मेरठ: कर्ज में डूबा था किसान, खेत गया और फिर लौटा ही नहीं

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मेरठ। मेरठ जिले के सलावा गांव में कर्ज में डूबे एक किसान ने कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान की पहचान ओमवीर (45) पुत्र संतराम के रूप में हुई है। परिजनों का कहना है कि वह कर्ज के चलते काफी समय से परेशान थे। घटना को लेकर इलाके के लोगों में गहरा आक्रोश है। उधर, राष्ट्रीय लोकदल ने किसानों के मुद्दे पर सड़कों पर उतरने की चेतावनी दी है।

सरधना के एसडीएम अमित कुमार ने बुधवार को पीटीआई से बातचीत में किसान के फांसी लगाकर आत्महत्या किये जाने की बात तो स्वीकार की लेकिन उनका दावा है कि किसान ने पारिवारिक कलह के कारण यह कदम उठाया। एसडीएम ने कहा कि किसान ने बैंक और सहकारी समिति से कर्ज लिया था। हालांकि उनका कहना है कि तहसील से किसान की न तो आरसी जारी की गई थी और न ही कोई टीम उसके घर गई थी।

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मृतक किसान ओमवीर की पत्नी कविता ने कहा कि उसके पति ने एक बैंक से करीब साढ़े तीन लाख रुपए और सहकारी समिति से करीब 90 हजार रुपए का कर्ज लिया था। इसे नहीं चुका पाने के कारण वह पिछले काफी समय से परेशान चल रहे थे। कविता ने बताया कि ओमवीर मंगलवार की दोपहर में खेत पर गये थे। शाम तक घर नहीं लौटने पर परिजनों ने जब उनकी तलाश की तो उनका शव उनके ही खेत में खड़े पेड़ पर लटका मिला। इस घटना पर अफसोस जताते हुए प्रदेश के पूर्व सिंचाई मंत्री एवं राष्ट्रीय लोकदल के वरष्ठि नेता डॉ. मैराजुद्दीन एवं पश्चिमी उप्र के प्रभारी राजकुमार सांगवान ने चेतावनी दी कि अगर प्रदेश सरकार किसानों को लेकर अपना रवैया नहीं बदलती तो रालोद किसानों के साथ सड़कों पर उतरेगी।

देश में साल 2014 से 2016 तक, तीन वर्षो के दौरान ऋण, दिवालियापन एवं अन्य कारणों से करीब 36 हजार किसानों एवं कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की थी। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने 2014, 2015 के राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े तथा वर्ष 2016 के अनंतिम आंकड़ों के हवाले से लोकसभा में यह जानकारी दी थी।

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भारत में दुर्घटना मृत्यु तथा आत्महत्याएं’ नामक प्रकाशन में आत्महत्याओं से जुड़ी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में 12360 किसानों एवं कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की जबकि वर्ष 2015 में यह आंकड़ा 12602 था वर्ष 2016 के लिये राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक 11370 किसान एवं कृषि श्रमिकों के आत्महत्या की बात सामने आई। कृषि मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्ष 2015 की रिपोर्ट बताती है कि देशभर में दिवालियापन या ऋण के कारण 8007 किसानों और 4595 कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की थी।

(भाषा से इनपुट)

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