केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि खेती के क्षेत्र में उच्च उत्पादकता और समग्र उत्पादन पाने के लिए क्रेडिट एक जरूरी आगत है। कम समय के फसल ऋण पर किसानों को दी जाने वाली ब्याज सहायता से उत्पन्न होने वाली विभिन्न उत्तरदायित्व को पूरा करने के लिए 2017-18 में भारत सरकार द्वारा 20,339 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इसके साथ ही फसल कटाई के बाद भंडारण संबंधी ऋण देश में किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आगत अपेक्षा को पूरा करता है। विशिष्टया छोटे और सीमांत किसान जो कि मुख्य उधार लेने वालों में से है।
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक यह संस्थागत क्रेडिट किसानों को क्रेडिट के गैर-संस्थागत स्रोत से अलग करने में मदद करेगी। जहां पर यह ब्याज की ऊंची दरों पर उधार लेने के लिए मजबूर होते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल बीमा, फसलों के ऋण से जुड़ा है। लिहाजा किसान फसल ऋणों का फायदा उठाते हुए सरकार की दोनों किसानों के अनुकूल पहलों से लाभ ले सकेंगे।
आर्थिक सर्वे के मुताबिक यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कि किसान बाजार में अपने उत्पादन के संबंध में लाभदायक कीमतों का लाभ उठाएं, सरकार सुधार को लेकर कदम उठा रही है। इलेक्ट्रानिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) जो सरकार द्वारा अप्रैल 2016 से शुरू किया गया था, का उद्देश्य इलेक्ट्रोनिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से बिखरे हुए एपीएमसी को एकीकृत करना और किसानों को ऑनलाइन व्यापार करने की सलाह दी जाती है, यह भी अहम है कि वे मान्यता प्राप्त गोदामों में अपने उत्पादन का भंडारण करके फसल की कटाई के बाद ऋण का फायदा उठाएं।
यह ऋण ऐसे छोटे और सीमांत किसानों जिनके पास किसान क्रेडिट कार्ड है, को 6 माह की अवधि के बारे में ऐसे भुगतान पर 2 प्रतिशत की ब्याज सहायता उपलब्ध है। इसमें किसानों को बाजार में उछाल आने के समय अपनी बिक्री करने और मंदी के दौरान बिक्री से बचने में मदद मिलेगी। इस लिए छोटे एवं सीमांत किसानों के लिए जरूरी है कि वे अपने केसीसी को बनाए रखें।