किसानों को कभी सरकारी नीतियों से नुकसान उठाना पड़ता है तो कभी मौसम की मार से, मगर महाराष्ट्र के किसानों को इस बार दोहरी मार झेलनी पड़ी।
महाराष्ट्र के नांदड़ के माहुर गाँव निवासी किसान फारुख पठान ‘गाँव कनेक्शन’ से फोन पर बातचीत में बोझिल सी आवाज में बताते हैं, “मेरे 5 हेक्टेयर में कपास की फसल गुलाबी कीट की वजह से बर्बाद हो गई, कीट ने पौधों को ही खत्म कर दिया। साथ में चने की फसल भी की थी, सोचा था कि चने की फसल से थोड़ी राहत मिल जाएगी। मगर मौसम की मार अभी बाकी थी।“
आगे बताया, “भारी बारिश हुई, ओले गिरे, और मेरी चने की फसल भी आधी से ज्यादा बर्बाद हो गई। मेरे आसपास के कई किसानों की कपास की फसलें तो पूरी तरह से चौपट हो गईं। ऐसा लगता है किसान की किस्मत में सिर्फ नुकसान ही नुकसान लिखा है।“
साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का केंद्र सरकार का वादा कितना संभव हो पाएगा, यह महाराष्ट्र के किसानों का हाल देखकर जाना जा सकता है। देश में सबसे बड़ा कपास उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के किसानों को इस बार दोहरी मार झेलनी पड़ी है।
बीटी कॉटन कपास के बीज को विकसित करने वाली कंपनी ने इस बात का दावा किया था कि बीटी कॉटन कपास कीटों के हमलों से बेअसर रहेगी और मगर ऐसा नहीं हुआ, और गुलाबी कीट (पिंक बॉलवर्म) की वजह से महाराष्ट्र के करीब 41 लाख कपास किसानों की फसलें चौपट हो गईं।
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दूसरी ओर, हाल में देश के ज्यादातर हिस्सों में किसानों को भारी बारिश और ओलावृष्टि का सामना करना पड़ा। इस मौसम की मार से महाराष्ट्र भी अछूता नहीं रहा। कपास की फसल के नुकसान के साथ-साथ किसानों की दूसरी फसलों को भी ओलावृष्टि का नुकसान झेलना पड़ा।
महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के कलगाँव के किसान सचिन भवानकर बताते हैं, “हमारे गाँव में 90 प्रतिशत किसान कपास की खेती करते हैं, मगर मैं कपास की खेती छोड़कर टमाटर, तरबूज, सोयाबीन, फूलगोभी की सब्जियों की सहफसली खेती करने लगा, गांव के किसानों की कपास की फसलों में गुलाबी कीट लग गया और उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा। मगर मेरी भी फसल बच नहीं सकी।“
सचिन आगे बताते हैं, “महाराष्ट्र में जैसे शिमला की तरह ओले गिरे, खूब बारिश हुई, मेरी फसल को 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ, और जिन्होंने कपास के साथ चना जैसी दूसरी फसलें उगाई थी, उन किसानों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा।“
कपास की खेती में किसानों के नुकसान पर महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को प्रति हेक्टेयर 30,800 रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया, मगर अब तक कई किसानों को मुआवजे का पैसा नहीं मिल सका है। इस पर कपास किसान फारुख पठान आगे बताते हैं, “कपास में किसानों के नुकसान पर सरकार ने ध्यान दिया और एक हेक्टेयर में 30,800 रुपए मुआवजे का ऐलान किया, कुछ अधिकारी भी आए और फसल के नुकसान का जायजा भी लिया, मगर अब तक मुआवजे का भी पैसा नहीं मिला है।“
महाराष्ट्र के जलगाँव जिले के ग्रामनेर के एक और कपास किसान जीवन पाटिल बताते हैं, “मैंने 15 हेक्टेयर में कपास की पूरी खेती की थी। मगर गुलाबी कीट लगने की वजह से लगभग 7-8 लाख रुपए का नुकसान हो गया है।“ सरकार की ओर से मुआवजे के सवाल पर जीवन ने आगे बताया, “अभी तक कई किसानों को ऋणमाफी में राहत नहीं मिली है तो भला किसान कैसे उम्मीद करे। डेढ़ महीना होने को आ रहा है, हमारे गाँव में अभी तक तो कोई अधिकारी फसलों के नुकसान का जायजा लेने तक नहीं आया है।“
जीवन आगे बताते हैं, “हमारे गाँव में गेहूं, मिर्च, चना, तुअर की खेती करने वाले किसानों को भी काफी नुकसान हुआ है, जो किसानों ने दूसरी फसलें लगाई थीं, उन्हें ओले गिरने की वजह से होने से नुकसान पड़ा।“