आईसीएआर के पूर्व निदेशक ने कहा, किसान और वैज्ञानिक मिलकर काम करेंगे, तभी कम होगी खेती की लागत

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सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। “कृषि में लगातार बढ़ रही फसल लागत और कीट-बीमरियों के बढ़ती समस्या से निपटने के लिए किसान और कृषि वैज्ञानिकों को साथ आना होगा, “भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व सहायक निदेशक डॉ टीपी त्रिवेदी ने कहा।

कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया सीतापुर में आयोजित वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में देश के बड़े कृषि संस्थानों और कृषि विद्यालयों ने वैज्ञानिक व कृषि विशेषज्ञ शामिल हुए। कार्यक्रम में चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के पूर्व निदेशक प्रसार डॉ वीके सिंह ने कहा, “हम प्रकृति हितैषी जैसे जैविक खाद, जैविक कीटनाशी और जैविक विधि से कचरा प्रबंधन जैसी तकनीकियों को अधिक से अधिक प्रचारित करेंगे तभी कृषको की आय दो गुना करना सम्भव होगा।

क्षेत्रीय परियोजना निदेशक कानपुर के प्रतिनिधि व कृषि विज्ञान केंद्र लखनऊ के अध्यक्ष डॉ अखिलेश दुबे ने अपने सुझाव में सीतापुर जिले में पराली जलाने के दुष्प्रभाव का अध्धयन, गन्ना के साथ शरद कालीन बुवाई में मसूर की अंतवर्तीय खेती मछली पालन में पोषण प्रबन्धन और ग्रामीण युवकों के स्वरोजगार के लिए अधिक से अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजन के लिए सुझाव दिया।

संजय अरोड़ा प्रधान वैज्ञानिक सीएसएसआरआई लखनऊ ने मृदा में लाभकारी जीवाणुओं की घटती संख्या व उसके उपज की गुणवत्ता पर पड़ रहे दुस्प्रभाव के बारे में बताया और अनुसंशा की केंद्र के सभी प्रदर्शनों में जीवाणु खाद का टीकाकरण और मृदा उपचार आवश्यक रूप से किया जाये। 

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