किसानों के लिए कम लागत में हार्वेस्टर बनाने वाले इस युवा इंजीनियर को मिला पुरस्कार

Kushal MishraKushal Mishra   19 March 2018 8:12 PM GMT

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किसानों के लिए कम लागत में हार्वेस्टर बनाने वाले इस युवा इंजीनियर को मिला पुरस्कारकृषि यंत्रीकरण सम्मान के साथ युवा इंजीनियर रवि किरन गौड़।

तेलंगाना के इस युवा इंजीनियर को कम लागत में फसल कटाई यंत्र तैयार करने के लिए हाल में स्वयं केंद्रीय कृषि मंत्री ने ‘कृषि यंत्रीकरण सम्मान’ से नवाजा। नई दिल्ली में इस कार्यक्रम के दौरान महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा भी मौजूद रहे।

तेलंगाना के निजामाबाद जिले के आर्मूर शहर के रहने वाले रवि किरन गौड़ एक युवा मैकेनिकल इंजीनियर हैं। रवि किरन ने बीटेक की पढ़ाई हैदराबाद से पूरी करने के बाद ब्रिटेन से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा पूरी की है।

एक किसान के बेटे होने के कारण रवि किरन ने हमेशा किसानों की समस्याओं को नजदीक से समझा। रवि किरन ने देखा कि किसान खेतों में काम के लिए 45 हार्स पॉवर के ट्रैक्टर का इस्तेमाल तो कर रहे हैं, मगर फसल कटाई के लिए 55 हार्स पॉवर का हार्वेस्टर का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि उनके पास 45 हार्स पॉवर का हार्वेस्टर मौजूद नहीं है।

रवि किरन ने यह भी पाया कि 55 हार्स पॉवर हार्वेस्टर और ट्रैक्टर में 16 से 18 लाख रुपए तक लागत लगती है, जबकि 45 हार्स पॉवर के हार्वेस्टर और ट्रैक्टर में सिर्फ 13 लाख रुपए की लागत आती है। इतना ही नहीं, जहां 55 हॉर्स पॉवर के हार्वेस्टर और ट्रैक्टर में हर एक घंटे में 8 लीटर डीजल खपत लगती है, वहीं 45 हॉर्स पॉवर के हार्वेस्टर और ट्रैक्टर में हर घंटे सिर्फ 3 लीटर डीजल की खपत आती है।

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किसानों के लिए दूसरी समस्या यह भी थी कि 55 हॉर्स पॉवर के कटाई यंत्र के इस्तेमाल से लगभग 35 प्रतिशत अनाज अपव्यय होता है, वहीं घास के भी बहुत छोटे टुकड़े हो जाते हैं, जिसे किसान मवेशियों के चारे के रूप में उपयोग नहीं कर सकते थे।

रवि किरन ने किसानों की इस समस्या को समझते हुए पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा में ऐसे हार्वेस्टर की निर्माण इकाइयों पर शोध किया और फिर जैकपर्नपल्ली मंडल के अपने कोलीपिक गांव में लक्ष्मी एग्रो इंडस्ट्रीज की अपनी कृषि उपकरण विनिर्माण इकाई की स्थापना की।

इकाई की स्थापना के बाद सबसे पहले रवि किरन ने 45 हार्स पॉवर हार्वेस्टर के लिए 55 हार्स पॉवर ट्रैक्टरों को मोडिफाई किया और बाद में 45 हार्स पॉवर के हार्वेस्टर का आविष्कार किया और इस हार्वेस्टर का नाम दिया, ‘सुदर्शन हार्वेस्टर’।

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इस हार्वेस्टर का सबसे बड़ा फायदा यह था कि ये केवल साढ़े तीन से चार लीटर डीजल की खपत हर घंटे लेता था, साथ ही इसके इस्तेमाल से सिर्फ 0.1 प्रतिशत अनाज का अपव्यय होता है।

इतना ही नहीं, दूसरी हार्वेस्टर मशीनें धान और ज्वार फसलों की कटाई कर सकती हैं, जबकि सुदर्शन हार्वेस्टर के जरिए सोयाबीन, ज्वार, हरा चना, काला चना, बाजरा, सरसों और धान की फसल की कटाई कर पाने में सक्षम है। ऐसे में यह सुदर्शन हार्वेस्टर किसान की प्रति एकड़ करीब 2,000 रुपए बचत कर सकती है।

हाल में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह से पुरस्कार प्राप्त करने के बाद रवि किरन ने कार्यक्रम में किसानों को संबोधित करते हुए कहा, “मेरा लक्ष्य कम लागत वाला किसान अनुकूल उपकरण बनाना था। मैं अब किसानों के लिए हल्दी बॉयलर, कम लागत वाले धान की रोपण मशीन, मैग्नीफाइड ऑप्टिकल हीटिंग मशीन और स्प्रेयर पर शोध कर रहा हूं।“

रवि किरन के आविष्कार के बारे में तेलंगाना के आर्मूर के ही एक किसान गंगारेड्डी ने कहा कि रवि किरन गौड़ ने कम लागत वाले किसान उपकरणों की खोज की है जो किसानों के बहुत उपयोगी हैं। हमें आशा है कि रवि किरन के अन्य प्रयोग भी किसानों के लिए सफल होंगे।

सौजन्य: Telangana Today

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