नोटबंदी से मायूस किसानों के लिए खुशखबरी, स्प्रे छिड़कने से 20% बढ़ जाएगी गेहूं की पैदावार: रिसर्च

Ashish DeepAshish Deep   17 Dec 2016 7:32 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
नोटबंदी से मायूस किसानों के लिए खुशखबरी,  स्प्रे छिड़कने से 20% बढ़ जाएगी गेहूं की पैदावार: रिसर्चगेहूं के खेत में छिड़काव करता किसान। फाइल फोटो

लखनऊ। नोटबंदी से मायूस किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। रबी के मौसम में इस बार उन्हें फसल की पैदावार को लेकर ज्यादा फिक्रमंद होने की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिकों ने ऐसा मालीक्यूलर (आणविक) स्प्रे विकसित किया है जिससे गेहूं की पैदावार 20 फीसदी तक बढ़ जाएगी।

जीएम फसलों का बेहतर विकल्प

आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के विज्ञानियों के मुताबिक इस स्प्रे को छिड़कने से गेहूं के दाने का आकार पांच फीसदी तक बढ़ जाता है जबकि जीन वर्धित गेहूं में पैदावार 22 फीसदी तक बढ़ती है। कीटनाशक का खर्च 37 फीसदी तक घटता है। लेकिन इस स्प्रे के आने से किसानों को जीन वर्धित फसलों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा, जिसे लेकर भारत में लंबी कानूनी लड़ाई चल रही है।

जानकारों की मानें तो जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है उससे 2050 तक दुनिया का पेट भरने के लिए मौजूदा उत्पादन से 70 फीसदी ज्यादा की जरूरत पड़ेगी, जोकि बड़ा लक्ष्य है। क्योंकि जिस तरह से सिंचाई के लिए पानी की कमी हो रही है और भूगर्भ जलस्तर निरंतर घट रहा है। उससे किसानों के लिए गेहूं और चावल की खेती पर निर्भर रहना मुश्किल है। फिलवक्त में बहुत से किसान अपनी आजीविका चलाने के लिए गेहूं और चावल जैसी ज्यादा पानी की खपत वाली फसलों को छोड़कर दूसरी चीजें उगा रहे हैं।

स्प्रे छिड़कने के बाद बड़ा हो गया गेहूं का दाना (दाएं)। साभार : आक्सफोर्ड विवि/राठमस्टेड रिसर्च

कैसे काम करता है स्प्रे

ब्रिटिश विज्ञानियों के स्प्रे के विकास की खबर को 'नेचर' जरनल ने अपने यहां छापा है। शोधकर्ताओं ने अणु टी6पी का इस्तेमाल कर उसे गेहूं की बालियों पर छिड़का। इससे प्रकाश संश्लेषण (फोटो सिंथेसिस) के दौरान गेहूं के दाने शर्करा ईंधन (शुगर फ्यूल) को सोख लेते थे। इससे उनका आकार बढ़ा हो गया।

आक्सफोर्ड विवि के रसायन विभाग के प्रो. बेन डेविस ने बताया कि हमारे प्रयोग में अच्छे नतीजे सामने आए हैं। जब हमने गेहूं की बाली पर स्प्रे का छिड़काव शुरू किया तो उनके आकार में फर्क देखने को मिला। वे पांच फीसदी तक बढ़ गए थे। ऐसा दाल-दलहन और अन्य जिंसों में भी किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने लैब में इसका परीक्षण किया। साभार : डेलीमेल

पैदावार बढ़ाने से ही मिटेगी भूख

उनके मुताबिक जनसंख्या दबाव के मद्देनजर हमें ज्यादा से ज्यादा अनाज की जरूरत पड़ेगी। किसान अपना खेती का रकबा तो नहीं बढ़ा सकते। विकल्प यही है कि पैदावार बढ़ाई जाए ताकि भविष्य की अनाज की जरूरत को पूरा किया जा सके। इसलिए अगर हम जीव विज्ञान को समझते हुए रसायनों का इस्तेमाल बढ़ाएं तो अनाज का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

सूखे में भी अच्छे नतीजे सामने आए

इस अध्ययन में यह भी तथ्य सामने आया कि सूखा पड़ने की स्थिति में भी यह स्प्रे काम करेगा। यानि कम पानी में भी खेती को संभव करेगा। अब तक के प्रयोग में कोई नकारात्मक पहलू सामने नहीं आया है। अगर किसान इस स्प्रे को अपनाते हैं तो यह न सिर्फ उनकी कमाई को बढ़ाएगा बल्कि खेती का खर्च घटाने में भी मदद करेगा यानि दोनों तरफ से मुनाफा। राठमस्टेड रिसर्च के पौध जीव विज्ञान व फसल विज्ञान में वरिष्ठ विज्ञानी डा. मैथ्यू पॉल ने बताया कि अब हम इस स्प्रे को अपनी लैब से निकालकर खेतों में ले जाएंगे ताकि किसान लाभान्वित हों।

गेहूं की तैयार फसल की रखवाली करता किसान। फाइल फोटो- गांव कनेक्शन

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.