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एक ही जगह पर देख सकते हैं गुलदाउदी और कोलियस की अनोखी किस्में

गुलदाउदी और कोलियस की खेती करना चाहते हैं या फिर अपने घर की बागवानी सजाना चाहते हैं तो ये आपके काम की जानकारी है।
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अगर आप भी फूलों और बागवानी के शौकीन हैं, इनके बारे में जानना चाहते हैं तो आपके लिए बढ़िया मौका है। जल्द ही सीएसआईआर-एनबीआरआई में गुलदाउदी और कोलियस प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सीएसआईआर-राष्‍ट्रीय वनस्‍पति अनुसंधान संस्थान के सेंट्रल लॉन में दिसंबर महीने में दो दिन की प्रदर्शनी लग रही है।

इस प्रदर्शनी में बागवानी के शौकीन और किसान सीएसआईआर-एनबीआरआई के वैज्ञानिकों से गुलदाउदी और कोलियस की खेती की जानकारी ले सकते हैं; यहाँ पर गुलदाउदी की 75 से अधिक किस्में देख सकते हैं।

इस प्रदर्शनी में आम लोग भी अपने फूलों की प्रदर्शनी लगा सकते हैं, जिसमें लोगों को पुरस्कार भी दिए जाएँगे। इस प्रदर्शनी के ज़रिए फूलों की खेती और इसके विभिन्न पहलुओं के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। यह एक अच्छा मौका है जहाँ लोग फूलों के कई रंगों, प्रकारों, आकारों और उनके संवर्धन पद्धतियों को देख सकते हैं।

अधिक जानकारी और प्रदर्शनी में स्टॉल लगाने के लिए संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ एसके तिवारी से इस नंबर पर (0522-2297965/961; 945437922) संपर्क कर सकते हैं।

ख़ास फूल की फसल है गुलदाउदी

गुलदाउदी की कई ऐसी किस्में हैं, जिनकी किसान खेती कर सकते हैं। सर्दियों में फूल देने वाली गुलदाउदी की माँग बाज़ार में काफी है।

भारत में गुलदाउदी की खेती व्यापारिक तौर पर की जाती है, ख़ासकर ठंड के मौसम में इसकी ज़्यादा खेती होती है। इसके फूलों का इस्तेमाल मुख्य रूप से पार्टी की सजावट, धार्मिक चढ़ावे और माला बनाने के लिए किया जाता है।

यह जड़ी बूटी का सदाबहार पौधा है जो कि 50-150 सेंटीमीटर तक ऊँचा जाता है। गुलदाउदी की खेती व्यावसायिक तौर पर कर्नाटक, तामिलनाडू, पंजाब और महाराष्ट्र में ज़्यादा की जाती है।

क्यों ख़ास है कोलियस

कोलियस की रंग-बिरंगी और छोटी बड़ी पत्तियाँ उसे सबसे सुंदर और ख़ास बनाती हैं। कोलियस का पौधा देखने में बेहद खूबसूरत होता है, और देखभाल की ज़्यादा जरूरत नहीं होती है। ये पूरे साल हरा-भरा रहता है।

कोलियस के पौधे को अपने घर के गार्डन, बालकनी और किसी भी कोने में लगा सकते हैं।

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