नई तकनीकी से पानी बचा रहे चीन के किसान, कार्ड स्वैप करिए, पानी खेतों में पहुंच जाएगा

Mithilesh DharMithilesh Dhar   10 July 2018 8:13 AM GMT

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नई तकनीकी से पानी बचा रहे चीन के किसान, कार्ड स्वैप करिए, पानी खेतों में पहुंच जाएगापाइप लाइन सुधारते मैकेनिक।

चीन एक पानी की कमी वाला देश है। चीन में प्रतिव्यक्ति के हिसाब पर्याप्त पानी नहीं है। यहां प्रति व्यक्ति जल संसाधन वैश्विक औसत के एक चौथाई या 2,100 घन मीटर है। ऐसे में जब पानी की सप्लाई दूर-दराज इलाकों में की जाती है और जलवायु परिवर्तन होता है तो पानी की समस्या और विकराल रूप ले लेती है। बावजूद इसके चीन ने ऐसी तरकीब इजाद की है जिससे किसानों को समुचित पानी तो मिल ही रहा है साथ ही पानी की बर्बादी भी रुक रहा है। चीन ने वर्ल्ड बैंक की सहायता से कई प्रांतों में कार्ड स्वैप के जरिए पानी लेने की सुवधा शुरू की है। इसके तहत आपको आपके जरूरत के हिसाब पानी दिया जाएगा साथ पानी की बर्बादी भी रोकी जा रही है।

सिंचाई से होने वाला कृषि कार्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है और इस पर लगभग 50 प्रतिशत आबादी आश्रित है। चीन कुल पानी का 60 प्रतिशत हिस्सा सिंचाई में प्रयोग करता है। सिंचाई में पानी की बर्बादी रोकने और पानी की सही मात्रा सुनिश्चित करने के लिए चीन वर्ल्ड बैंक की मदद से योजना चला रहा है।

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वर्ल्ड बैंक ने अपने साइट पर बताया है कि 2012 से 2016 के बीच वर्ल्ड बैंक की मदद से चीन हेबई, शांक्सी और निंगक्सिया प्रांतों में जल संरक्षण प्रोजेक्ट-2 पर काम कर रहा है। इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पानी की समस्या होती है। वर्ल्ड बैंक ने इस योजना के लिए चीन को 800 करोड़ रुपए की वित्तिय सहायता भी दी है। योजना के तहत किसानों को पानी के सही उपयोग और उनके संरक्षण के बारे में सिखाया जा रहा है। इसका लाभ इन क्षेत्रों के किसानों को मिलना शुरू हो गया है। पहले कई जगहों पर पर्याप्त पानी न होने से कई फसलों की पैदावार पर प्रभाव पड़ता था लेकिन अब इन जगहों पर स्थिति सामान्य है। जल और स्वच्छता विशेषज्ञ और परियोजना के प्रमुख सिंग चो कहते हैं कोशिश करते हैं कि वाष्पीकरण को कम किया जाए और फसलों के लिए पर्याप्त पानी मुहैया हो। हम किसानों को पानी बचाने के तरीके भी सिखाते हैं और उन्हें एसी फसलों के लिए प्रेरित कर रहे हैं जिसमें पानी की खपत कम हो और फायदा भी ज्यादा हो। हेबई में गन्ने की पैदावार सबसे ज्यादा होती है, लेकिन यहां पानी की समस्या है।

कम पानी में हो रही अच्छी पैदावार।

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देश के अन्य जगहों की अपेक्षा यहां प्रति व्यक्ति के हिसाब से भी पानी की कमी है। किसानों को यहां गन्ने से आर्थिक फायदा ज्यादा होता है इसलिए यहां पानी की मांग भी ज्यादा है, लेकिन पानी उपलब्धता की अनिश्चितता के कारण किसान परेशान रहते हैं। कुछ जगहों पर वाटर लेवल भी नीचे है। पानी कर स्तर हर साल 1 से 2 मीटर तक नीचे जा रहा है। सिंचित कृषि इसके लिए एक प्रमुख कारण है क्योंकि यह कुल पानी के उपयोग का 75% हिस्सा है। हेबई प्रांत के 10 काउंटीज और 326 गांव और 3 लाख 22 हजार की आबादी 26456 हेक्टेयर खेती की जमीन पर जल संरक्षण कर रही है। इसके लिए 262 किमी की सिंचाई नहर बनाई गई है और 3283 किमी तक पाइप लाइन बिछाई गई है।

