लखनऊ। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा केला उत्पादन करने वाला देश है। पूरी दुनिया के उत्पादन में भारत का रकबा 15 फीसदी है, लेकिन विश्व के कुल उत्पादन में भारत का योगदान 25.88 फीसदी है। केला ऐसा फल है जो लगभग पूरे साल बिकता है। सेहत बनाने वाला ये फल किसानों के लिए नगदी फसल भी है। केले की एक एकड़ खेती में एक लाख से डेढ़ लाख रुपए की लागत आती है, और अगर सही तरीके से खेती की जाए तो इतनी ही खेत से डेढ़ से दो लाख रुपए का मुनाफा भी हो सकता है।
भारत में पिछले कुछ वर्षों में सबसे ज्यादा खेती आंध्र प्रदेश में होती है। इससे पहले तमिलनाडु केला उत्पादन में पहले स्थान पर था। दक्षिण भारत केले की खेती में अव्वल है। उत्पादन के मामले से आंध्र प्रदेश पहले, महाराष्ट्र दूसरे, तीसरे पर गुजरात, चौथे पर तमिलनाडु और पांचवें नंबर पर उत्तर प्रदेश और छठे नंबर पर कर्नाटक है।
आंध्र प्रदेश में साल 2020-21 के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक आंध्र प्रदेश में 108.1 हजार हेक्टेयर से करीब 1648.50 हजार टन उत्पादन का अनुमान है। साल 2017-18 में यहां 89 हजार हेक्टेयर में 5003.1 हजार टन उत्पादन हुआ था।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वर्षों में केले के उत्पादन में 8.35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। साल 2017-18 में 883.8 हजार हेक्टेयर में 30807.5 हजार टन केला हुआ जो साल 2020-21 में 922.9 हजार हेक्टेयर में 33379.4 होने का अनुमान है। देश में औसतन 875 से-900 हजार हेक्टेयर में केले की खेती होती है।
संसद के बजट सत्र के दौरान केले के खेती, उत्पादन और योजनाओं को लेकर अलग-अलग राज्यों के 13 सांसदों ने सवाल किए। जिसके जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सदन में बताया कि साल 2020-21 के अग्रिम बागवानी अनुमानों के मुताबिक देश में खेती का रकबा कुल 9.23 लाख हेक्टेयर है।
देश के प्रमुख राज्यों में केले का रकबा और उत्पादन
राज्य | 2017-18 | 2018-19 | 2019-20 | 2020-21 तृतीय अग्रिम अनुमान | ||||
रकबा | उत्पाद | रकबा | उत्पादन | रकबा | उत्पादन | रकबा | उत्पादन | |
आंध्र प्रदेश |
89.0 |
5003.1 | 103.7 | 5601.3 | 97.7 | 5861.7 | 108.1 | 6485 |
महाराष्ट्र | 80.9 | 4290.3 | 68.4 | 3562.4 | 76.9 | 4153.6 | 83.2 | 4628.9 |
गुजरात | 68.8 | 4472.3 | 70.2 | 4610.6 | 69.5 | 4627.5 | 59.2 | 3904.4 |
तमिलनाडु | 82.6 | 3205 | 85 | 3153.5 | 92.4 | 3986.7 | 97.8 | 3782.7 |
उत्तर प्रदेश | 69.4 | 3172.3 | 70.5 | 3222.6 | 72.6 | 3332.1 | 73.8 |
3387.5 |
सोर्स- कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय/लोकसभा- उत्पादन- हजार टन, रकबा- हजार हेक्टेयर
केले की खेती में प्राकृतिक आपदाओं (सूखा, बारिश बाढ़ आदि) से नुकसान को लेकर पूछे गए सवाल पर सरकार ने ब्यौरा तो नहीं दिया। अपने जवाब में कृषि मंत्री ने कहा ज्यादातर किसान पानी की उपलब्धता को देखते हुए खेती करते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा नुकसान की दशा में आर्थिक नुकसान की भरपाई की जाती हैं। वहीं किसानों के मुताबिक कई राज्यों में केला बीमा योजनाओं में शामिल है जबकि कई राज्यों में उसे बाहर रखा गया है।
