कोरोना लॉकडाउन में छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को बड़ी राहत मिली है। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने लॉकडाउन में वनवासियों से महुआ की खरीदी 17 की बजाए 30 रुपए में करने का फैसला लिया है। इस फैसले से 40 लाख आदिवासियों को फायदा पहुँचने की उम्मीद है।
हाल में छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने वन विभाग के समस्त अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये बैठक की। इस बैठक में वन मंत्री ने वन धन योजना के तहत महुआ फूल की खरीदी 30 रुपए में करने का आदेश आधिकरियों को दिया। साथ ही वन मंत्री ने सभी महिला सेल्फ हेल्फ ग्रुप और प्रबंधकों से अनुरोध किया है कि वे अधिक से अधिक मात्रा में महुआ फूल का क्रय करें।
छत्तीसगढ़ में महुआ आदिवासियों के लिए आमदनी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और वन सम्पदा ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। वनों में आदिवासी महुआ का संग्रहण कर इसे सूखाकर समर्थन मूल्य में बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं। सरकार ने महुआ का समर्थन मूल्य बढ़ाकर आदिवासियों को लॉकडाउन के दौरान राहत दी है।

सरकार के इस फैसले से वनवासियों में ख़ुशी की लहर है। आदिवासी किसान कुमार मंडावी ‘गाँव कनेक्शन’ से बताते हैं, “इस साल मौसम की वजह से महुआ की फसल को कई जगह नुकसान पहुंचा है। ऐसे संकट के समय में सरकार का यह फैसला जरूर हम लोगों को राहत देगा। यह कदम सराहनीय है। “
वहीं उत्तर बस्तर के ग्राम पलेवा के आदिवासी किसान घनश्याम जुर्री कहते हैं, “लॉकडाउन के समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाने का यह बहुत अच्छा कदम है। इससे आदिवासियों के जीवन मे सुधार आएगा। आदिवासियों को उनके जंगल से मिलने वाले वनोपज का अगर सही दाम ही मिल जाये तो उन्हें किसी भी प्रकार का दिक्कत नहीं होगी।”
हालाँकि बैठक में वन मंत्री ने आधिकरियों को यह भी निर्देश दिए कि महुआ फूल क्रय करते समय आस-पास में कम से कम तीन फ़ीट की दूरी रखें और सोशल डिस्टेंस का विधिवत पालन करते हुए मास्क आदी का प्रयोग ज़रूर करें।
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