भारतीय किसान उरुग्वे से सीखें स्मार्ट खेती का नुस्खा

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भारतीय किसान उरुग्वे से सीखें स्मार्ट खेती का नुस्खाgaonconnection

मोंटेवीडियो। उरुग्वे भले ही एक छोटा राष्ट्र हो लेकिन खेती किसानी के मामले में विकसित राष्ट्रों से भी कहीं ज्यादा आगे हैं। यहां का मौसम बाक़ी दूसके देशों के मुक़ाबले काफ़ी संयमित है। उरुग्वे अर्जेंटीना और ब्राजील के बीच बसा है। प्रति व्यक्ति कृषि भूमि के मामले में उरुग्वे दुनिया के बाकी मुल्कों से कहीं आगे है। कहा जाता है कि ये एक ऐसा देश है जहां प्रति व्यक्ति चार गाएं हैं और हर एक गाय के कान पर इलेक्ट्रॉनिक चिप लगी हुई है।

चाहे फसल की बुआई हो या कटाई उरुग्वे के किसान छोटे से छोटे कृषि कार्य के लिए उन्नत तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। उरुग्वे की राजधानी मोंटेवीडियो फसलों की कटाई के लिए ऑटो पायलट हारवेस्टर का इस्तेमाल करते हैं जिससे हर मिलीमीटर फसल की कटाई का हिसाब निकाला जा सकता है। मशीन के अंदर बैठा किसान हारवेस्टर चलाने के साथ-साथ कटाई का आंकड़ा अपनी स्क्रीन पर देख सकता है। ताकि बीते साल की पैदावार से मौजूदा साल की उपज की तुलना की जा सके। इकट्ठा हुए आंकड़ों के जरिए किसान प्रति वर्ग मीटर की पैदावार का विश्लेषण करे सकेंगे।

इसी क्षेत्र के एक किसान गाब्रिएल कारबालल कहते हैं, ''हमारे लिए कटाई की जानकारी उतनी ही अहम है जितनी फसल।'' 1999 से 40 साल के कारबालल ने परिवार के खेत पर काम करना शुरू किया। शुरुआत में वो पारंपरिक विधियों का इस्तेमाल करते थे। कारबालल ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि बाद में जब रोपण तकनीक, मशीनों और फसल प्रबंधन की तकनीकों में क्रांति आई तो उसके कारण दशक भर में ही उनकी पैदावार दोगुनी हो गई।

इसका श्रेय अनुवांशिक तरीके से तैयार बीज, हाईटेक मशीनों और सीधी बुवाई को जाता है। सीधी बुवाई एक ऐसी तकनीक है जिसमें बीजों को पिछले साल के इस्तेमाल किए गए खेत में बोया जाता है और मिट्टी की रक्षा के लिए कम से कम जुताई की जाती है। आधुनिक और देसी कृषि की तकनीक को एक साथ मिलाकर उरुग्वे के किसानों ने कृषि भूमि को लगभग तीन गुना बढ़ाकर 15 लाख हेक्टेयर कर दिया है। तकनीक और उत्पादन बढ़ाकर 2005 में ही उरुग्वे 90 लाख लोगों के लिए पर्याप्त अनाज पैदा करता था, आज की तारीख में उसकी क्षमता बढ़कर 2.8 करोड़ लोगों तक पहुंच गई है। सरकार ने लक्ष्य को और बढ़ाकर 5 करोड़ कर दिया है जो कि देश की आबादी का 15 गुना है।

कृषि मंत्री तबारे आगुएरे के मुताबिक, ''हम मिट्टी का इस्तेमाल अधिक गहनता से कर रहे हैं। हमारे पास 50 साल से भी अधिक का शोध है जो मिट्टी के कटाव और उसकी गुणवत्ता के बारे में बताता है। हम ऐसी सार्वजनिक नीतियां बना पाए हैं जो कटाव की भविष्यवाणी के लिए गणितीय मॉडल का इस्तेमाल करती है।''

इस मॉडल की मदद से सरकार मिट्टी के इस्तेमाल को नियमित करती है। किसान इन नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं इसको सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन और सैटेलाइट का इस्तेमाल किया जाता है। कृषि मंत्री बताते हैं, ''इसका विकास सार्वजनिक नीति के तौर पर किया गया है लेकिन जमीनी स्तर पर इसे लागू करने के लिए 500 निजी कृषिविज्ञान इंजीनियर लगे हैं।''

   

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