देश में केले की खेती के लिए विशेष कार्यक्रम नहीं
सरकार के मुताबिक देश में अकेले केले की खेती के संबंध में विशेष कार्यक्रम या योजना नहीं है। लेकिन बागवानी मिशन, ड्रिप और स्प्रिकंलर, जैसी योजनाओं का फायदा दिया जाता है। सरकार ने कहा कि अलग से योजना नहीं है लेकिन किसानों को सामेकित बागवानी विकास मिशन (MIDH), एक जिला एक उत्पाद, पीएम कृषि सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पीएम किसान सम्मान निधि, किसान रेल, कृषि अवसंरचना फंड, एफपीओ, किसान रेल, आदि के जरिए किसानों को लाभ दिया जाता है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने भी कहा कि विभिन्न योजनाओं में कितने किसानों को फायदा मिला इसका डाटा नहीं है क्योंकि यह योजनाएं राज्य द्वारा संचालित होती हैं।
बागवानी के तहत मिलने वाली सब्सिडी
सामेकित बागवानी विकास मिशन के तहत किसानों को केले की पौध, टिशु कल्चर पौध, रोपण सामग्री, ड्रिप इरीगेशन के लिए छूट, एकीकृत पोषन प्रबंधन, एकीकृत कीट प्रबंधन आदि पर आने वाली कुल लागत जो 2-3 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर होती है, उसमे अधिकतम लागत के 40 फीसदी तक का भुगतान किया जाता है। ये सब्सिडी अलग-अलग योजनाओं और राज्यों में अलग-अलग हो सकती है। इसके अलावा किसानों को बागवानी के अंतर्गत कटाई, छंटाई, ग्रेडिंग और पैकिंग के साथ कूलिंग चैंबर स्थापना में भी अलग-अलग स्तर पर मदद मिलती है।
यूपी में तेजी से बढ़ा रकबा
पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में तेजी से केले का रकबा बढ़ा है। बाराबंकी, कौशांबी, फैजाबाद, बहराइच समेत कई जिलों में बड़े पैमाने पर केले की खेती होती है। यूपी में साल साल 2017-18 में केले का रकबा 69.4 हजार हेक्टेयर में जो 2020-21 में बढ़कर 73.08 हजार हेक्टेयर हो गया है वहीं समान अवधि में उत्पादन 3172.3 हजार टन से बढ़कर 3387.5 हजार टन हो गया है।
केले की खेती
केले की पौधों की जून से जुलाई तक रोपाई होती है। प्रति एकड़ करीब 1200 पौधे लगाए जाते हैं। जिनकी पौधे से पौधे की दूरी 6 फीट होती है। केले की फसल 13-14 महीने में तैयार होती है। केले में पानी (सिंचाई) की जरुरत ज्यादा होती है, हर 15-20 दिन पर सिंचाई (मिट्टी के अनुरूप) करनी पड़ती है, लेकिन जलभराव नहीं होना चाहिए। जलभराव से तनागलक रोग लग सकता है।
केले का निर्यात
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के मुताबिक भारत का केले का निर्यात मात्रा और मूल्य दोनों के लिहाज से बढ़ा है। 2018-19 में 1.34 लाख मीट्रिक टन केले का निर्यात हुआ था जिसकी कीमत 413 करोड़ रुपये थी। 2019-20 में निर्यात बढ़कर 1.95 लाख मीट्रिक टन हो गया जिसकी कीमत 660 करोड़ रुपए थी। 2020-21 (अप्रैल 2020-फरवरी 2021) में,भारत ने 619 करोड़ रुपये मूल्य के 1.91 लाख टन मूल्य के केले का निर्यात किया।