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हरे चारे की टेंशन छोड़िए, घर पर बनाएं साइलेज, सेहतमंद गाय भैंस देंगी ज्यादा दूध

milk production

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क/गाँव कनेक्शन

लखनऊ। अपने दुधारु पशुओं को पूरे साल हरा चारा उपलब्ध करा पाना पशुपालकों के लिए एक बड़ी चुनोती बनता जा रहा है। ऐसे में पशुपालक घर पर ही साइलेज बनाकर अपने पशुओं को पूरे साल हरा चारा उपलब्ध करा सकते है। इसके लिए सरकारी मदद भी मिलती है।

“यहां के ज्यादातर पशुपालक साइलेज नहीं बनाते है। लेकिन साइलेज एक बहुत अच्छा विकल्प है। इससे पशुपालक घर बैठे ही पशुओं को हरा चारा उपलब्ध करा सकते है। साइलेज से पशुओं के दुग्ध उत्पादन भी अच्छा होता है।इसमें ज्यादा लागत भी नहीं आती है।” ऐसा बताते हैं, पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश के उपनिदेशक डॅा वी.के सिंह।

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अच्छे दुग्ध उत्पादन के लिए दुधारु पशुओं के लिए पौष्टिक दाने और चारे के साथ हरा चारा खिलाना बहुत जरुरी है। हरे चारा पशुओं के अंदर पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है। एक दुधारू पशु जिस का औसत वजन 550 किलोग्राम हो, उसे 25 किलोग्राम की मात्रा में साइलेज खिलाया जा सकता है। भेड़-बकरियों को खिलाई जाने वाली मात्रा 5 किलोग्राम तक रखी जाती है।

साइलेज बनाने के लिए सरकार द्वारा चल रही योजना के बारे में डॅा सिंह ने बताया, “विभाग द्वारा यूरिया ट्रीटमेंट किट और साइलेज बनाने के लिए किट दी जाती है। अगर कोई पशुपालक साइलेज बनाना चाहता है तो उसका प्रशिक्षण भी ले सकता है। अगर किसी भी जिले का पशुपालक साइलेज तैयार करना चाहता है तो वो अपने मुख्यपशुचिकित्साधिकारी से संपर्क कर सकता है। और अपने निकट पशुचिकित्सालय में भी संपर्क कर सकते है। साइजेल बनाने लिए कृषि विज्ञान केंद्रों में भी प्रशिक्षण भी दिया जाता है।

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पशुओं को साइलेज खिलाते समय क्या करना चाहिए इस बारे में डॅा सिंह बताते हैं, ” शुरुआत में पशु साइलेज ज्यादा नहीं खा पाता है लेकिन बार-बार देने से वह उसे चाव से खाने लगता है। जब चारे की कमी हो तो साइलेज खिलाकर पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। पशु को साइलेज खिलाने के बाद बचे हुए हिस्से को भी हटा देना चाहिए। अगर भूसा दे रहे हो तो उस हिस्से को उस में मिलाकर दे दें।”

किन-किन फसलों से बना सकते है साइलेज

साइलेज बनाने के लिए सभी घासों से या जिन फसलों में घुलनशील कार्बोहार्इडे्रटस अधिक मात्रा में होती हैं जैसे ज्वार मक्की, गिन्नी घास नेपियर सिटीरिया आदि से तैयार किया जा सकता है। साइलेज बनाते समय चारे में नमी की मात्रा 55 प्रतिशत तक होनी चाहिए। साइलेज जिन गड्ढ़ों में भरा जाता है। उन गड्ढ़ों को साइलोपिटस कहते है। गड्ढा (साइलो) ऊंचा होना चाहिए और इसे काफी सख्त बना लेना चाहिए। साइलो के फर्श और दीवारें पक्की बनानी चाहिए और अगर पशुपालक पक्की नहीं कर सकता तो लिपाई भी कर सकता है।

पशुपालक इस तरह बना सकते है साइलेज

साइलेज बनाने के लिए जिस भी हरे चारे का इस्तेमाल आप कर रहे हो उसको 2 से 5 सेन्टीमीटर के टुकड़ों में काट कर कुटटी बना लेना चाहिए। ताकि ज्यादा से ज्यादा चारा साइलो पिट में दबा कर भरा जा सके। अब उस कुट्टी किए हुए चारे को दबा-दबा भर दें। ताकि बरसात का पानी अंदर न जा सके। फिर इसके ऊपर पोलीथीन की शीट बिछाकर ऊपर से 18-20 सेमी मोटी मिट्टी की पर्त बिछा देनी चाहिए। इस परत को गोबर व चिकनी मिट्टी से लीप दिया जाता है और दरारें पड़ जाने पर उन्हें मिट्टी से बन्द करते रहना चाहिए ताकि हवा व पानी गड्ढे में न पहुंच सके। लगभग 50 से 60 दिनों में यह साइलेज बनकर तैयार हो जाता है। गड्ढे को एक तरफ से खोलकर मिट्टी और पोलोथीन शीट हटाकर आवश्यकतानुसार पशु को खिलाया जा सकता है। साइलेज को निकालकर गड्ढे को फिर से पोलीथीन शीट और मिटटी से ढ़क देना चाहिए और धीरे-धीरे पशुओं केा इसका स्वाद लग जाने पर इसकी मात्रा 20-30 किलो ग्राम पति पशु तक बढ़ायी जा सकती है ।

साइलेज बनाता किसान। फोटो- साभार

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इन बातों को रखें ध्यान

  1. साइलेज बनाने के लिए जो यूरिया है उसको साफ पानी में और सही मात्रा के साथ बनाना चाहिए।
  2. घोल में यूरिया पूरी तरह से घुल जाना चाहिए।
  3. पूरी तरह जब तैयार हो जाए तभी पशुओं को साइलेज खिलाएं।
  4. यूरिया के घोल का चारे के ऊपर समान रूप से छिड़काव करना चाहिए।

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