उम्मीद से कम बौर आने से आम के किसानों के चेहरे पर दिख रही मायूसी

Basant KumarBasant Kumar   7 April 2017 8:36 PM GMT

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उम्मीद से कम बौर आने से आम के किसानों के चेहरे पर दिख रही मायूसीज्यादातर बागों में आम ही नहीं आए हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। आम के लिए देश-विदेशों तक मशहूर मलिहाबाद के लिए आम की फसल इस बार घाटे का सौदा साबित हो रही है, क्योंकि इस बार ज्यादातर बागों में आम ही नहीं आए हैं।

लखनऊ से हरदोई मार्ग पर कई किमी. तक आम के पेड़ लगे हैं, लेकिन इस बार यहां के किसानों की चिंता बढ़ गई है। मलिहाबाद तहसील के तिलुसवा गाँव के रहने वाले रमेश कुमार (48 वर्ष) अपने बाग में खड़े पेड़ों में लगे गिने-चुने अमियां को देखते हुए उदास होकर बताते हैं, “मेरे पास तीन बीघा जमीन है। पिछले साल सभी पेड़ों पर आम लगे थे, लेकिन इसबार किसी भी पेड़ पर आम नहीं लगे। मेरी मुख्य खेती आम ही है। इसी से कमाकर हम अपनी जिंदगी चलाते हैं, लेकिन इसबार बहुत नुकसान हो गया है।”

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आम की नगरी कहे जाने वाले मलिहाबाद में जो हालत रमेश कुमार की है वहीं स्थिति ज्यादातर किसानों की है। इस बार बहुत कम पेड़ों पर आम लगे हैं। जिससे किसानों के चेहरे पर उदासी है। नरेन्द्र देव कृषि और प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद के प्रोफेसर, डॉ. एके सिंह ने पिछले दिनों संभवना भी व्यक्त किया था की इस बार आम के बौर कम लगेंगे।

भुलसी गाँव के निवासी गंगाराम बताते हैं, “मेरे चार बाग़ हैं। दो बागों में तो एक भी पेड़ पर आम नहीं लगे हैं। एक बाग है वहां पर 22 पेड़ हैं, जिसमें से सिर्फ चार पेड़ों पर अमिया आई है। लग रहा है कि इसबार धुलाई का भी खर्च नहीं निकलने वाला है। गंगाराम के बागों में पिछले साल कम ही आम हुआ था। पिछले साल सिर्फ 110 पेटी आम हुआ था, इसबार तो 50 पेटी हो जा, तो बड़ी बात होगी।”

इस बार प्रदेश भर पिछले साल की तुलना में 40 प्रतिशत कम उत्पादन होगा। पूरे प्रदेश में पिछले साल 40 लाख मैट्रिक टन आम की पैदावार हुई थी, जो इस बार घटकर ज्यादा से ज्यादा 20 से 25 टन होने की संभावना है। इतने कम उत्पादन की पीछे मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन ही है।
इसरार अली, भारतीय आम उत्पादक संगठन के अध्यक्ष

भारतीय आम उत्पादक संगठन के अध्यक्ष इसरार अली बताते हैं, “पूरे प्रदेश में 14-15 आम उत्पादक शहर है, लेकिन आम उत्पादकों के बारे में कोई नहीं सोचता है। किसानों का जो क़र्ज माफ हुआ है उसमें आम उत्पादकों को कोई फायदा नहीं हुआ है। आम में बौर कम लगे हैं, लेकिन इसके बाद भी परेशानी कम नहीं हुई है। आम पैदा होने का बाद भी परेशानी कम नहीं होगी। आम पैदा होने के बाद आम रखने में भी परेशानी आएगी। हमने सरकार से मांग की है कि आम पेड़ से उतरने के बाद तीन महीने के लिए बिजली 24 घण्टे दी जाए।”

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