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मध्य प्रदेश: 15 साल में पहली बार क्यों परेशान हैं ‘गोभी वाले गाँव’ के किसान

हर साल लगभग 50 हजार मीट्रिक टन से भी ज्यादा अकेले फूल गोभी का उत्पादन करने वाले मध्य प्रदेश के सतना जिले के किसान इस बार चिंतित हैं। वजह है फूलगोभी की पत्ते तो हरे-भरे हैं लेकिन उसमें फूल बहुत कम लग रहे हैं।
#Cauliflower

सतना (मध्य प्रदेश)। करीब 15 सालों से खरीफ की उड़द, मूंग, तिल और धान जैसी फसलों के साथ ही ज्यादा मुनाफे के लिए फूलगोभी के खेती करने वाले किसान इस साल की फसल का रुख देख कर परेशान हैं। फूल गोभी की फसल में इस बार पत्तियां तो खूब हरी-भरी हैं, लेकिन फूल बहुत कम आए हैं।

अपने गोभी के खेत में गुड़ाई कर रहे राम सिया कुशवाहा (46 वर्ष) ने गांव कनेक्शन को बताया, “15-20 सालों से धान के अलावा फूल गोभी की खेती करते आ रहे हैं। यह पहली बार है जब गोभी में समय पर फूल नहीं आये हैं। यह दो महीने की फसल है लेकिन इस बार खराब हो गई।”

राम सिया कुशवाहा मध्यप्रदेश के सतना जिले के गांव भर्री के बटाईदार किसान हैं। उन्होंने 3 एकड़ में फूलगोभी लगा रखी है। उनके गाँव और आप-पास के कई गाँवों में किसान गोभी की खेती करते हैं।

राम सिया आगे कहते हैं, “रोजमर्रा की जरूरत को पूरा करने के लिए फूल गोभी की खेती करते हैं। इस साल 8000 रुपये का बीज लिया था। लेकिन खराब हो गया।”

मध्य प्रदेश में करीब 293.40 लाख हेक्टेयर में फूल गोभी की खेती होती है इसमें सतना ज़िला में लगभग 2000 हेक्टेयर का सहयोग करता है। यह रकबा लगातार बढ़ भी रहा जबकि उत्पादन 50 हज़ार मीट्रिक टन से भी ज्यादा है। उद्यान विभाग के उपसंचालक नारायण सिंह कुशवाहा ने तृतीय अनुमान वर्ष 2021 के आँकड़े साझा करते हुए बताया।

सतना जिले में फूल गोभी का दोनों सीजन के कुल रकबा 1812.000 हेक्टेयर है जिसमें से खरीफ का 579.000 (इकाई हज़ार) हेक्टेयर और रबी सीजन के 1233.000 हेक्टेयर है। उत्पादन की बात करें तो कुल 51833.000 मीट्रिक टन है जिसमें खरीफ 4905.000 मीट्रिक टन और रबी का 43632.000 मीट्रिक टन है।

दूसरी फसलों के नुकसान की भरपाई करने के लिए लगाते हैं गोभी

खरीफ सीजन की धान, तिल, उड़द, मूंग जैसी खेती से होने वाले घाटे को कवर करने के लिए किसान बड़ी मात्रा में सब्जियां भी लगा रहे हैं। हर साल किसान सितंबर से अक्टूबर के महीने में गोभी की फसल लगाते हैं, लेकिन इस बार किसानों ने अगस्त में ही फसल लगा दी थी।

सतना जिले के घोरहटी के किसान राज बहादुर कुशवाहा (26 साल) बताते हैं, “बरसाती सीजन की मूंग, उड़द, धान की फसल को मौसम की मार झेलनी पड़ती है। उसका थोड़ा बहुत घाटा कवर करने के लिए सब्जियां लगाते हैं। इसमें भी फूल गोभी ज्यादा। इस बार फूल भी नहीं आया और अब पत्तों को भी कीड़े लग गए। कीटनाशक डालने का यह अलग से खर्च करना पड़ रहा है।”

75 फीसदी किसान कर रहे फूल गोभी की खेती

सतना जिले केउचेहरा ब्लॉक के 75 फीसदी किसान खरीफ सीजन में अनाज के अलावा सब्जियां उगा रहे हैं। उचेहरा ब्लॉक के भर्री, तुर्री, अटरा, घोरहटी और डढ़िया गांव को गोभी वाले गांव के नाम से भी लोग पुकारते हैं।

15 सालों से फूल गोभी की खेती करने वाले रामसिया अपनी बातों में आगे जोड़ते हैं और खेतों की ओर इशारा करते हुए बताते हैं, “करीब 500 एकड़ में फूल गोभी की खेती हो रही है। कुछ तो 15 सालों से करते आ रहे हैं कुछ पिछले आठ सालों से। इस तरह से यहां के पांच गांव के 75 फीसदी किसान फूल गोभी लगा रहे हैं। यह यहां अब चलन में है। किसान एक-दूसरे की देखा देखी फूल गोभी उगा रहे हैं।”

भर्री के किसान विनीत कुशवाहा (32 वर्ष) 6000 रुपए का बीज ही लाए थे, लेकिन तब फूल ही नहीं लगे तो खेत जुतवा दिया। वो कहते हैं, “जुलाई माह में फूल गोभी की बुवाई की थी। बाजार से 6000 का बीज लाये थे। बोए थे लेकिन फूल नहीं आया। इसलिए पिछले दिनों जुताई कर दी।” 

खाद भी डाल रहे ताकि किसी तरह आये गोभी में फूल

गोभी का पौधा भले ही ठीक दिख रहा हो लेकिन फूल न आने से किसान के चेहरे भी कुम्हलाए हुए हैं। पौधे में फूल आ जाये इसके लिए जतन में लगाए हैं। 

डढ़िया के किसान मुन्ना वर्मा (38 वर्ष) ने फूल गोभी के खेत में यूरिया खाद डालते हुए बताते हैं, “आठ साल से फूल गोभी की खेती कर रहे हैं। अब तक सब बढ़िया चल रहा था इस साल पौधा तो काफी अच्छा है (देखने का इशारा भी किया) लेकिन फूल नहीं आ रहा है। इसलिए यूरिया डाल रहे हैं। ताकि किसी भी तरीके से इसमें फूल आ जाये।”

देरी की फसल को पहले बोने का नतीजा

उद्यानिकी वैज्ञानिकों का मानना है कि फूल गोभी में फूल न आने की वजह एक ही है किसान जल्दी उत्पादन चाहता है और वह पहले बो देता है।

रीवा जिले के उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. राजेश सिंह ने टेलीफोन पर बताते हैं, “गोभी में फूल न आने की बड़ी वजह किसानों द्वारा जल्दी बुवाई करना है। आपने जो फील्ड में देखा होगा वह फसल जुलाई के अंतिम सप्ताह की हो सकती है। जबकि यह केवल 60 दिनों की ही फसल है। इतने दिन में फूल बढ़िया आ जाते हैं।”

खेत में फूल लाने के लिए यूरिया की अधिक मात्रा डालने पर डॉ सिंह कहते हैं, “किसानों को बिल्कुल भी यूरिया नहीं उपयोग में लानी चाहिए। इससे पौधा और बढ़ सकता है जिससे फूल प्रभावित होगा।”

“विंध्य में फूल गोभी की खेती बढ़ रही है। सतना जिले के उचेहरा, नागौद, अमरपाटन रीवा जिले हनुमना और अब सीधी जिले में भी हो रही है, “डॉ. सिंह अपनी बातों में आगे जोड़ते हैं।

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