खीरे, बादाम और सरसों पैदा होने में मधुमक्खियों का भी हाथ, जानिए ऐसी पांच बातें

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खीरे, बादाम और सरसों पैदा होने में मधुमक्खियों का भी हाथ, जानिए ऐसी पांच बातेंइन सभी फसलों में मधुमक्खियों की बहुत अहम भूमिका है।

लखनऊ। अगर आपसे पूछें कि खीरे, बादाम और सरसों में क्या एक चीज सामान है तो आप सोच में पड़ जाएंगे। मगर आप जानकर हैरान होंगे कि यह सभी चीजें मुधमक्खियों की कर्जदार हैं। यानी इन सभी चीजों में मधुमक्खियों की बहुत अहम भूमिका है।

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दिलचस्प बात यह है कि सदियों से इन मधुमक्खियों ने खाद्य उत्पादन में अपनी सेवाएं दी हैं, बावजूद इसके अपनी पहचान सामने लाने में यह उतनी सफल नहीं रही हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि सभी धारीदार मधुमक्खियां खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को बढ़ाने में हमेशा से बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती आई हैं। आईये आपको इन्ही मधुमक्खियों के ऐसे पांच गुण बताते हैं जो कृषि और खाद्य उत्पादकता में बहुत सहयोग करती हैं।

खाद्य की मात्रा में करती हैं वृद्धि

मधुमक्खियां पूरे विश्व में लगभग 2 अरब छोटे किसानों के लिए खाद्य उत्पादकता बढ़ाने में मदद करती हैं। साथ ही दुनिया की आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करती हैं। कृषि क्षेत्र में किए गए शोध बताते हैं कि यदि मधुमक्खियों और अन्य कीटों की परागण की व्यवस्था छोटे विविध खेतों पर उचित रूप से की गई है तो फसल की पैदावार में लगभग 24 प्रतिशत की बढ़त पाई गई है।

परागण देता है स्वाद और पोषकता

फलों, सब्जियों और बीजों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की निर्भरता मधुमक्खी और अन्य कीटों के परागण पर होती है। यदि एक पौधे पर अच्छी तरह से परागण की क्रिया हुई है यानी बड़ी संख्या में परागण किया गया है तो वह फलों और सब्जियों को और भी रसभरा बनाता है। जैसे सेब फल में अच्छा परागण होने पर ही वे उतने ही रसभरे होते हैं। यही प्रक्रिया अन्य फलों, सब्जी और बीजों में होती है। सरल शब्दों में उनके गुणों और स्वाद में बढ़ोत्तरी करता है।

मधुमक्खियों को चाहिये बेहतर वातावरण

परागण के लिए मधुमक्खियों को उचित वातावरण की जरूरत होती है। यानी आवश्यकता होती है कि वे ऐसे अच्छे वातावरण रहे, जहां उनको प्राकृतिक रूप से भोजन और गैर विषेला वातावरण मिले। 100 साल पहले छोटे, विविध और कीट नाशक मुक्त प्रणाली ने परागण के लिये यह सिद्ध भी किया है। मधुमक्खियों और कीटों के बेहतर परागण के लिये यह प्रणाली आज भी केन्या जैसे विकासशील देशों में मिल सकती है। ऐसे में कृषि, फलों और सब्जियों की उत्पादकता पर बेहतर असर दिखाई पड़ता है।

सबसे बड़ी समस्या एक यह भी

खेती, फलों व सब्जियों की उत्पादकता के साथ उनकी पोषकता और गुणवत्ता पर हाल में काफी गिरावट आई है। ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि पिछले कुछ सालों से मौसम में परिवर्तन के चलते खेती में तेजी से कीटनाशक दवाओं का उपयोग बढ़ा है। ऐसे में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर काफी गिरावट आई है। मधुमक्खियों और अन्य कीटों के परागण में कमी की वजह से खाद्य पदार्थों की पोषकता पर भी असर सामने आया है।

किसानों और सरकार पर सुरक्षा की निर्भरता

एक तरफ जहां किसानों को मधुमक्खियों और अन्य कीटों के लिए बेहतर परागण के वातावरण की व्यवस्था करनी चाहिए। इसके लिए किसानों को प्राकृतिक स्थान क्षेत्र बनाने के साथ कीट नाशकों का उपयोग नहीं करना होगा। इससे किसानों को उनकी फसलों में अच्छा पैदावार के साथ गुणवत्ता मिलेगी तो दूसरी तरफ सरकार को कीटनाशक दवाओं और जहरीले कैमिकल की निर्भरता को खेती में दूर करना होगा। ताकि देश के लोगों को बेहतर और पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ मिल सके। इसके लिए सरकार को किसानों को अच्छी तकनीक के साथ समय-समय पर प्रशिक्षण देना होगा।

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