बायोपेस्टीसाइड: वैज्ञानिक बोले फसलों में एक बार डालने पर कई वर्षों तक रहता है असर, पैदावार होती है अच्छी

Ashwani NigamAshwani Nigam   8 Jan 2017 1:59 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
बायोपेस्टीसाइड: वैज्ञानिक बोले फसलों में एक बार डालने पर कई वर्षों तक रहता है  असर, पैदावार होती है अच्छीकीट और रोग के लिए इस्तेमाल करें बायोपेस्टीसाइड्स। फोटो: महेंद्र पाण्डेय

लखनऊ। देश में हरित क्रांति के बाद कृषि उत्पादन और उत्पादकता में निरंतर वृद्धि हुई है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में देखने में यह आ रहा है कि इसमें अब ठहराव आ गया है। फलसों में लगने वाले कीट, रोग और खरपतवार के नियंत्रण के लिए रासायनिक दवाओं से फसल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कार्यक्रम के तहत वनस्पति संरक्षण योजना को चला रहा है। जिसमें किसानों को कृषि रक्षा रासायनों की जगह बायोपेस्टीसाइड्स का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है। इस पर किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान भी दिया जा रहा है। किसानों से कृषि विभाग ने कहा है कि रासायनिक पेस्टीसाइड का कम से कम इस्तेमाल करें। उसकी जगह पर बायोपेस्टीसाइड्स में ट्राइकोडरमा हारजियनम, ब्यूवेरिया, एनपीवी, स्यूडोमोनास, फ्लोरीसेंस, मेटराइजियस एनिसोप्ली, वर्टिलियम लैकानी और ट्राइकोग्रामा कार्ड का उत्पादन करके फसलों को बचाने में इस्तेमाल करें।

कृषि विभाग के निदेशक ज्ञान सिंह ने बताया “कृषि विभाग ने प्रदेश के किसानों में बायोपोस्टीसाइड्स और बायोएजेंट्स के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए अभियान भी चला रहा है। इसके लिए किसानों को अनुदान भी दिया जा रहा है।” आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रोद्यागिकी विश्वविद्यालय के प्लांट पैथोलाजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डाॅ. सुशील कुमार सिंह ने बताया “रासायनिक पेस्टीसाइड के इस्तेमाल से सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि इसके इस्तेमाल से पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जबकि बायोपेस्टीसाइड का फायदा यह है अगर इसका एक बार उपयोग किया गया तो असर लम्बे समय तक रहता है और फसलों को सालों तक बीमारियों से बचाता है।”

उत्पादन में भी होगी वृद्धि

कृषि विभाग के निदेशक ज्ञान सिंह ने बताया कि रासासयनिक पेस्टीसाइड्स जगह पर किसान अगर बायोपोस्टीसाइड्स और बायोएजेंट्स का उपयोग करके खरीफ और रबी की प्रमुख फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं। इस बारे में जानकारी देते हुए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. आरसी दोहरे ने बताया कि जैविक कंट्रोल विधि जिसमें प्रमुख रूप से टाइको कार्ड के जरिए फसलों में लगने वाले कीटों से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गन्ना के साथ ही इसका कई फसलों पर परीक्षण हुआ है और सभी में अच्छा परिणाम भी मिला है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि कृषि उत्पादन पूरी तरह रासायनिक रहित होता है।

रसायन से उत्पादन पर पड़ रहा है असर

आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रोद्यागिकी विश्वविद्लाय के मृदा विज्ञान और एग्रीकल्चरल केमेस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. आलोक कुमार ने बताया कि केमिकल पेस्टीसाइड के इस्तेमाल से मृदा की संरचना भी बदल रही है। फसलों के लिए मृदा के जो उपयोगी अवयव हैं उसको यह प्रभावित कर रहा है। जिससे उत्पादन पर असर पड़ रहा है। ऐसे में अगर किसान केमिकल पेस्टीसाइड की जगह बायोपेस्टीसाइड्स या बायोएजेंट्स का उपयोग करते हैं तो यह कृषि के लिए आने वाले दिनों में बेहतर परिणाम देगा।

        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.