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उत्तर प्रदेश में कम बारिश से केले की फसल प्रभावित; उत्पादन और गुणवत्ता दोनों पर पड़ा है असर

दक्षिण-पश्चिम मानसून के तीन महीने पहले ही बीत चुके हैं और उत्तर प्रदेश में माइनस 44 फीसदी बारिश की कमी है। बाराबंकी के किसानों का कहना है कि इससे केले की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
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बाराबंकी, उत्तर प्रदेश। भारत विश्व में केले का सबसे बड़ा उत्पादक है। पिछले पांच वर्षों में, उत्तर प्रदेश देश में केले की खेती करने वाले राज्यों की लिस्ट में शामिल हो गया है जिसमें आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश में, सीतापुर, कौशाम्बी, बहराइच, फैजाबाद और बाराबंकी जैसे जिलों में किसान धान, तिल और मक्का की अधिक पारंपरिक उपज के साथ केले उगा रहे हैं।

हालांकि, बाराबंकी में, केले की खेती करने वालों के बीच कुछ संकट है क्योंकि उनके अनुसार, इस मानसून के मौसम में बारिश में कमी के कारण केले की फसल को भारी नुकसान हुआ है, और जो बच गया है वह छोटा और खराब गुणवत्ता वाला है।

बाराबंकी के सूरतगंज ब्लॉक के टेकवा गाँव के नरेंद्र शुक्ल ने गाँव कनेक्शन को बताया, “मैंने दो एकड़ जमीन में केले की खेती की और शुरू में खुश था, फसल अच्छी दिख रही थी और अच्छी तरह से बढ़ रही थी।” उन्होंने कहा, “मैं बारिश के समय पर आने की उम्मीद कर रहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हालांकि मैंने फसल को पानी दिया, लेकिन यह बारिश के समान नहीं है।”

शुक्ल ने केले की खेती पर लगभग दो लाख रुपये खर्च किए हैं और ऐसा लग रहा था अब 50 हजार भी नहीं निकल पाएंगे, वो निराश हो गए हैं।

बाराबंकी के सूरतगंज ब्लॉक के टेकवा गाँव के किसान नरेंद्र शुक्ल। 

बाराबंकी के सूरतगंज ब्लॉक के टेकवा गाँव के किसान नरेंद्र शुक्ल। 

दक्षिण-पश्चिम मानसून के तीन महीने (जून-जुलाई-अगस्त) खत्म हो गए हैं और उत्तर प्रदेश में माइनस 44 फीसदी बारिश की कमी है, जैसा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों से पता चलता है। कम बारिश ने राज्य में धान की बुवाई को प्रभावित किया है और अब केला किसान भी कम उत्पादकता की शिकायत कर रहे हैं।

बाराबंकी जिले के बागवानी अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव ने गाँव कनेक्शन को बताया, “बाराबंकी में लगभग 2,700 एकड़ जमीन पर केले की खेती होती है।”

महेश श्रीवास्तव के अनुसार, जून, जुलाई के महीने में केले में फल आना शुरू हो जाते हैं और उस समय पानी की जरूरत होती है, लेकिन अबकी बार जून जुलाई के महीने में बरसात कम होने के कारण केले के उत्पादन पर असर आया है और जो केले के का आकार था वह छोटा हो गया है जिससे क्वालिटी गिरी है।

ग्राफ: भारत में राज्यवार केला उत्पादन (2021-22)

शंकरपुर गाँव के किसान राम कुमार ने धान और गेहूं की पारंपरिक खेती छोड़कर केले की खेती शुरू करने पर अफसोस है। “मैंने सोचा था कि मैं केले की खेती से कमाई, लेकिन ऐसा नहीं होना था,” उन्होंने अफसोस जताया। राम कुमार ने अपने एक एकड़ केले पर लगभग 100,000 की लागत लगाई है, लेकिन उन्हें डर है कि उनकी कमाई नहीं होगी।

