मक्के की नौ किस्में विकसित कर उत्पादन में नंबर वन बना छिंदवाड़ा

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छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के जिस जिले को कभी सोयाबीन के लिए जाना जाता था आज वही जिला मक्का उत्पादन के लिए पुरे देश में जाना जाने लगा है। छिंदवाड़ा जिला मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन करने वाला जिला तो है ही तो वहीं देश में अग्रणी जिलों में से एक हैं। छिंदवाड़ा को कॉर्न सिटी बनाने के मकसद शनिवार को दी दिवसीय मक्का महोत्सव की शुरुआत की गयी। इस महोत्सव में किसानों के साथ ही युवा उद्यमी, व्यापारी, उपभोक्ता, खाद्य व्यंजन निर्माता, शोधकर्ता, कृषि वैज्ञानिक, खाद्य उद्योगों से जुड़ी कंपनियां हिस्सा ले रहीं हैं। आपको ये भी बता दूँ कि देश में पहली बार मक्का महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।

कार्यक्रम के पहले दिन कलेक्टर वेद प्रकाश के साथ भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान लुधियाना के संचालक डॉ। सुजय रक्षित, डॉ एस एल जाट, डॉ। रमेश फागना, मक्का वैज्ञानिक डॉ सांई दास, डॉ भूपेन्द्र कुमार व डॉ डी शोभा, संस्थान के नई दिल्ली के डॉ चिकप्पा जी करजगी, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलुपर के डॉ एस एस शुक्ला, ग्लोबल फूड टेक इंदौर के डॉ रामनाथ सूर्यवंशी, इंटरप्रयोन्योरशिप डेवलेपमेंट नागपुर के एक्सपर्ट शरद खंडेलवाल और आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र चंदनगांव छिंदवाड़ा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ विजय कुमार पराड़कर आदि ने दीप अपने विचार रखे।

मक्के की उपयोगिता और लोकप्रियता को समझकर जिले में मक्के को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने, मक्के का व्यावसायिक उपयोग बढ़ाने, मक्के से जुड़ी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को जिले में स्थापित कराने और उन्नत कृषि तकनीक द्वारा जिले के किसानों को गुणवत्तापूर्ण मक्के के उत्पादन में सहयोग प्रदान करने के उद्देश्य से इस फेस्टिवल का आयोजन किया गया है। कॉर्न के उत्पादन व डिमांड के अनुसार उसकी खपत की रूपरेखा, कॉर्न क्वालिटी सुधार, कॉर्न आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योगो की स्थापना की जानकारी के साथ कॉर्न से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां दी गयीं।


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छिंदवाड़ा मक्का उत्पादन में नंबर वन कैसे बना इस बारे में मक्का वैज्ञानिक डॉ सांई दास कहते हैं ” छिंदवाड़ा में मक्का उत्पादन के रिसोर्स अच्छे हैं। देश की इस पहली गोष्ठी को मध्य प्रदेश लीड कर रहा है यह अपने आपमें एक बड़ी उपलब्धि है। इससे दुसरे राज्यों और जिलों को सिखने की जरुरत है।

वैज्ञानिकों से साझा किये अपने अनुभव

देशभर से आये वैज्ञानिकों ने किसानों से अपने अनुभव साझा किये और मक्के के बारे में तमाम जानकारियां दी। भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान लुधियाना के संचालक डॉ सुजय रक्षित ने मध्य प्रदेश के सन्दर्भ में मक्का की उत्पादकता और संभावनाओं पर चर्चा की। दिल्ली से आये आईसीएआर के मक्का वैज्ञानिक डॉ सांई दास ने सीड प्रोडक्शन पर किसानों के सामने अपनी बात रखी। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एसएल जाट ने बेबी कॉर्न के बारे में पीपीटी के माध्यम से जानकारी दी तो वहीँ डॉ चिकप्पा जी करजगी ने मक्का उत्पादन में वैल्यू एडिशन की बात कही। डॉ गणपति मुकरी और डॉ देशमुख ने भी तकनीकी मुद्दों पर चर्चा की।

छिंदवाड़ा में तैयार हुई मक्का की नौ किस्में

यह भी एक बड़ा कारण रहा है जिससे छिंदवाड़ा मक्का उत्पादन में लगातार तरक्की कर रहा है। इस बारे में जबलपुर कृषि कॉलेज के डीन डॉ प्रदीप बिसेन ने कहा कि छिंदवाड़ा में मक्का अनुसंधान केंद्र खुलने के बाद यहाँ मक्के की नौ प्रजातियां विकसित हुई हैं जिनका बीज देश के कोने-कोने में बोया जा रहा है। यहाँ के मुख्य वैज्ञानिक डॉ वीके पराड़कर ने ही छह किस्मों की खोज की है। उन्होंने आगे कहा कि कृषि अनुसंधान केंद्र के शताब्दी वर्ष में मक्का पर केन्द्रित छिंदवाड़ा में यह आयोजन बहुत महत्वपूर्ण है। इस समारोह के बाद मक्का पर और आधुनिक और वैज्ञानिक तरीके से छिंदवाड़ा में काम होगा।

आज होने वाले कार्यक्रम

आपको बता दें कि गाँव कनेक्शन सीधे छिंदवाड़ा से मक्का महोत्सव की हर गतिविधि अपने पाठकों के लिए उपलब्ध करा रहा है। पहले दिन की तरह आज दुसरे दिन भी गाँव कनेक्शन फोटो और फेसबुक लाइव के माध्यम से किसानों से जरूरी जानकारियां साझा करता रहेगा। इसलिए आप गाँव कनेक्शन के फेसबुक पेज पर बने रहें। एक नजर डालते हैं आज होने वाले कार्यक्रमों पर…


दो दिवसीय चलने वाले मक्का महोत्सव में 30 सितंबर को सुबह 10 बजे से लेकर 10:20 बजे तक टाटा ट्रस्ट गुजरात बिग इंडस्ट्रीज का कार्यक्रम होगा। 10:20 से 10:40 बजे के बीच कॉटेज इंडस्ट्रीज, 10:40 से 11 बजे तक मक्का उत्पादन के मूल्य संवर्धन, 11 से 11:20 के बीच कर्नाटक के एनजी ओ।, 11:20 से 11:40 तक मक्का के भोजन व घास के रूप में उपयोग, 11:40 से दोपहर 12 बजे तक मक्का संग्रहण, दोपहर 12 से 12:20 बजे तक मक्का प्रोसेसिंग, दोपहर 12:20 से 12:40 बजे तक सीड टेक्नालाजी, दोपहर 12:40 से एक बजे तक बिहार में रबी सीजन में मक्का उत्पादन पर चर्चा की जाएगी। लंच के बाद दोपहर 2 से 2:20 बजे तक गुजरात में मक्का उत्पादन, दोपहर 2:20 से 2:40 बजे तक बीज उत्पादन, दोपहर 2:40 से 3 बजे तक मक्का में सिंचाई, दोपहर 3 बजे से 3:20 बजे तक बेबी कॉर्न व्यंजन, दोपहर 3:40 से 4 बजे तक उच्च तकनीकी से मक्का उत्पादन, शाम 4 से 4:20 बजे तक मक्का प्रोसेसिंग, शाम 4:20 से 4:40 तक प्रश्नोत्तर तथा शाम 4:40 से 5 बजे तक वैज्ञानिकों द्वारा जेड एआरएस फार्म फील्ड विजिट की जाएगी।

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