किसान मेला : जहां पर मिली औषधीय फसलों की उन्नत खेती, किस्म व प्रसंस्करण की जानकारी

Divendra SinghDivendra Singh   31 Jan 2019 2:01 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
किसान मेला : जहां पर मिली औषधीय फसलों की उन्नत खेती, किस्म व प्रसंस्करण की जानकारी

लखनऊ। पिछले 15 वर्षों की तरह इस बार भी केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान में किसान मेला का आयोजन किया गया। यही नहीं इसबार तुलसी की तीन प्रजातियों के साथ ही नींबूघास की एक नई प्रजाति भी लांच की गई।

मेले में किसानों ने औषधीय व सगंध पौधों की लाभकारी खेती के बारे में जानकारी ली और अपने अनुभव भी साझा किए। किसान मेला में वैज्ञानिकों की टीम ने किसानों को उन्नत खेती, क़िस्मों और प्रसंस्करण व विपणन की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई। किसान मेले के मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि, माननीय डॉ. मंगला रॉय, पूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली थे।

डॉ. मंगला रॉय ने बताया, "उच्च गुणवत्ता युक्त बीज, संकर और पौध सामग्री निरंतर किसानों को उपलब्ध करायी जानी चाहिए। ताकि उनकी आय में बढ़ोत्तरी की जा सके। औषधीय एवं सगंध पौधों के किसान न केवल खेती पर ध्यान दें बल्कि मूल्य संवर्धन पर भी ध्यान केंद्रित करें ताकि वे अपनी आय में कई गुना मुनाफा कर सकें।


उन्होंने किसानों के द्वारा स्थापित स्वयं सहायता समूहों को कृषि विविधिकरण के लिए प्रोत्साहन देने पर जोर दिया ताकि यह समूह क्लस्टर के रूप में औषधीय एवं सगंध पौधे की खेती कर सकें।

सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि इस वर्ष लखनऊ मुख्यालय से लगभग 300 कुंतल अधिक उपज देने वाली मेंथा की प्रजाति की जड़ें (पौध सामग्री) के रूप में एरोमा मिशन के वित्तीय सहयोग से किसान मेले के अवसर पर 20 प्रतिशत छूट के साथ उपलब्ध कराई जा रही हैं।

किसान मेले में औस-ज्ञान्या, सीमैप वार्षिक रिपोर्ट 2017 के साथ-साथ तीन उन्नतिशील तुलसी की प्रजातियां (सिम-अक्षय, सिम-सुवास और सिम-सुखदा) और एक नींबूघास की प्रजाति (सिम-अटल) भी किसानों को समर्पित की गई।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश वन विभाग, जन सेवा संघ शिरडी, आशीष कंसेंट्रेट इंटर्नैशनल प्रा. लि. तथा एलाइड केमिकल्स के साथ समझौता ज्ञापन भी किया गया। इस दौरान औषधीय एवं सगंध पौधों से संबंधित मोबाइल ऐप का भी विमोचन किया गया।

ये भी पढ़ें : अब भारत और अमेरिका मिलकर बढ़ाएंगे एरोमा मिशन

इस वर्ष किसान मेला में अन्य कार्यक्रमों के अतिरिक्त एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सीएसआईआर, आईसीएआर की 12 प्रयोगशालाओं तथा एफएफडीसी एवं एनएमपीबी के द्वारा किसानों के लिए उपयोगी प्रौद्योगिकियों तथा योजनाओं का प्रदर्शन किया गया। मेला स्थल पर उद्योगों और स्वयं-सेवी संस्थाओं तथा महिला सशक्तिकरण योजना आदि के स्टॉल भी लगाए गए। मेले में जिरेनियम की पौध सामग्री के निर्माण के लिए एक विकसित किफ़ायती तकनीक, सीमैप के हर्बल उत्पाद, अगैती मिन्ट टेक्नोलोजी, इत्यादि के बारे में भी चर्चा की गई व प्रदर्शनी लगाई गई। कार्यक्रम में डॉ. एस. के. बारिक, निदेशक

ये हैं उन्नतिशील प्रजातियों की विशेषताएं

सिम-अक्षय: इस प्रजाति से 500-550 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार और तेल की उपज 200-220 किग्रा प्रति हेक्टेयर मिलती है। इस प्रजाति में थाइमॉल प्रतिशत 45-50% है।

सिम-सुवास: चैविबिटॉल युक्त प्रजाति जो कि पान के तेल का विकल्प बन सकता है।

सिम-सुखदा: इस प्रजाति से 225-230 कि.ग्रा./हे. की पैदावार और तेल की उपज 100-105 किग्रा प्रति हेक्टेयर मिलती है। इस प्रजाति में लिनालूल का प्रतिशत 75-80% है।

सिम-अटल: इस प्रजाति से 250-300 टन/हे./वर्ष की पैदावार और तेल की उपज 300-325 किग्रा प्रति हेक्टेयर मिलती है। इस प्रजाति में जिरैनियॉल अत्यधिक मात्रा में है।

ये भी पढ़ें : एरोमा मिशन की पूरी जानकारी, जानिए कैसे सगंध फसलों की खेती से बढ़ा सकते हैं अपनी आमदनी

  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.