किसी भी फसल में रोग या फिर कीट लगने पर अब किसानों को भटकना नहीं पड़ता, क्योंकि ‘कृषि ओपीडी’ में वैज्ञानिकों की टीम हर दिन उनकी समस्याओं के समाधान के लिए तैयार रहती है।
मध्य प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र हरदा और जबलपुर में कृषि ओपीडी की शुरूआत की गई है, जहां पर खेती-किसानी, रोग-कीट, पशु पालन जैसे हर एक क्षेत्र के विशेषज्ञ किसानों की समस्याओं को सुनते हैं और फिर उनका समाधान करते हैं। अगर कोई किसान कृषि विज्ञान केंद्र तक नहीं पहुंच पाता तो व्हाट्सएप या फिर फोन के माध्यम से भी अपनी परेशानी बता सकता है।
कृषि विज्ञान केंद्र, हरदा के वैज्ञानिक सुरेंद्र कुमार तिवारी गाँव कनेक्शन को बताते हैं, “पहले से कृषि विज्ञान केंद्र पर किसान सलाह लेते रहते हैं, लेकिन कृषि ओपीडी पर हर एक विशेषज्ञ एक साथ मिल जाता है। कई किसान तो फसल का पौधा भी लेकर आते हैं, जिससे उस फसल में क्या रोग या फिर कीट लगा है, उसे समझने में आसानी होती है। अभी तक किसान दुकानदार के पास चला जाता और वो जो दवाई दे देते, उसी का प्रयोग करता, जिससे कई बार किसान को नुकसान भी उठाना पड़ता। लेकिन अब किसान सही सलाह मिल जाती है। “
वो आगे कहते हैं, “केवीके पर जो भी किसान आता है, उसका यहां पर पूरा रिकॉर्ड रखा जाता है, कि किस किसान ने क्या फसल बोई और आगे क्या फसल बोने की तैयारी कर रहा है। जिससे उन्हें समय-समय पर सलाह देते रहें।”
कृषि ओपीडी पर किसानों को दो तरह की सुविधा दी जाती है। किसान रोग, कीट या दूसरी समस्या से प्रभावित फसल के नमूने लेकर केवीके आता है। यहां विशेषज्ञ उसका परीक्षण करके सही सलाह देते हैं। अगर किसान नहीं आ सकते हैं तो वे केंद्र द्वारा जारी व्हाट्सएप नंबर पर फसल की फोटो भेजकर सलाह ले सकते हैं।
जवाहर लाल कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के अंर्तगत मध्य प्रदेश के बेतुल, बड़गाँव, छिंदवाड़ा, छतरपुर, डिंडौरी, दामोह, हरदा, जबलपुर, कटनी, मंडला, नरसिंहपुर, पन्ना, रीवा, सागर, सिवनी, शहडोल, सीधी, सिंगरौली, टीकमगढ़ और उमरिया जैसे 20 जिलो में कृषि विज्ञान केंद्र संचालित हो रहे हैं। जल्द ही जबलपुर और हरदा के साथ ही दूसरे कृषि विज्ञान केंद्रों पर भी कृषि ओपीडी शुरू हो जाएगी।
कृषि विज्ञान केंद्र, हरदा के वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रमुख डॉ. आरसी शर्मा बताते हैं, “अभी दो जिलों में शुरू किया गया है, ये दूसरे जिलों में शुरू होना है। इसमें किसानों की जो समस्याएं, जैसे फसल में कोई बीमारी है या फिर कीड़े लगे हैं तो जो वैज्ञानिकों की ओपीडी बैठती है, उसमें किसान अपनी समस्या लेकर आता है, उसकी पूरी जांच होती है, फिर उनका समाधान किया जाता है।”
“पहले जो भी किसान आता था, किसी एक वैज्ञानिक से मिलता था, इससे कई समस्या का सही समाधान नहीं मिल पाता था, लेकिन कृषि ओपीडी में वैज्ञानिकों की टीम बैठती है, जो किसानों की सारी समस्याओं का समाधान करती है। ऐसे में किसान एक समस्या लेकर आता है, उसको दूसरी सलाह भी मिल जाती है, “डॉ. आरसी शर्मा ने आगे बताया।
कृषि ओपीडी के साथ ही अब विशेषज्ञ हफ्ते में एक दिन गाँव जाएंगे, जहां पर किसानों को मिट्टी की स्थिति, फसल चक्र, बीज, खाद, और रोग के निदान की सलाह देंगे। विशेषज्ञों को लौटकर गांव के बारे में रिपोर्ट भी देनी होगी। रिपोर्ट के आधार पर कृषि विभाग रणनीति तय करेगा।