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मक्का की फसल बर्बाद कर रहा है फॉल आर्मीवर्म, पिछले साल के मुकाबले घट गया खेती का रकबा

मक्का की खेती करने वाले किसानों को पिछले कई साल से फॉल आर्मीवर्म की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ज्यादातर प्रदेशों में मक्का की फसल में इसे देखा जा सकता है, इसके प्रकोप से इस बार मक्का की खेती का रकबा भी कम हो गया है।
#Fall Armyworm

मक्का की खेती करने वाले किसान सुरेश पठानियां ने इस बार मक्का की खेती का एरिया कम कर दिया है, पिछले साल फॉल आर्मीवर्म की वजह से इन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

साठ वर्षीय सुरेश पठानियां  हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नूरपुर ब्लॉक में रिट गाँव के किसान हैं और पिछले कई साल से खेती करते आ रहे हैं। सुरेश बताते हैं, “इतने साल से खेती करता आ रहा हूं, लेकिन पहली इस कीट को देखा था, पहले तो हम समझ ही नहीं पाए कि कौन सा कीट है, जब कृषि विभाग से अधिकारी आए तो पता चला कि फॉल आर्मीवर्म नाम का कीट है।”

वो आगे कहते हैं, “पिछले साल लगभग 25 कनाल (1.26 हेक्टेयर) में मक्की बोई थी, लेकिन इस बार सिर्फ 10 कनाल (.50 हेक्टेयर) में ही मक्की बोई है, कौन इतना नुकसान उठाए। अभी हमारे में खेत में तो फॉल आर्मीवर्म नाम नहीं दिखे हैं, लेकिन दूसरे कई किसानों से सुनने में आ रहा है।”

लगभग चार साल पहले अफ्रीका में मक्के की फसल बर्बाद करने वाला फॉल आर्मीवर्म अब भारत के ज्यादातर राज्यों में पहुंच गया है। इस कीट को भारत में सबसे पहले मई, 2018 को कर्नाटक के शिवमोगा में देखा गया था। इसके बाद तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, छत्तीसगढ़, केरल, राजस्थान, झारखण्ड, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश और सिक्किम में भी इसे देखा जा रहा है।

हिमाचल प्रदेश में मक्का की फसल में फॉल आर्मीवर्म।

आईसीएआर-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना के निदेशक डॉ. सुजय रक्षित बताते हैं, “फॉल आर्मी वर्म इस कश्मीर को छोड़कर हर एक राज्य तक पहुंच गया है, जहां पर मक्का की खेती होती है। कश्मीर में इसलिए नहीं पहुंच पाया क्योंकि यह ज्यादा सर्दी नहीं बर्दाश्त कर पाता। फॉल आर्मी वर्म की मादा एक रात में कई सौ किमी तक का सफर कर लेती है, इसलिए यह तेजी से फैलता है।”

देश भर में बढ़ते फॉल आर्मीवर्म के प्रकोप के बारे में उन्होंने बताया, “इसे सबसे पहले मई, 2018 में कर्नाटक में देखा गया, जुलाई में तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश, अगस्त में ओडिशा व महाराष्ट्र, अक्टूबर तक बंगाल पहुंच गया फिर नवंबर में बांग्लादेश में रिपोर्ट हुआ, उसके बाद म्यांमार, थाईलैंड, जापान और चीन तक पहुंच गया। मार्च 2020 में यह ऑस्ट्रेलिया में रिपोर्ट हुआ, जैसे हवा चली उसी तरह वैसे ही यह फैलता है।”

वो आगे कहते हैं, “मानसून के साथ ही ये भी पहुंचते हैं, मादा जहां पर पहुंचती है वहां पर अंडे देकर पॉपूलेशन बढ़ाती है। इस समय पूरे देश में कहीं पर कम और कहीं पर ज्यादा इनका असर देखा जा सकता है। इनके नियंत्रण के लिए सही समय पर इनकी पहचान करके इनसे छुटकारा पाया जा सकता है, लेकिन अगर वही थर्ड स्टेज में पहुंच गया तो इनपर नियंत्रण करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

पंजाब के लुधियाना में मक्का की फसल बर्बाद कर रहा फॉल आर्मीवर्म।

इसको बढ़ने के लिए जो वातावरण चाहिए वह भारत में एकदम ठीक है, बहुत ज्यादा ठंडी में यह खुद मर जाता है, रबी के सीजन में इसका प्रकोप नहीं देखा जाता, लेकिन जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, यह भी बढ़ता जाता है।

