष्प सड़न रोग के आक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है इसलिए किसान फसल की निगरानी करते रहें। यदि लक्षण दिखाई दें तो बाविस्टिन 1 ग्राम/लीटर या इन्डोफिल-एम 45 @ 2.0 एम.एल/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
इस मौसम में मिली बग के बच्चे जमीन से निकलकर आम के तनों पर चढ़ेगें, इसको रोकने के लिए किसान जमीन से 0.5 मीटर की ऊंचाई पर आम के तने के चारों तरफ 25 से 30 से.मी. चौड़ी अल्काथीन की पट्टी लपेटे। तने के आस-पास की मिट्टी की खुदाई करें जिससे उनके अंडे नष्ट हो जायेंगे।