देश के कई राज्यों में बड़ पैमाने पर नारियल की खेती होती है, एक बड़ी आबादी नारियल की खेती और इससे जुड़े उद्योग से जुड़ी हुई है। देश में नारियल आधारित उद्योगों की संख्या में वृद्धि के साथ ही बाज़ार में नए उत्पाद और रोज़गार के कई अवसर भी बढ़ रहे हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कोयम्बटूर में नारियल समुदाय के किसानों के सम्मेलन में कहा है कि केंद्र सरकार, देश में नारियल की खेती को बढ़ावा देने के लिए नारियल समुदाय से जुड़े किसानों को हरसंभव सहायता प्रदान करती रहेगी। पिछले कुछ वर्षों में अनुसंधान-विकास के क्षेत्र में जो प्रयास किए गए हैं, उनके फलस्वरूप खेती व प्रसंस्करण क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियां विकसित हुई हैं और उपलब्ध प्रौद्योगिकियों को और अधिक उन्नत तथा बेहतरीन बनाया गया है।
आज कोयम्बटूर के पोल्लाची में एक कार्यक्रम में नारियल के किसानों से चर्चा की व सभा को सम्बोधित किया… pic.twitter.com/amBYiaNJq0
— Narendra Singh Tomar (@nstomar) October 14, 2022
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसलिए इसे मजबूत बनाना, आगे बढ़ाना व किसानों के लिए मुनाफे की खेती सुनिश्चित करना केंद्र एवं राज्य सरकार का दायित्व है। कृषि अर्थव्यवस्था में नारियल की खेती का योगदान काफी महत्वपूर्ण है।”
नारियल की खेती में भारत अग्रणी है व दुनिया के तीसरे बड़े उत्पादकों में से एक हैं। देश में नारियल के अधीन क्षेत्र का 21 प्रतिशत, उत्पादन का 26 प्रतिशत तमिलनाडु का योगदान है। नारियल प्रसंस्करण गतिविधियों में तमिलनाडु पहले नंबर पर है व नारियल खेतीगत क्षेत्र की दृष्टि से कोयम्बटूर प्रथम है, जहां 88,467 हेक्टेयर क्षेत्र में नारियल की खेती हो रही है।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि यहां के लोग नारियल क्षेत्र के विकास व कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। नारियल विकास बोर्ड छोटे-सीमांत किसान एकीकृत कर त्रिस्तरीय किसान समूह बना रहा है। राज्य में वर्तमान में 697 नारियल उत्पादक समितियां, 73 नारियल उत्पादक फेडरेशन एवं 19 नारियल उत्पादक कंपनियां हैं। भारत में प्रति वर्ष 3,638 मिलियन नारियल की प्रसंस्करण क्षमता के साथ 537 नई प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने हेतु समर्थन दिया गया है। यह सफलता बोर्ड द्वारा देश में कार्यान्वित मिशन कार्यक्रम के ज़रिए हासिल हुई है। इनमें से 136 इकाइयां तमिलनाडु की हैं, जो रोजगार के अवसर सृजित कर रही हैं तथा किसानों की माली हालत सुधारने में भी मदद कर रही हैं।