समुद्र के खारे पानी से उगाई गई धान की फसल, नई किस्म 20 करोड़ लोगों का पेट भरने में सक्षम

Kushal MishraKushal Mishra   21 May 2018 7:01 AM GMT

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समुद्र के खारे पानी से उगाई गई धान की फसल, नई किस्म 20 करोड़ लोगों का पेट भरने में सक्षमफोटो साभार: इंटरनेट

कई दशकों से वैज्ञानिक समुद्र के खारे पानी से धान की फसल पैदा करने की दिशा में काम कर रहे हैं, मगर अब एक वैज्ञानिक ने समुद्री इलाकों में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद न सिर्फ खारे पानी से धान की खेती का उपाय ढूंढ निकाला है, बल्कि उम्मीद से ज्यादा धान की पैदावार भी संभव हो सकी है।

यह कृषि वैज्ञानिक हैं चीन के 88 वर्षीय युआन लॉन्गपिंग, जिन्हें चीन में 'हाईब्रिड चावल के जनक' भी कहा जाता है। युआन खारे पानी से धान की फसल उत्पादन की दिशा में वर्ष 1970 से काम कर रहे हैं।

चीन के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, चीन के पास 10 लाख वर्ग किमी. का ऐसा क्षेत्रफल है, जो समुद्री इलाके में होने की वजह से बंजर पड़ा हुआ है यानि क्षारीय और खारे पानी से प्रभावित होने के कारण यह जमीन पौधे के विकास के लिए उपयुक्त नहीं है। इतनी बड़ी जमीन लगभग इथियोपिया देश के क्षेत्रफल के बराबर है।

चीन के 88 वर्षीय कृषि वैज्ञानिक युआन लॉन्गपिंग।

कृषि वैज्ञानिक युआन लॉन्गपिंग का मानना है कि ऐसे समुद्र तट की जमीन के 10वें भाग में धान का उत्पादन किया जाए तो चीन के चावल उत्पादन में 20 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी हो सकती है। युआन को धान की विशेष किस्म को विकसित करने के लिए चीन के सैलाइन अल्कली टॉलरेंट राइस रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर का सहयोग प्राप्त हुआ। युआन ने बायोलॉजिकल टेक्नोलॉजी नाम की फर्म के साथ मिलकर इस विशेष किस्म को विकसित किया। धान की इस किस्म का नाम 'युआन मी' रखा गया है।

तब खारे पानी से फसल को सींचा

इससे पहले युआन ने अपने शोध के लिए धान का उत्पादन पूर्वी चीन के क्विंगदाओ के यलो सी कोस्ट पर किया। अपनी टीम के साथ मिलकर युआन ने विभिन्न प्रकार के 200 से ज्यादा धान के पौधे लगाए, यह पता लगाने के लिए कि कौन सी किस्म खारे पानी में ज्यादा उत्पादन दे सकेगी। युआन की टीम ने पहले समुद्री पानी की क्षारीयता को कम किया और फिर तट में लगी फसल को खारे पानी से सींचा। इस बीच युआन ने राइस रिसर्च सेंटर की मदद से प्रतिदिन फसल का विश्लेषण किया।

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उम्मीद से ज्यादा पाया उत्पादन

युआन के नेतृत्व में शोध टीम को यह उम्मीद थी कि इस जमीन पर खारे पानी के साथ की गई धान की फसल करीब 4.5 टन प्रति हेक्टेयर का उत्पादन देगी, मगर युआन ने 9.3 टन प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन करने में सफलता प्राप्त की। हालांकि दूसरे किस्म के चावल के उत्पादन से धान का उत्पादन 1.12 से 2.25 टन प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त किया गया। जबकि चार तरह की किस्मों से धान का उत्पादन 6.5 से 9.3 टन प्रति हेक्टेयर दर्ज किया गया।

500 लाख टन हो सकेगा धान का उत्पादन

युआन का मानना है कि ऐसे समुद्री इलाकों में खारे पानी से फसल उत्पादन करने से 500 लाख टन चावल का उत्पादन हो सकेगा, जो 20 करोड़ लोगों का पेट भरने में सक्षम होगा। इतना ही नहीं, समुद्रों इलाकों में उगाया गया यह चावल कैल्शियम और अन्य पोषक तत्वों से भी भरपूर है। खारे पानी की वजह से फसल में रोग लगने की आशंका भी कम होती है। ऐसे में किसानों को कीटनाशकों के फसल में उपयोग को लेकर भी काफी राहत मिल सकेगी।

कृषि वैज्ञानिक यूआन लॉन्गविंग ने एक साक्षात्कार में कहा, "धान के उत्पादन में इस परीक्षण के बाद धान की जो पैदावार हुई है, किसान इसके लिए प्रेरित होंगे और समुद्री खारे पानी से धान की खेती करेंगे। इस प्रयोग से समुद्री इलाकों में धान की खेती को लेकर दुनिया भर के किसान प्रोत्साहित होंगे।"

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सेहत के लिए भी फायदेमंद

फिलीपींस स्थित धान में शोध करने वाली संस्था अंतरराष्ट्रीय चावल शोध संस्थान (आईआरआरआई) का कहना है कि खारी मिट्टी में उगाए गए चावल ज़्यादा फायदेमंद होंगे क्योंकि इस मिट्टी में कैल्शियम और अन्य सूक्ष्म पोषक प्रचुर मात्रा में होते हैं, इसलिए चावल में ये पोषक तत्व मिल जाते हैं जो सेहत के लिहाज़ से फायदेमंद होते हैं।

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