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बाराबंकी में डीएम, एसपी ने खेत में लगाया धान, जैविक खेती कर रहीं समूह की महिलाओं का बढ़ाया हौसला

जिलाधिकारी ने महिला किसानों से न सिर्फ श्री विधि से धान की रोपाई की बारीकियां समझीं बल्कि उनके साथ खेतों में जाकर धान की रोपाई भी की।
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बाराबंकी। जिले के प्रशासनिक कमान सँभालने वाले आला आधिकारी जब शहर से दूर गांवों के खेतों में धान की रोपाई करते दिखे तो ग्रामीण लोगों के लिए यह नजारा बहुत ख़ास हो गया।

यह ख़ास मौका था उत्तर प्रदेश के सूरतगंज ब्लॉक के टांडपुर गाँव का जहाँ जिले के जिलाधिकारी और एसपी गांवों में जैविक खेती कर रहीं स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से मिलने के लिए पहुंचे।

यहाँ जिलाधिकारी ने न सिर्फ समूह में काम कर रहीं महिलाओं से जैविक खेती के बारे में बातचीत की बल्कि खुद से आत्मनिर्भर बन रहीं इन ग्रामीण महिलाओं की खूब हौसला अफजाई भी की।

इस मौके पर जिलाधिकारी आदर्श सिंह और पुलिस अधीक्षक अरविंद चौधरी समेत तमाम अधिकारियों ने इन स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के खेतों का भी दौरा किया और जैविक विधियों के बारे इन महिला किसानों से जानकारी हासिल की। 

बाराबंकी के टांडपुर गाँव में महिलाओं के द्वारा जैविक विधि से तैयार किये जा रहे उत्पादों को देखने के लिए जाते जिलाधिकारी आदर्श सिंह। फोटो : गाँव कनेक्शन  

यहाँ जिलाधिकारी ने इन महिला किसानों से न सिर्फ श्री विधि से धान की रोपाई के बारे में बारीकियां समझीं बल्कि उनके साथ खेतों में जाकर धान की रोपाई भी की। इसके अलावा अधिकारियों ने भारत माता ग्राम संगठन के गणेश स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए पोषण वाटिका, किचन गार्डन, बोरा बगीचा, वर्मी कम्पोस्ट और जैविक विधि से तैयार की गई खाद की यूनिट का भी दौरा किया।

इस दौरान गणेश स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष रिम्पी शुक्ला ने बताया, “अभी संगठन में नौ समूह के जरिये 100 से ज्यादा ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हुई हैं, ये महिलाएं समूह के जरिये जैविक खेती में अलग-अलग काम कर रही हैं जैसे कोई समूह वर्मी कम्पोस्ट बना रहा है तो कोई जैविक खाद तैयार कर रहा है। कई समूह की महिलाएं पशुपालन का भी काम कर रहीं हैं।”

ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं आत्मनिर्भर बने और गांवों के विकास में अपना योगदान दे सकें, इसके लिए इन महिलाओं को स्वयं सहायता समूह से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की कई योजनाओं के जरिये किया जा रहा है। गांवों में जैविक खेती कर रहीं ये महिलाएं इनमें से एक योजना महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना का लाभ ले रही हैं। 

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समूह की महिलाओं और आला अधिकारियों से बातचीत करते जिलाधिकारी आदर्श सिंह। फोटो : गाँव कनेक्शन   

इस दौरान समूह की इन महिलाओं के साथ बैठक में जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के लिये ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिक तकनीकि का उपयोग करने की भी अपील की। जिलाधिकारी ने कहा, “जैविक खेती से जुड़ी इन विधियों का दूसरे किसानों के बीच भी प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए जिससे अन्य किसान भी अच्छी उपज प्राप्त कर सकें।”

बाराबंकी के सूरतगंज ब्लॉक में समूह से जुड़कर जैविक खेती कर रहीं इन महिलाओं की मेहनत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष पूरे ब्लॉक में जहाँ 24.3 एकड़ में जैविक खेती की गई थी, इस साल यह आंकड़ा बढ़कर करीब 46 एकड़ पहुँच चुका है। इस बात की पुष्टि स्वयं राष्ट्रीय आजीविका मिशन के उपायुक्त सुनील तिवारी ने की।

बैठक में जिलाधिकारी ने आजीविका मिशन की ओर से समूहों को दिए जा रहे फंड के बारे मे भी चर्चा की ताकि समूहों का सीधा फायदा महिलाओं को बड़ी संख्या में मिल सके। 

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समूह की महिलाओं के द्वारा तैयार की जा रही वर्मी कम्पोस्ट यूनिट का भी आधिकरियों ने लिया जायजा। फोटो : गाँव कनेक्शन  

मास्क और स्कूल ड्रेस भी बना रहीं समूह की महिलाएं

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ये महिलाएं न सिर्फ जैविक खेती में बल्कि अपने स्वयं सहायता समूह के जरिये मास्क और बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस बनाने का भी काम कर रही हैं। गणेश समूह की रोली शुक्ला बताती हैं, “समूह की महिलाओं ने लॉकडाउन के समय बड़ी संख्या में न सिर्फ मास्क बनाने का काम किया है बल्कि गांवों में वितरण का भी काम किया, इसके अलावा गाँव की महिलाएं स्कूल ड्रेस भी बच्चों के लिए बना रही हैं जिससे उनको अच्छा मुनाफा भी हो रहा है।”

जमीन पर लगी चौपाल

बातचीत के लिए नौ महिला समूहों की 45 महिलाएं दरी बिछा कर जमीन पर बैठी थीं। डीएम ने सोफा हटवा दिया। विधायक के साथ डीएम, एसपी और सीडीओ महिलाओं के सामने जमीन पर बैठ गए। इसी के बाद बातचीत शुरू हुई। समूह की रोली शुक्ला, रिंपी शुक्ला, नीलम देवी, अनीता सिंह और नेहा से पूछताछ कर डीएम ने समूह को 15 हजार से दो लाख रुपयों तक मिले फंड के आय व्यय का लेखा जोखा देख कर समूह में आये बदलाव और महिलाओं को मिलने वाले लाभ के बारे में भी चर्चा की।   

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