किसानों की परेशानियां कम ही नहीं हो रहीं हैं, पहले से नुकसान उठा रहे किसानों को उम्मीद थी कि धान की फसल से अच्छा मुनाफा हो जाएगा, लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कई जिलों में फसल में लगे कंडुआ रोग ने इनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के बरहज ब्लॉक के खोरी गाँव के किसान मुकेश सिंह और उनके गाँव के कई किसानों के धान की फसल में कंडुआ रोग लगा हुआ है। मुकेश सिंह फोन पर बताते हैं, “इस बार धान की फसल अच्छी तैयार हो रही थी, लेकिन फिर ये हर्दिया (कंडुआ) रोग लग गया, पहले एक-दो लोगों के खेत में लगा था, लेकिन देखते-देखते हमारे गाँव के करीब 400-450 बीघा धान की फसल में रोग लग गया, पहले हल्दी जैसे पीला हुआ फिर काला पड़ गया। पहले भी धान में कई तरह की बीमारी लगती थी, लेकिन ये बीमारी पहली बार लगी है।”
कंडुआ रोग (False smut) रोग की वजह से फसल उत्पादन पर असर पड़ता है, अनाज का वजन कम हो जाता है और आगे अंकुरण में भी समस्या आती है। ये रोग उच्च आर्द्रता और जहां 25-35 सेंटीग्रेड तापमान होता है वहां पर ज्यादा फैलता है, ये हवा के साथ एक खेत से दूसरे खेत उड़कर जाता है और फसल को संक्रमित कर देता है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार श्रीवास्तव कंडुआ रोग की पहचान के बारे में बताते हैं, “सबसे पहले धान की बालियों पर भूरे-पीले रंग पाउडर के गुच्छे बनने लगते हैं और यही पाउडर हवा के साथ उड़कर एक खेत से दूसरे खेत को संक्रमित करता रहता है। कुछ समय बाद ये पीला रंगे काले में बदल जाता है और धान का पौधा सूख जाता है। इस बार पूर्वांचल और बिहार के कुछ जिलों में इसका प्रकोप कुछ ज्यादा ही देखा गया है।”
खरीफ सत्र 2020-21 में उत्तर प्रदेश के 4.57 लाख हेक्टेयर और बिहार के 10.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई हुई है। इस बार अच्छे मानसून से पिछले साल के मुकाबले धान की खेती का रकबा भी बढ़ा है।
बिहार के कैमूर जिले के रामगढ़ ब्लॉक के देवहलिया गाँव के अंगद सिंह की धान की फसल भी इस बार कंडुआ की वजह से बर्बाद हुई है। अंगद सिंह बताते हैं, “इस बार हमने करीब 25 बीघा में धान की फसल लगाई है, आधे से ज्यादा फसल में रोग लगा है। अब तो कई लोगों की फसल कटने को भी तैयार है। इस बार बहुत नुकसान हो गया है।”
पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया, देवरिया, गोरखपुर, बनारस, चंदौली, महाराजगंज और यूपी से सटे बिहार के कैमूर जैसे जिलों में कंडुआ का प्रकोप देखा गया है।
कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया के अध्यक्ष डॉ. रवि प्रकाश मौर्या बताते हैं, “हमारे यहां कई किसानों ने कंडुआ रोग की जानकारी दी है, इस बार कुछ ज्यादा ही प्रकोप देखा जा रहा है। धान जैसे-जैसे तैयार होता है, इसका असर बढ़ता ही जाता है। यहां पर किसान इस रोग को लेढा रोग, बाली का पीला रोग और हरदिया रोग से जानते हैं। अगर किसान शुरू से ही फसल की देखभाल करे तो नुकसान से बचा जा सकता है।”
तापमान में उतार-चढ़ाव और हवा इस रोग को बढ़ने में मदद करते हैं, इसलिए अगर किसी भी खेत में इसका लक्षण दिखता है तो किसानों को सचेत हो जाना चाहिए।
बीएचयू के कृषि वैज्ञानिक डॉ. विनोद कुमार श्रीवास्तव कंडुआ से बचने की सलाह देते हैं, “इस रोग से बचने के लिए किसान को शुरू से ही ध्यान देना चाहिए। हमेशा बीजोपचार के बाद ही धान की बुवाई करनी चाहिए, क्योंकि इसके स्पोर बीज के साथ रह जाते हैं, अगर हम शुरू में ही बीजोपचार करते हैं तो ये खत्म हो जाते हैं। अगर किसान ने शुरू में ही बीजोपचार नहीं किया है तो इसका संक्रमण बढ़ने का खतरा ज्यादा होता है।”
वो आगे कहते हैं, “अगर किसी की फसल में कहीं भी कंडुआ रोग का लक्षण दिखे तो तुरंत उस पौधे को उखाड़कर जमीन में गाड़ देना चाहिए, जिससे एक पौधे से दूसरे पौधे में संक्रमण न होने पाए। क्योंकि ये पीले पाउडर की तरह होता है और हवा के एक खेत से दूसरे खेत में फैलता रहता है। अगर खेत में लगातार नमी बनी हुई है तो इससे बढ़ने का और मौका मिलता है। एक बात और धान के खेत में नाईट्रोजन की ज्यादा मात्रा होने पर भी ये बढ़ते हैं, इसलिए संक्रमण होने के बाद यूरिया का प्रयोग न करें। क्योंकि ये फफूंदजनित रोग (fungal diseases) है, इसलिए इसके नियंत्रण के लिए किसान प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत की 100-200 मिली दवा को 200-300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए।”
कंडुआ रोग ज्यादा पैदावार देने वाली हाईब्रिड किस्मों पर ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं, देसी किस्मों पर इनका असर कम होता है। इसलिए हमेशा प्रमाणित बीज ही इस्तेमाल करना चाहिए।
कृषि विभाग उत्तर प्रदेश के उप निदेशक (फसल सुरक्षा) विजय कुमार सिंह बताते हैं, “पूर्वांचल के कई जिलों में धान में इस बार कंडुआ रोग को रिपोर्ट किया गया है, मौसम में उतार चढ़ाव की वजह से इसका असर हुआ है, धान कटने के बाद ही पता चल पाएगा कि कितना नुकसान हुआ है।”