जैविक खेती से किसान ने बनायी अलग पहचान

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जैविक खेती से किसान ने बनायी अलग पहचानमिर्च की फसल।

अमरकांत, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

बरेली। एक ओर ज्यादा उत्पादन की चाह में किसान अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर रहे हैं, वहीं पर जिले के किसान राम किशोर कटियार ने रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बिल्कुल कम कर दी है।

बरेली जिले के भोजीपुरा ब्लॉक के मियांपुर गाँव के किसान रामकिशोर कटियार पिछले तीन वर्ष से जैविक खेती कर रहे हैं। रामकिशोर बताते हैं, “पहले पहले खेती से कोई आय प्राप्त नहीं हो पाती थी, जिससे परिवार पूरी तरह से दुकान की आय पर ही निर्भर था। लेकिन अब खेती से अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं।”

इन खादों के प्रयोग से पोषक तत्व पौधों को काफी समय तक मिलते हैं। यह खादें अपना अवशिष्ट गुण मृदा में छोड़ती हैं। अतः एक फसल में इन खादों के प्रयोग से दूसरी फसल को लाभ मिलता है। इससे मृदा उर्वरता का संतुलन ठीक रहता है। उन्होंने जैविक खेती के बारे में बताया कि फसल की लागत कम पानी कि मात्रा कम लगती है। मृदा क संरचना सुधरती है जिससे फसल का विकास अच्छा होता है हर पर्यावरण भी सुधरता है।

दूसरे किसान भी अपना रहे जैविक खेती

रामकिशोर को देखकर दूसरे किसानों का रुझान भी जैविक खेती की ओर बढ़ रहा। अब उनके गाँव के आधा दर्जन किसान भी जैविक खेती करने लगे हैं। जैविक खादों के प्रयोग से मृदा का जैविक स्तर बढ़ता है, जिससे लाभकारी जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है और मृदा काफी उपजाऊ बनी रहती है। जैविक खाद पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक खनिज पदार्थ प्रदान कराते हैं, जो मृदा में मौजूद सूक्ष्म जीवों के द्वारा पौधों को मिलते हैं, जिससे पौधे स्वस्थ बनते हैं अौर उत्पादन बढ़ता है।

  

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