पानी के प्रबंधन के लिए कृषि समुदायों को सशक्त बनाया जा रहा

2016 में गुआंटाओ प्रांत के यूझाई गांव में वाटर यूजर एशोसिएशन (डब्लूयूए) जलसंक्षण योजना शुरू की गई थी। यूझाई इस योजना का लाभ पाने वाला पहला प्रदेश है। यहां 270 किसानों के घर हैं जिसमें 1320 निवास करते हैं। किसानों ने 330 एकड़ में गेहूं की पैदावार की। पहले ये क्षेत्र बहुत कम था। 2012 में इस गांव में जल संरक्षण के तहत पाइप लाइन बिछाई गई थी, अब यहां खेती भी हो रही और पानी की बचत भी। डब्लूयूए के चयन अधिकारी झाओ जियांगांग ने बताया कि 2013 से डब्ल्यूयूए के प्रमुख रूप से सिंचाई के लिए पानी को मैनेज करना शुरू किया। पहले लोग पानी के लड़ते थे जिससे कहीं न कहीं फसलों को नुकसान पहुंचता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है। डब्ल्यूयूए इस योजना के तहत प्रयोग में आने वाले पानी की व्यवस्था देखने के साथ खर्च भी देख रहा है। डब्ल्यूयूए के पास तकनीकी रूप से ऐसे दक्ष लोग हैं जो पाइप लाइन की समस्या को ठीक करते हैं।

जहां पहले पानी की समस्या थी वहां अब सभी फसलें हो रही हैं।

कंप्यूटर में दर्ज रहती है सारी जानकारी

गांवों में वाटर राइट सिस्टम लगा दिया गया है। साथ पानी के अधिकार के लिए लोगों को सर्टिफिकेट भी प्रदान किए गए हैं। सिंचाई जल प्रबंधन प्रणाली से पानी पाने के लिए प्रत्येक घर को एक आईसी कार्ड भी मिला। गांव के ही एक निवासी बताते हैं कि यसे बहुत आसान है। अब कार्ड स्वैप करिए और पानी आपके खेतों तक पहुंच जाएगा। झाओ जियांगांग आगे बताते हैं कि सभी घरों की जानकारी डब्लूयूए के कंप्यूटर आधारित सिंचाई प्रबंधन प्रणाली में दर्ज की गई है। जब किसान के आईसी कार्ड का पैसा खत्म हो जाता है तो वा मेरे पास आता है, मैं उसकी जानकारी चेक करता हूं और उसका कार्ड रिचार्ज देता हूं, और साल के अंत हम उन किसानों को सम्मानित भी करते हैं जो पानी का सबसे कम प्रयोग करते हैं। ऐसे और लोग भी पानी बचाने के लिए प्रेरित होते हैं।

नमी के पूर्वानुमान से सिंचाई कार्यक्रम में मदद मिल रही

परियोजना के अंतगर्त गुंताओ काउंटी में एक सिंचाई पूर्वानुमान प्रणाली की भी स्थापना की गई है जिसमें छह निगरानी स्टेशन शामिल हैं जो तापमान, नमी, हवा की गति और दिशा, वर्षा, मिट्टी की नमी सामग्री और भूजल स्तर पर आंकड़े इकट्ठा करते हैं। एक सूचना प्रबंधन केंद्र कंप्यूटर मॉडल का उपयोग करके पानी की आवश्यकता का अनुमान लगाता है। इन्हें इंटरनेट पर प्रकाशित किया जाता है और सिंचाई समयबद्धन के मार्गदर्शन के लिए निगरानी स्टेशनों के बाहर एलईडी संकेत के माध्यम से प्रकाशित किया जाता है। वांग वेइज़ेन सिंचाई निर्णय लेने के लिए अपने अनुभव पर भरोसा करते थे। अब वह मिट्टी की नमी की जानकारी जांचते हैं। वो कहते हैं कि "मैं सिंचाई के पूर्वानुमान के आधार पर कब और कितने पानी का उपयोग करना है का सही फैसला करता हूं। यह पानी और श्रम दोनों बचाता है "।

ईटी अब फसल की पानी की आवश्यकता को पूरी कर देता है, अब सिंवाई बेहतर हो पाती है। नतीजतन, गेहूं में पानी की खपत प्रति म्यू (0.16 एकड़) अनुमानित 80 से 100 घन मीटर तक कम हुई है। हेबै प्रांत में जल संसाधन के एक उप निदेशक हे टाईकिआंग कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट ने हमारे प्रांत में एक अच्छा मॉडल स्थापित किया है। जल मूल्य निर्धारण, जल अधिकार प्रणालियों और जल उपयोगकर्ताओं के संघों के माध्यम से, हम पानी के संरक्षण की आवश्यकता के लिए किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने में सक्षम हैं। केवल इसी तरह से हम आधुनिक सिंचाई प्रणाली का काम कर सकते हैं और उच्च दक्षता और उत्पादकता हासिल कर सकते हैं।"

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