कम वर्षा, खराब गुणवत्ता वाली फसल और कीमतों में गिरावट

खराब फसल के कारण केले की कीमतों में भारी गिरावट आई है। बाराबंकी के एक केला व्यापारी ने गाँव कनेक्शन रवींद्र कुमार ने कहा, “इस बार केले की गुणवत्ता बहुत खराब है। पहले किसानों को 1,800 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल मिल सकता था, इस साल उन्हें 900 रुपये से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बेचने के लिए मजबूर किया जा रहा है।”

बाराबंकी के सूरतगंज ब्लॉक के बसारी गाँव के 50 वर्षीय किसान राम किशोर ने कहा, “हम किसान तीन लड़ाइयां लड़ रहे हैं – महंगाई, आवारा जानवरों का खतरा और जलवायु परिवर्तन।”

बसारी गाँव के किसान ने कहा, “यही हाल केले के साथ भी हुआ है जब केले की फसल को पानी की जरूरत थी तो बरसात नहीं हुई निजी साधनों से सिंचाई का उतना असर नहीं होता है, जितना बरसात के पानी का फसल पर असर होता है हम अपने केले की फसल में सिंचाई तो करते रहे जिससे लागत तो बढ़ गई लेकिन फसल में कोई खास सुधार नहीं आया”

बाराबंकी के दौलतपुर के प्रगतिशील और जैविक किसान अमरेंद्र सिंह ने बताया कि जब केले का पौधा में फूल लगने पर बारिश जरूरी होती है।

प्रगतिशील किसान ने गाँव कनेक्शन को बताया, “इस बार मानसून की वजह से हम केला की खेती करने वाले किसानों को फ्लावरिंग से लेकर कटिंग तक दो तीन प्रकार का नुकसान उठाना पड़ा है। केले में फ्लावरिंग के समय बरसाती पानी की खास जरूरत होती है।” वो आगे कहते हैं, “बरसात न होने के कारण फसल को नुकसान हुआ दूसरे जब बरसात नहीं हुई तो कई तरह की दवाओं का स्प्रे हमने किया ताकि फसल सही बनी रहे जिससे फसल पर कई तरह के धब्बे बन गए, तीसरे बरसात न होने के कारण केले की खेती करने वाले किसानों को करीब 25% तक लागत बढ़ गई और उत्पादन लागत बढ़ने के बाद भी घट गया और क्वालिटी में भी गिरावट आई।”

मानचित्र: भारत में जिलेवार वर्षा (1 जून से 1 सितंबर, 2022)

नोट: लाल: कमी (-59% से -20%), हरा: सामान्य (-19% से 19%), नीला: अधिक (20% से 59%), गहरा नीला: बड़ा अतिरिक्त: 60% या अधिक। स्रोत: भारत मौसम विज्ञान विभाग

नोट: लाल: कमी (-59% से -20%), हरा: सामान्य (-19% से 19%), नीला: अधिक (20% से 59%), गहरा नीला: बड़ा अतिरिक्त: 60% या अधिक। स्रोत: भारत मौसम विज्ञान विभाग

अमरेंद्र सिंह ने कहा, “जब हम पंजाब, हरियाणा और जम्मू की मंडियों में केले भेजते हैं, तो केले का दिखना तय करता है कि उन्हें क्या कीमत मिलेगी। इस बार केले छोटे और दिखने में खराब थे और उन्हें अच्छी कीमत नहीं मिली।” .

उनके अनुसार, बाराबंकी के केले हमेशा आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के केलों की तुलना में बेहतर कीमत मिलती थी, लेकिन इस साल ऐसा नहीं था।

वो आगे कहते हैं, “अबकी बार हमारी केले की फसल का आकार छोटा रह गया जिससे मंडी में सही दाम नहीं मिल पाए पहले हमारे जिले के केला आंध्र प्रदेश ,महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों से आने वाले केले से 2,4 रूपया पर किलो महंगा बिकता था लेकिन अबकी बार केले में क्वालिटी ना होने के कारण सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं।”

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