पथरीली जमीन पर 15 फसलें उगाता है ये किसान

vineet bajpaivineet bajpai   11 Nov 2017 2:35 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
पथरीली जमीन पर 15 फसलें उगाता है ये किसानपथरीली जमीन पर जैविक तरीके से 15 फसलों की खेती करते हैं अर्जुन पाटीदार।

मंदसौर (मध्य प्रदेश)। पथरीली ऊबड़-खाबड़ जमीन जो दूर-दूर तक एकदम वीरान दिखती है, इसे देख कर कोई ये कल्पना नहीं कर सकता कि इस जमीन पर खेती की जा सकती है, लेकिन जब आप किसान अर्जुन पाटीदार के खेतों में पहुंचेंगे तो आपका ये भ्रम टूट जाएगा। अर्जुन इसी कंकरीली पथरीली जमीन पर 15 फसलों की जैविक तरीके से खेती करते हैं।

जो किसान खेती को घाटे का सौदा समझते हैं वो अर्जुन पाटिदार के तरीके को अपना कर खेती को फायदे का सौदा बना सकते हैं। अर्जुन पाटीदार मंदसौर जिले के सुवासरा तहसील के रहने वाले हैं। वो बताते हैं, ''यहां की जमीन पूरी तरह से पथरीली है, इसलिए यहां खेती करना बहुत मुश्किल है और पानी की भी बहुत समस्या है।'' उन्होंंने आगे बताया, ''मैने यहां पर खेती करने के लिए पहले दूसरी जगह से मिट्टी ला कर यहां पर डाल कर खेत तैयार किये उसके बाद खेती करनी शुरू की।'' अर्जुन के पास 20 एकड़ जमीन है, जिसपर संतरा, गेहूं, उड़द, गेंदा, टमाटर, सौंफ, पपीता, बेर, लहसुन, प्याज और सब्जियों की खेती करते हैं।

ये भी पढ़िए - सूखे और पिता से लड़कर एक किसान पूरे इलाके में ले आया ‘तालाब क्रांति’

अर्जुन का मानना है कि किसान को कम से कम अपनी जरूरत की जितनी भी चीजें होती हैं उसे किसान को खुद उगाना चाहिए जिससे उसे खरीदने के लिए न जाना पड़े।

अर्जुन अपने खेतों में एक साथ में कई-कई फसलें लेते हैं। वो बताते हैं, ''खेत में मुख्य फसल के साथ-साथ मैं खेत के किनारे कुुछ दूसरी फसलों की बुवाई कर देता हूं, जिससे अगर मुख्य फसल किसी वजह से खराब भी हो गई तो जो फसलें किनारे लगी होती हैं वो कुछ नुकसान को कवर कर लेती हैं।'' अर्जुन ने जिस खेत में मुख्य फसल केे रूप में टमाटर फसल लगाई है उसके किनारे गेंदे, सौंफ, अरहर और आम के लगा रखे हैं। वो कहते हैं कि किसान आमदनी का मुख्य जरिया फसलें ही होती हैं, इससे एेसा करने से हमेशा कोई न कोई फसल होती रहती है और किसान की आमदनी साल भर होती रहती है।

ये भी पढ़िए - सूखे और पिता से लड़कर एक किसान पूरे इलाके में ले आया ‘तालाब क्रांति’

अर्जुन अपने उस खेत को दिखाते हुए कहते हैं जिसमे संतरे के पेड़ लगे हुए है, ''इस बार संतरे की फसल अच्छी नहीं हुई क्योंकि शुरुआत में बारिश अच्छी नहीं हुई जिससे फल नहीं आई लेकिन मुझे उससे ज्यादा समस्या नहीं हुई क्योंकि मैने इसी खेती में उड़द की बुवाई कर दी थी, जिसकी पैदावार अच्छी हुई। अभी इसमें गेहूं की बुवाई कर दी है।''

ये भी पढ़िए -
पॉलीहाउस में सब्ज़ियां उगाते हैं प्रतीक शर्मा, सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाकर कमाते हैं मुनाफा

अर्जुन पूरी खेती जैविक तरीके से करते हैं। इस बारे में वो बताते हैं, ''मैं पूरी तरह से जैविक खेती करता हूं जिससे खर्चा बहुत कम होता है और अगर कोई फसल खराब भी हो जाती है तो ज्यादा नुकसान नहीं होता है।'' अर्जुन गाय के गोबर से खाद और उसके मूत्र से कीटनाशक तैयार करके खेतों में डालते हैं, जिससे उन्हें खाद और कीटनाशक बाजार से खरीदने नहीं पड़ते हैं।

ये भी पढ़िए - यूरिया और डीएपी असली है या नकली ? ये टिप्स आजमाकर तुरंत पहचान सकते हैं किसान

बारिश के पानी से पूरे सार भर करते हैं सिंचाई

यहां पर पानी की बुत समस्या है, पानी का स्तर 600 से 700 फुट नीचे है। इस लिए अर्जुन ने पानी की समस्या से निपटने के लिए अपने खेत में कुंए खोद रखें हैं जिसमें वो बारिश के पानी को इकट्ठा कर लेते हैं और उसके बाद जब सिंचाई की जरूरत होती है तब इसका इस्तेमाल करते हैं। अर्जुन ड्रिप विधि से फसलों की सिंचाई करते हैं जिससे कम पानी में अधिक सिंचाई हो जाती है और पानी बर्बाद नहीं होता है।

ये भी पढ़िए - पढ़िए सिंचाई के आज और कल के तरीके ... ढेकुली से लेकर रेनगन तक

                   

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.