कभी नकली बीज के नाम पर तो कभी फसल बीमा के नाम पर किसान ठगा जाता है, लेकिन मुआवजे के नाम पर अक्सर किसानों को कुछ नसीब नहीं होता है। मगर एक ऐसी जगह है, जहां से किसान अपने नुकसान की भरपाई कर सकता है और वह है ‘उपभोक्ता फोरम’।
देश में गिनती के ही किसान हैं, जो ऐसे समय में उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाते हैं। असल में देश में उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के तहत ‘उपभोक्ता फोरम’ में केवल उपभोक्ता ही शिकायत कर सकता है।
जब कोई विक्रेता वस्तु या सेवा की गलत जानकारी के साथ बेचता है और उपभोक्ता खरीदार से पैसे वापस की मांग करता है तो कई बार विक्रेता पैसा देने से मना कर देता है तो ऐसी स्थिति में उपभोक्ता के पास ‘उपभोक्ता फोरम’ में शिकायत का रास्ता खुला होता है। इसी तरह किसान यदि बीज, फसल बीमा या किसी सेवा के नाम पर ठगा जाता है तो किसान भी उसकी शिकायत जिला स्तर पर उपभोक्ता फोरम में कर सकता है।
हरियाणा के अंबाला के जिला फोरम के प्रेसीडेंट एके सरदाना ‘गाँव कनेक्शन’ से फोन पर बातचीत में बताते हैं, “बिल्कुल… हर किसान जो किसी कंपनी, बैंक या सेवा प्रदाता से पीड़ित होता है, वह जिले स्तर पर उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकता है। बस जरुरत इस बात की होती है कि किसान के पास कोई न कोई सुबूत जरूर हो। जैसे कि अगर बीज खराब निकल गए हैं, तो किसान उस बीज का लेबोट्ररी में परीक्षण करा लें, जिससे उस कंपनी के खिलाफ उनके पास सुबूत हों।“
आगे कहते हैं, “किसान वकील की मदद से भी और खुद अपने स्तर पर भी उपभोक्ता फोरम में शिकायत कर सकता है। ऐसा देखा जाता है कि किसान अक्सर बिना किसी सुबूत के आता है। ऐसे में किसान के सामने थोड़ी मुश्किलें जरूर आती है। मगर कोई भी किसान या किसानों का समूह उपभोक्ता फोरम के जरिए शिकायत कर सकता है।”
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पिछले वर्ष बीटी कॉटन कपास के बीज को विकसित करने वाली एक बड़ी बीज कंपनी ने किसानों से इस बात का दावा किया था कि बीटी कॉटन कपास कीटों के हमलों से बेअसर रहेगी और मगर ऐसा नहीं हुआ, और गुलाबी कीट (पिंक बॉलवर्म) की वजह से महाराष्ट्र के करीब 41 लाख कपास किसानों की फसलें चौपट हो गईं।
हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने बीज कंपनियों और बीजों की ब्रिकी करने वालों पर कार्रवाई की, मगर किसानों को अब तक कोई मुआवजा नहीं मिल सका है। दूसरी ओर महाराष्ट्र सरकार ने भी किसान को प्रति हेक्टेयर 30,000 रुपए देने का आश्वासन दिया था।
महाराष्ट्र के नांदड़ के माहुर गाँव निवासी कपास किसान फारुख पठान ‘गाँव कनेक्शन’ से फोन पर बातचीत में बताते हैं, “पांच महीने हो गए, सरकार के कुछ अधिकारी गांव भी आए थे, मगर कुछ ही खेतों का निरीक्षण कर चले गए। हमारे खेत भी नहीं आए। हमने पांच हेक्टेयर में कपास की खेती की थी, जिसमें हमारा करीब तीन से साढ़े तीन लाख रुपए का नुकसान हुआ है।“
फारुख आगे बताते हैं, “मैंने फसल बीमा भी कराया था, पिछले साल अगस्त में मैंने सारे कागज भी जमा कर दिए थे, मगर अब तक उसका भी मुआवजा नहीं मिल सका है। हमारा बहुत नुकसान हो गया है।“
वहीं, महाराष्ट्र के जलगाँव जिले के ग्रामनेर के एक और कपास किसान जीवन पाटिल बताते हैं, “हमें भी अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला है, अधिकारी तो निरीक्षण के लिए आए थे, मगर छह महीना होने को आ रहा है, अब तक कोई मुआवजा नहीं मिल सका है।“
इसी साल कंपनियों के बीजों को इस्तेमाल कर नुकसान उठाने वाले ऐसे किसान हरियाणा के फरीदाबाद जिले में भी सामने आए, जहां उनकी गोभी की फसल बर्बाद हो गई। इस बारे में फरीदाबाद के किसान के बेटे मनजीत त्यागी गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “हमारे यहां तो कई किसानों ने गोभी की फसल लगाई थी, मगर वह खराब हो गई। किसानों का बहुत नुकसान हो गया।“
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ऐसे शिकायत करें किसान
उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर उपभोक्ता फोरम जिले के प्रेसीडेंट आरएस वर्मा ‘गाँव कनेक्शन’ से फोन पर बताते हैं, “अगर किसान को शिकायत करनी है तो सबसे पहले अफसर को सूचना दें और फिर उपभोक्ता फोरम में लिखित में शिकायत दें। किसान खुद अपने स्तर पर भी शिकायत कर सकता है और अगर ज्यादा जानकार नहीं है तो वकील की मदद ले सकता है। किसान की शिकायत सही पाए जाने पर उसे पूरा मुआवजा दिलाया जाता है।“
यानि शिकायत करने के लिए किसान के पास ऐसी रसीद या कागज होने चाहिए, जो उसकी शिकायत का समर्थन करें। शिकायत की तीन कॉपी जमा होती हैं, इनमें एक कॉपी उपभोक्ता फोरम के पास, दूसरी कॉपी खरीदार के पास तो तीसरी कॉपी खुद किसान के लिए होती है। यह शिकायत किसान खुद भी दायर कर सकता है। शिकायत के पास पोस्टल ऑर्डर या डिमांड ड्राफ्ट के जरिए फीस जमा करनी होती है।
अगर न हो किसान के पास रसीद तो….
