देश में नारियल की खेती को बढ़ावा देने और किसानों को सही उनके उत्पादन का सही दाम दिलाने के लिए कैबिनेट बैठक में आज बड़े फैसले लिए गए हैं।
नारियल एक्ट में संशोधन किया जाएगा इसके साथ ही दुनिया भर में नारियल कारोबार बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा और नारियल बोर्ड में सीईओ की नियुक्ति होगी।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, “हम सब जानते हैं कि हमारे देश में एक बड़ा क्षेत्र है, जहां नारियल की खेती होती है, नारियल की खेती में उत्पादन बढ़े, उनके किसानों को सहूलियतें दी जा सके, उनकी उत्पादकता बढ़े और इन सारे काम को देखने के लिए नारियल बोर्ड की स्थापना 1981 में अस्तित्व में आया था। इस नारियल बोर्ड के एक्ट में हम लोग संसोधन करने जा रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “एक तो जो बोर्ड का अध्यक्ष है, वो गैर शासकीय व्यक्ति होगा, उसी परिक्षेत्र से होगा, किसान पृष्ठभूमि का होगा जोकि फील्ड की गतिविधियों को ठीक से समझ सके और एक्जीक्यूटिव पॉवर के लिए एक सीईओ होगा।”
“बोर्ड में दो प्रकार के सदस्य हैं, एक प्रकार है केंद्र सरकार द्वारा नामित कुछ राज्य जो उसमें प्रतिनिधि के तौर में उसमें रहते हैं और दूसरी श्रेणी ऐसी है, जो बाकी राज्य बचते हैं वो चक्रानुक्रम से उसमें जुड़ते जाते हैं और उनका कार्यकाल समाप्त होता जाता है। इस बार हमने यह भी फैसला लिया है कि केंद्र सरकार जिन चार सदस्यों को नामित करती है, उनकी सदस्य संख्या छह कर दी गई है और आंध्र प्रदेश और गुजरात भी उसके सदस्य होंगे यह भी बदलाव हम करने जा रहे हैं, ” कृषि मंत्री ने आगे कहा।
नारियल विकास बोर्ड के अनुसार, देश में लगभग 1975000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में नारियल की खेती होती है, जबकि पूरे देश में नारियल का उत्पादन 20439 लाख फलों का उत्पादन होता है।
नरेंद्र तोमर ने कहा कि तीसरा इस क्षेत्र में परिवर्तन है कि अभी तक नारियल की खेती में विकास हो इस क्षेत्र में काम कर सकता था योजना बनाकर उसे क्रियान्यवन कर सकता था, लेकिन अब नारियल की खेती और नारियल के किसान को और लाभ हो इस दृष्टि से और भारत के बाहर के बाहर भी गतिविधि की आवश्यकता है तो बोर्ड उसपर विचार कर सकता है और आगे बढ़ सकता है।”
केंद्र सरकार राज्यों के सहयोग से मूल्य समर्थन योजना (PSM) के तहत खोपरा की खरीद करती है। उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की 6 जून तक की जानकारी के अनुसार फसल सत्र 2020-21 के दौरान 5,089 मीट्रिक टन खोपरा (बारहमासी फसल) की खरीद कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से की गई है। इसके लिए 3,961 किसानों को लाभान्वित करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 52 करोड़ 40 लाख रुपये की अदायगी की गई है।
कैसे काम करता है नारियल बोर्ड
नारियल विकास बोर्ड सांविधिक निकाय है जो देश में नारियल के उत्पादन और उपयोग के एकीकृत विकास के लिए कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन स्थापित है और उत्पादकता की वृद्धि और उत्पाद विविधीकरण पर ज़ोर देता है। बोर्ड 12 जनवरी 1981 को स्थापित हुआ और कृषि मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत है। इसका मुख्यालय केरल के कोच्चि में है और क्षेत्रीय कार्यालय कर्नाटक के बैंगलूर, तमिलनाडु के चेन्नई और असम की गुवाहटी में है। बोर्ड के छह राज्य केन्द्र हैं जो उड़ीसा के भुबनेश्वर, पश्चिम बंगाल के कोलकाता, बिहार के पटना, महाराष्ट्र के ठाणे, आंध्र प्रदेश के हैदराबाद और संघ शासित क्षेत्र अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के पोर्ट ब्लेयर में स्थित हैं। देश के विविध भागों में बोर्ड के 9 प्रदर्शन सह बीज उत्पादन फार्म हैं और अब 7 फार्मों का रख-रखाव किया जाता है। दिल्ली में बाज़ार विकास सह सूचना केन्द्र स्थापित है। बोर्ड ने केरल में आलुवा के पास वाष़क्कुलम में प्रौद्योगिकी विकास केन्द्र की भी स्थापना की है।