हर रोज किसानों से खरीदना होगा डेढ़ लाख मीट्रिक टन गेहूं

Ashwani NigamAshwani Nigam   25 April 2017 7:50 PM GMT

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हर रोज किसानों से खरीदना होगा डेढ़ लाख मीट्रिक टन गेहूंकिसान।

लखनऊ। रबी विपणन वर्ष 2017-18 में केन्द्रीकृत प्रणाली के अंतगर्त न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों से इस साल 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा है।

सरकार की 9 गेहूं खरीद एजेंसियों के जरिए प्रदेश के 5 हजार गेहूं क्रय केन्द्रों पर एक अप्रैल से गेहूं खरीदने काम शुरू हो चुका है लेकिन स्थिति यह कि 25 दिन बीतने के बाद भी अभी तक मात्र 5 लाख 37 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद ही हो पाई है। यह जानकारी देते हुए उत्तर प्रदेश खाद्ध् एवं रसद विभाग के अपर आयुक्त विपणन अशोक कुमार ने बताया '' गेहूं क्रय केन्द्रों पर शुरुआत में किसान कम आ रहे थे लेकिन अब क्रय केन्दों पर तेजी आई है। हालांकि लक्ष्य को पूरा करने के लिए एजेंसियों को और अधिक सक्रिय होना होगा। '' खाद्य आपूर्ति के अधिकारी चाहे जितना भी दावा करें लेकिन स्थिति यह है कि सरकार के गेहूं खरीद लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अगले 50 दिनों में हर रोज 1 लाख 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदना होगा जो मुमकिन होता नहीं दिख रहा है।

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उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल गेहूं खरीदने का जो समय निश्चित किया है, उसमें 1 अप्रैल से गेहूं क्रय केन्दों पर गेहूं खरीदने का काम एजेंसियों ने शुरू कर दिया है जेा 15 जून तक चलेगा। किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम मिल सके इसलिए इस बार उत्तर प्रदेश सरकार ने 1625 रुपए प्रति कुंतल का समर्थन मूल्य घोषित करके गेहूं खरीदने का आदेश दिया लेकिन स्थित यह है प्रचार-प्रसार के बाद भी गेहूं क्रय केन्द्रों पर किसान गेहूं बेचने नहीं आ रहा है। स्थित यह है कि सैकड़ों क्रय केन्द्रों पर सन्नाट पसरा हुआ है।

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गेहूं क्रय केन्द्रों पर किसान अपना गेहूं इसलिए भी बेचने में नहीं रूचि दिखा रहे हैं क्योंकि आढ़तियों के यहां गेहूं बेचने पर 1700 से लेकर 1800 रुपए प्रति कुंतल पैसा मिल जा रहा है। क्रय केन्द्रों पर जहां किसानों का नकद भुगतान नहीं बल्कि उनके अकाउंट में एक सप्ताह के अंदर पैसा पहुंच रहा है वहीं आढतियों से मौके पर ही नगद पैसा मिल जा रहा है। सिद्धार्थ नगर के भनवापुर ब्लाक के हसुड़ी गांव के किसान गिरिजेश यादव ने बताया कि गेहूं क्रय केन्दों पर गेहूं बेचने में नियमों का इतना तामझाम है कि हम लोग आढ़तियों के यहां ही गेहूं बेचना ठीक समझ रहे हैं। वहां से हमे नगद पैसा भी मिल जा रहा है। गोरखपुर जिले के खजनी ब्लाक के डांगीपार निवारी किसान रामसजन ने बताया '' क्रय केन्द्रों पर गेहूं बेचना बहुत पेचीदा है। पैसा भी एक हप्ते बाद अकाउंट में आएगा। शादी-व्याह का सीजन है हमे नगद पैसे की जरूतर है इसलिए गेहूं हम बाहर ही बेच रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश में क्रय केन्दों पर जिन एजेंसियों का गेहूं खरीदने का जिम्मा दिया गया है उसमें खाद्व विभाग की विपणन शाख मल्टी स्टेट कोआपरेटिव सोसाइटी को 20 लाख मीट्रिक टन, उत्तर प्रदेश कर्मचारी कल्याण निगम को 5 लाख मीट्रिक , उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य एवं आवश्यक वस्तु निगम यानि एसएफसी को 3 लाख मीट्रिक, उत्तर प्रदेश सहकारी संघ को 24 लाख मीट्रिक टन, उत्तर प्रदेश काआॅपरेटिव यूनियन यानि पीसीएफ को 8 लाख मीट्रिक टन, यूपी एग्रो को 4 लाख मीट्रिक टन, एनसीसीएफ को 4 लाख मीट्रिक टन, नैफेड को 2 लाख मीट्रिक टन और भारतीय खा्द्ध निगम को 10 लाख मीट्रिक् टन गेहं खरीदने का लक्ष्य दिया गया है। सभी एजेंसियों में गेहूं खरीद की दर बहुत धीमी है। अगर गेहूं खरीद ऐसी ही सुस्त रफ्तार से चलती रही तो काई भी एजेंसी अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पाएगी।

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