किसान के पास खरीद की रसीद न होने की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर आरएस वर्मा आगे बताते हैं, “जैसे कि अगर किसान के पास बीज खरीद की रसीद नहीं है तो किसान एक शपथ पत्र भी दे सकता है कि किसान ने उक्त व्यक्ति या कंपनी से बीज खरीदा था, और उसकी उचित सिंचाई और उवर्रक के इस्तेमाल के बावजूद फसल बर्बाद हो गई। किसान का यह शपथ पत्र मान्य होगा।“
कब-कब उपभोक्ता फोरम के पास गए किसान
- मीडियो रिपोटर्स के अनुसार, वर्ष 2014 में छत्तीसगढ़ के रायपुर की आरंग तहसील के गांव परसदा के किसान नारद लाल साहू ने एग्री गोल्ड फुड्स एंड फार्म प्रोडक्ट कंपनी से वृही नाम का हाईब्रिड धान का बीज खरीदा। कंपनी ने प्रति एकड़ 35 कुंतल धान का भरोसा दिया। मगर बीज खराब होने के कारण फसल नहीं हुई। किसान ने कंपनी से शिकायत की और कंपनी ने शिकायत को स्वीकार भी किया, मगर किसान नारद लाल को मुआवजा नहीं दिया। तब किसान ने जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत की और उपभोक्ता फोरम की अदालत ने किसान को 60 हजार रुपए का मुआवजा दिलाया।
- साल 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले निवासी कमला देवी के पति भइयालाल की साल 2006 में ट्रेन हादसे में मौत हो गई थी। भइयालाल का किसान बीमा योजना के तहत एक लाख रुपए का बीमा हुआ था और सरकार की ओर से बीमा की धनराशि भी जमा की गई, मगर बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लम्बार्ड इंश्योरेंस ने बीमा धनराशि का भुगतान नहीं कर रही थी। इसके बाद उनकी पत्नी कमला देवी ने उपभोक्ता फोरम में शिकायत की और अंत में फोरम ने बीमा कंपनी से किसान की पत्नी को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ एक लाख रुपए और मुकदम पर खर्च हुई धनराशि का भुगतान का फैसला सुनाते हुए आदेश दिया।
- बीते साल मध्य प्रदेश के होसंगाबाद जिले के सोहागपुर ब्लॉक के शोभापुर के किसान आशुतोष उत्तम जैन ने वर्ष 2012-14 में फसल का नुकसान होने पर कम बीमा राशि मिलने पर उपभोक्ता फोरम में प्रकरण दर्ज कराया था। यह शिकायत उपभोक्ता संरक्षण समिति की ओर से किसान ने उपभोक्ता फोरम में दाखिल की। इस पर किसान ने बताया कि बकाया राशि दो साल पहले मिलनी थी, मगर अब तक नहीं मिली है। इसलिए किसान को ब्याज सहित राशि दी जाए। जिस पर फोरम ने एसबीआई बैंक पर 20 हजार का जुर्माना लगाया। इसके अलावा बैंक को परिवादी को 7 हजार रुपए मानसिक प्रताड़ना के और वाद व्यय के 3 हजार रुपए भी चुकाने का आदेश दिया गया।
ऐसे में किसान उपभोक्ता फोरम के जरिए ऐसे नुकसान का उपभोक्ता फोरम के जरिए मुआवजा प्राप्त कर सकता है। किसान सिर्फ जिला स्तर पर ही नहीं, बल्कि राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर भी शिकायत कर सकता है।
मोबाइल ऐप और एसएमएस से करें मामले की जांच
उपभोक्ताओं के लिए राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम ने एसएमएस और मोबाइल ऐप के जरिए मामले की जांच की सुविधा दी है। इसके तहत उपभोक्ता www.ncdrc.nic.in पर क्लिक कर Case Enquiry विकल्प पर जाकर एसएमएस की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकता है। वहीं मोबाइल ऐप से जानकारी के लिए किसान को CONFONET APP को डाउनलोड करना होगा, जिससे वह अपने मामले की संख्या से जानकारी प्राप्त कर सकता है।
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