बैंगन की खेती : कम लागत में रोज घर पैसा लाने वाली फसल

Virendra SinghVirendra Singh   25 Nov 2017 3:03 PM GMT

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बैंगन की खेती : कम लागत में रोज घर पैसा लाने वाली फसलबैंगन की खेती कम दिन की होती है और अक्सर मुनाफा देकर जाती है। फोटो-वीरेंद्र सिंह

बाराबंकी। धान, गेहूं और मोटे अनाजों की खेती के दायरे से बाहर निकलकर बाराबंकी के किसान इस बार बैंगन की खेती बड़े पैमाने पर करके कमा रहे हैं अच्छा मुनाफा कम लागत और लंबे समय तक उत्पादन देने के कारण किसानों की पहली पसंद बनी है बैंगन की खेती। जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर उत्तर दिशा के फतेहपुर ब्लॉक के सूरतगंज गाँव में बड़े पैमाने पर बैंगन की खेती की जा रही है।

फतेहपुर ब्लॉक के राम नरेश राजपूत (45 वर्षीय) बताते हैं कि, "यूं तो बैंगन की रोपाई साल में दो बार की जाती है प्रथम ग्रीष्मकालीन होती है जिस की रोपाई मार्च माह में की जाती है, जिसका फल रोपाई के 2 माह बाद उत्पादन शुरू हो जाता है दूसरी वर्षाकालीन होती है जिस की रोपाई जुलाई माह में की जाती है जिसका उत्पादन दो माह बाद शुरू हो जाता है जो जनवरी तक चलता है। लंबी अवधि की फसल होने के कारण उर्वरकों का प्रयोग बीच-बीच में दो तीन बार हमें करना पड़ता है।"

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वहीं, फतेहपुर ब्लॉक के ही 40 वर्षीय कैलाशचंद बताते हैं कि, "बैंगन की खेती में तना छेदक व फल छेदक के कंट्रोल के लिए रोपाई की एक माह बाद से मैलाथियान कुनालफास आदि दवाओं का प्रयोग 10 -10 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करते रहते हैं यदि किसी कारण से किट का प्रकोप हो जाता है तो ग्रसित भाग के 1 इंच नीचे से तने को काटकर गड्ढा करके मिट्टी में डाल देते हैं या जला देते हैं।" आगे बताते हैं कि ग्रीष्मकालीन फसल की नर्सरी जनवरी में करनी चाहिए जो लगभग 45 दिनों में तैयार हो जाती हो जिसकी रोपाई वर्गाकार 75 सेंटीमीटर पर करते हैं।

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सूरतगंज ब्लॉक के अश्वनी कुमार वर्मा (45 वर्षीय) बताते हैं एक एकड़ क्षेत्रफल में लगभग 7000 पौधों की रोपाई की जाती है। वर्षाकालीन फसल के लिए नर्सरी जून माह के प्रथम में की जाती है जिसकी रोपाई वर्गाकार 1×1 मीटर में की जाती है जिसमें 4000 पौधों की रोपाई की जाती है। एक एकड़ की फसल लेने में लगभग 30,000 की लागत आती है। फसल अच्छी होने पर लगभग एक एकड़ में 120 कुंटल तक का उत्पादन होने की संभावना रहती है। जिससे हमें एक लाख की आमदनी हो जाती है आगे बताते हैं कि बैंगन के अच्छे उत्पादन के लिए पौधे से पौधे की दूरी का विशेष ध्यान देना चाहिए।

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