इस बार पिछले साल के मुकाबले पूरे देश में मक्का का रकबा घटा है, बहुत से किसानों ने इस बार मक्का की खेती कम कर दी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार पिछले साल 63.80 लाख हेक्टेयर में मक्का की बुवाई हुई थी, जबकि इस बार मक्का का रकबा घटकर 58.86 रह गया है।

पिछले साल और इस साल मक्का की खेती का क्षेत्रफल 

राज्य इस साल मक्का का रकबा (लाख हेक्टेयर) पिछले साल मक्का का रकबा (लाख हेक्टेयर)
मध्य प्रदेश 13.83 13.25
कर्नाटक 10.32 9.81
उत्तर प्रदेश 6.00 6.42
महाराष्ट्र 5.32 7.80
राजस्थान 5.20 6.78
बिहार 2.70 3.40
हिमाचल प्रदेश 2.65 2.82
तेलंगाना 1.89 0.38
कुल क्षेत्रफल 58.86 63.80

मक्का की खेती कम होते क्षेत्रफल के बारे में डॉ. सुजय रक्षित बताते हैं, “पिछले साल कोविड के चलते अफवाहें फैली थी कि अंडा और चिकन खाने से कोरोना फैलता है, जिसके चलते बहुत से पोल्ट्री फार्म बंद हो गए जो अभी तक दोबारा नहीं शुरू हो पाए, क्योंकि पोल्ट्री फीड में मक्के का इस्तेमाल होता है, किसानों को बाजार ही नहीं मिला जिस वजह से इस बार लोगों ने कम मक्का बोया है।”

फॉल आर्मीवर्म की वजह से रकबा कम होने के सवाल पर डॉ. सुजय रक्षित कहते हैं, “हां फॉल आर्मीवर्म को भी मक्का की कम खेती का एक कारण मान सकते हैं, क्योंकि हमने देखा है कि जहां पर एक बार फॉल आर्मीवर्म आता है, दूसरे साल वहां पर नुकसान होता है। किसान को नुकसान हुआ इसलिए इस बार लोगों ने मक्का की बुवाई कम की है।

साल 2016 से अब तक अलग-अलग देशों में फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप

दुनिया के 70 देशों में बर्बाद कर रहा मक्का

कृषि एवं खाद्य संगठन के अनुसार, अमेरिकी फॉल आर्मीवर्म मूल रुप से अमेरिका का कीट है, लेकिन 2016 में अफ्रीका में दिया और देखते ही देखते तक पूरे अफ्रीका में फैल गया। इसके साथ ही यह भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार, चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम, कोरिया, कंबोडिया, जापान, ऑस्ट्रेलिया, यूएई, जॉर्डन, सीरिया, स्पेन जैसे देशों तक पहुंच गया है। जनवरी, 2021 तक यह दुनिया के 70 देशों तक फैल गया है।

मक्का न मिलने पर दूसरी फसलों को पहुंचाता है नुकसान

भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना के वैज्ञानिक डॉ मुकेश चौधरी बताते हैं, “फॉल आर्मीवर्म से मक्का के उत्पादन पर असर पड़ता है, कई राज्यों में इसके चलते लोगों ने मक्का कम कर दिया, क्योंकि यह मक्का पर ही आता है। लेकिन अगर इसे मक्का नहीं मिलता तो यह गन्ना पर चला जाता है और अगर गन्ना भी न मिला तो ज्वार, बाजरा जैसी फसलों को नुकसान पहुंचाता है, यह 190 तरह की फसलों को नुकसान पहुंचाता है।

मुख्य रूप से मक्का का एक कीट है। यदि मक्का की फसल उपलब्ध नहीं होती है तो यह ज्वार की फसल पर आक्रमण करता है। यदि दोनों ही फसलें उपलब्ध नहीं हैं तो यह अन्य फसलों जैसे- गन्ना, चावल, गेहूं, रागी, चारा घास आदि जो कि घास कुल की है पर आक्रमण करता है। यह कपास और सब्जियों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। फॉल आर्मीवर्म के वयस्क पतंगे तीव्र उड़ान भरने वाले होते हैं जो मेजबान पौधों की तलाश में 100 किलोमीटर से भी अधिक उड़ सकते हैं।

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