बीते 14 वर्षों की तरह इस वर्ष भी सीएसआईआर – केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) द्वारा लखनऊ स्थित कैम्पस में एक दिवसीय किसान मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आये लगभग 7000 किसानों का जमावड़ा रहा। किसानों ने मेले में भाग लेकर औषधीय व सगंध पौधों की लाभकारी खेती के बारे में जानकारी ली और अपने अनुभव भी साझा किये।
उधर वैज्ञानिकों की टीम ने किसानों को उन्नत खेती, क़िस्मों तथा प्रसंस्करण व विपणन की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई। किसान मेले के मुख्य समारोह में केन्द्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह ने प्रधानमंत्री द्वारा किसानों की आय दोगुना करने के संकल्प की चर्चा करते हुए कहा, ”इसमें औषधीय एवं सगंध फसलें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। सीएसआईआर-एरोमा मिशन के अंतर्गत स्थापित किये जाने वाले 300 क्लस्टर्स में 300 प्रसंस्करण इकाइयाँ लगाने के लिए एमएसएमई मंत्रालय भी जुड़ेगा।” उन्होने आशा व्यक्त की कि सीमैप के प्रयास से मेन्था जैसी सफलता की कहानी दूसरी सुगंधित फसलों में भी साकार हो सकेगी। इसके साथ ही उन्होने कहा कि किसान को सामर्थ्यवान बनाकर ही उसके चेहरे पर खुशी लाई जा सकती है।
इसके पहले सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि इस वर्ष सीएसआईआर-एरोमा मिशन के अंतर्गत किसान मेले में आए किसानों को नई जानकारी व प्रौद्योगिकी द्वारा सक्षम बनाकर उनकी आय में वृद्धि करना ही हमारा मुख्य उद्देशय है। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि इस वर्ष लखनऊ मुख्यालय से लगभग 500 क्विंटल अधिक उपज देने वाली मेन्था की प्रजाति की जड़ें (पौध सामग्री) के रूप में जिंदल ड्रग्स और रीगले कंपनी के वित्तीय सहयोग से किसान मेले के अवसर पर 20% छूट के साथ उपलब्ध कराई जा रही है। इसके अलावा पन्तनगर केंद्र से आगामी 8 फरवरी को होने वाले मेले के मौके पर 200 क्विंटल उन्नत क़िस्मों की अतिरिक्त जड़ें किसानों को दी जायेंगी।
ये भी पढ़ें- खेती और किसानों का गला घोट रहा जलवायु परिवर्तन
इस मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने औषधीय एवं सगंध पौधों के उत्पादन में सीएसआईआर-सीमैप के योगदान की प्रशंसा करते हुए संतोष व्यक्त किया कि संस्थान के प्रयासों से 3-4 लाख किसानों की आय बढ़ाते हुए देश को मेन्था के उत्पादन और निर्यात में शीर्ष स्तर पर पहुँचने में सफलता मिल चुकी है।
सीमैप द्वारा विकसित मेन्था की किस्में किसानों में काफी लोकप्रिय हैं और इसकी उपज बढ़ाने में मददगार साबित हो सकी हैं।
सूर्य प्रताप शाही, कृषि मंत्री, उत्तर प्रदेश
वर्षा आधारित क्षेत्रों में खेती की प्रणाली विकसित करने पर बल देते हुए कृषि मंत्री ने आशा व्यक्त की कि नींबूघास, रोशाघास जैसी सगंधीय फसलें कम पानी वाले या सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सफलता पूर्वक उगाई जा सकेंगी।
उन्होनें आगे कहा कि उचित फसल चक्र अपनाकर किसान खाद्यान्न और नकदी फसलें जिसमें औषधीय और सगंध पौधे भी शामिल हैं, की खेती करें जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। उन्होने आगे बताया कि प्रदेश में अगले वर्ष एक अंतर्राष्ट्रीय किसान मेला आयोजित करने के लिए प्रयास किया जा रहा है।
इस मौके पर मेले में किसानों के लिए एक परिचर्चा सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमे वैज्ञानिक व उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। किसानों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर विषय विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया।
ये भी पढ़ें- फूड प्रोसेसिंस सेक्टर को इस बजट से हैं कई उम्मीदें, जानें बजट में क्या चाहते हैं एक्सपोटर्स
इस वर्ष किसान मेले में अन्य कार्यक्रमों के अतिरिक्त एक विशेष प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है, जिसमें सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं तथा एफएफडीसी एवं एनएमपीबी के द्वारा किसानों के लिए उपयोगी प्रौद्योगिकियों तथा योजनाओं का प्रदर्शन किया गया। मेला स्थल पर उद्योगों और स्वयं-सेवी संस्थाओं तथा महिला सशक्तिकरण योजना आदि के स्टॉल भी लगाए गए। किसान मेले में सोलर ऊर्जा से आसवन सयन्त्र चलाने का विशेष प्रदर्शन, जिरेनियम की पौध सामग्री के निर्माण के लिए एक विकसित किफ़ायती तकनीक, सीमैप के हर्बल उत्पाद, अगैती मिन्ट टेक्नोलोजी, इत्यादि के बारे में भी चर्चा की गई व प्रदर्शनी लगाई गई।