भारत को अपनाने चाहिए जीएम खाद्य: अमेरिकी वैज्ञानिक

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भारत को अपनाने चाहिए जीएम खाद्य: अमेरिकी वैज्ञानिकgaonconnection

नई दिल्ली (भाषा)। भारत जहां आनुवंशिक रुप से रुपांतरित (जीएम) सरसों के रुप में पहली आनुवंशिक संवर्द्धित फसल खेतों में लाने या न लाने को लेकर रस्साकशी में उलझा है, वहीं एक शीर्ष अमेरिकी जेनेटिक इंजीनियर और भारत सरकार के सलाहकार भारत में एक बायोटेक दिग्गज के रुप में उभरने की क्षमताओं को रेखांकित रहे हैं।

इंदर वर्मा कैलिफोर्निया स्थित प्रसिद्ध सॉक इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज में काम करते हैं और जीन थेरेपी एवं कैंसर रिसर्च के पुरोधा हैं। उनका मानना है कि जीएम सरसों भारत के लिए अच्छी है क्योंकि यह खाद्य तेल के आयात का खर्च कम कर सकती है। वह एक भारतीय कंपनी द्वारा जीका वायरस के खिलाफ टीका विकसित किए जाने से भी उत्साहित हैं। इस समय वर्मा अमेरिकी विज्ञान जर्नल ‘द प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस) के संपादक हैं।

उनके साक्षात्कार के अंश इस प्रकार हैं-       

प्रश्न- भारत जीएम सरसों को लाने या न लाने के असमंजस में है। इसपर काफी बहस है। उच्चतम न्यायालय में भी एक याचिका लंबित है। क्या आपको लगता है कि भारत को किसान के खेतों में जीएम सरसों लानी चाहिए?       

उत्तर- मेरा मानना है कि जीएम खाद्य बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि दुनिया बड़ी हो रही है, ज्यादा लोग पैदा हो रहे हैं और हमें एक बेहतर गुणवत्ता वाले भोजन की जरुरत है। मैं जीएम खाद्य का एक बड़ा समर्थक हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यदि आप दुनिया का पेट भरना चाहते हैं तो ये एक अनिवार्य जरुरत हैं।

प्रश्न- तो क्या भारत को जीएम खाद्य को अपना लेना चाहिए?       

उत्तर- मेरी राय में, भारत को जेनेटिक इंजीनियरिंग को अपनाना चाहिए क्योंकि जमीन सीमित है, पानी सीमित है और उर्वरक भी सीमित ही हैं। ऐसे में इतने सारे लोगों का पेट भरने का एक ही तरीका है। ऐसा आनुवंशिक रुप से संवर्द्धित पौधों के जरिए ही किया जा सकता है। जीएम सरसों ऐसा ही एक पौधा है क्योंकि यह कम पानी का इस्तेमाल करता है और उत्पाद ज्यादा देता है, तो निश्चित तौर पर यह भारत के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न- हाल ही में एक भारतीय कंपनी भारत बायोटेक लिमेटेड (हैदराबाद) के जीका वायरस के लिए टीका (कैंडीडेट वैक्सीन) खोजने वाली दुनिया की पहली कपंनी बनने की घोषणा की गई थी। कृष्णा ईला के नेतृत्व वाली इस कंपनी के पास इसपर दो पेटेंट भी हैं। एक मॉलिक्युलर बायोलॉजिस्ट (आणविक जीव विज्ञानी) के तौर पर क्या भारत का बढ़त हासिल करना आपको उत्साहित करता है?

उत्तर- मैं बेहद उत्साहित हूं। खासतौर पर इसलिए क्योंकि मैं जानता हूं कि कृष्णा ईला काफी समय से इसपर काम कर रहे थे। वह हेपेटाइटिस वायरस और रोटा वायरस पर काम कर चुके हैं। ऐसे में अगर वे कहते हैं कि ऐसा एक जीका का टीका विकसित किया गया है तो मुझे लगता है कि यह शानदार है।

यह दिखाता है कि बौद्धिक क्षमता होने पर किस तरह से सभी देश भागीदारी कर सकते हैं। यह एक अच्छी मिसाल है। इस समय दुनिया को जीका वायरस का टीका चाहिए, खासतौर पर इसलिए क्योंकि ब्राजील में ओलंपिक खेलों का आयोजन होने जा रहा है। मैं वाकई इस बात को लेकर उत्साहित हूं कि यदि ऐसा टीका वहां होता है और प्रभावी साबित होता है तो यह शानदार होगा।

प्रश्न- क्या जीका वायरस का टीका भारतीय कंपनी द्वारा विकसित किया जाना एक बड़ी छलांग है?

उत्तर- जब मैंने इस ख़बर को पहली बार पढ़ा, तो मैं बहुत खुश था क्योंकि भारत ने ऐसा एक टीका बना लिया था, जिसके बारे में दूसरे देश सिर्फ सोच ही रहे थे। भारत बायोटेक जीका वायरस का टीका इसलिए विकसित कर सकी क्योंकि उसके पास व्यापक अनुभव हैं। इससे पहले वे कई अन्य वायरसों के लिए भी टीके बना चुके हैं, जिनमें चिकुनगुनिया और रोटा वायरस शामिल हैं। यदि टीका किए जा रहे दावों के अनुरुप अच्छा साबित होता है तो कई लोग इस बात से प्रभावित होंगे कि भारत ऐसा शीर्ष स्तर का टीका विकसित कर सकता है।

 

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