नई दिल्ली। (भाषा) धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में हाल ही में की गई वृद्धि को अपर्याप्त बताते हुए अन्नाद्रमुक की एक सदस्य ने सोमवार को सरकार से इसे 50 फीसदी तक बढ़ाने और किसानों की उपज की 100 फीसदी खरीद सुनश्चिति करने का अनुरोध किया।
मानसून सत्र के दौरान सोमवार को शून्यकाल में अन्नाद्रमुक की विजिला सत्यनाथन ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किसानों की आय दोगुना करने, उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने और न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 फीसदी की वृद्धि करने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि चार जुलाई को खरीफ की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में 13 फीसदी की वृद्धि की घोषणा की गई जबकि सरकार ने वादा 50 फीसदी का किया था। तेरह फीसदी की वृद्धि किसानों की समस्याओं को देखते हुए पर्याप्त नहीं है। न्यूनतम समर्थन मूल्य में केवल 200 रुपए ही बढ़ाए गए और अब यह 1,750 रूपये प्रति क्विंटल हो गया है। तमिलनाडु में प्रति एकड़ उत्पादन लागत की 20,000 रुपए आती है। इसके अलावा, कृषि संबंधी उपकरण भी महंगे हैं। ऐसे में किसान कैसे अन्न उत्पादन कर पाएगा।
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विजिला ने स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को तत्काल लागू किए जाने की मांग करते हुए कहा कि धान का न्यूनतम मूल्य 50 फीसदी तत्काल बढ़ाना चाहिए। साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वह किसानों का 25 फीसदी धान खरीदने के बजाय 100 फीसदी धान खुद खरीदे। कई दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।
सरकार के मुताबिक 10 साल की सबसे बढ़ी बढ़ोतरी
केंद्र की मोदी सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में 200 रुपए प्रति क्विंटल तक का इजाफा किया था। पहले किसानों को एक क्विंटल धान के 1550 रुपए मिलते थे,. अब 1750 रुपए दिए जाएंगे। विपक्ष के आरोपों और किसानों की उम्मीद के बीच जानना ये भी जरुरी है कि 2016-17 में जिन हुई धान की खरीद से तुलना करें तो 11 हजार करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। सरकार ने दावा किया है कि इससे 12 करोड़ किसानों को फायदा होगा। खरीफ की 14 फसलों की बढ़ी एसएसपी से केंद्र सरकार के मुताबिक उसके खजाने पर 33,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।